लखनऊः नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 122वीं जयन्ती के अवसर पर संस्था कल्याणं करोति लखनऊ द्वारा गांधी भवन में दिव्यांगजनों के सहायतार्थ सहायक उपकरण वितरण समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक ने नेताजी के चित्र पर माल्यार्पण किया तथा दिव्यांगों को ट्राईसाईकिल, बैशाखी तथा महिलाओं को सिलाई मशीन वितरित की। कार्यक्रम में दिव्यांग बच्चों ने राष्ट्रगान प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डाॅ0 वी0वी0 प्रताप अध्यक्ष कल्याणं करोति लखनऊ, मथुरा के आचार्य बलरामदास देवाचार्य जी सहित अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे।

राज्यपाल ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि दिव्यांगों में इच्छाशक्ति निर्माण करने की जरूरत है। दिव्यांगजनों का सहयोग करके उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाया जा सकता है। ऐसे व्यक्तियों में कुछ विशेषताएं होती हैं, इस भूमिका में उन्हें साथ लाने की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इसी दृष्टि से विकलांग की जगह दिव्यांग जैसे सम्मानजनक शब्द के प्रयोग का सुझाव दिया था। समाज में दिव्यांग के प्रति वैचारिक परिवर्तन के माध्यम से बहुत कुछ किया जा सकता है। यदि प्रयास किया जाता है तो जो बोल नहीं सकता, वह बोलने लगता है और जो पैर से मजबूर है वह भी पहाड़ चढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों के लिये पुनीत कार्य करने वाली संस्थाएं एवं धन का दान करने वाले दानदाता अभिनन्दन एवं सम्मान के योग्य हैं।

श्री नाईक ने नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का स्मरण करते हुए कहा कि नेताजी अत्यन्त कुशाग्र बुद्धि के थे, जिन्होंने आई0सी0एस0 जैसी प्रशासनिक सेवा को छोड़कर देश को गुलामी से मुक्त कराने के लिये काम किया। अंग्रेजों को चुनौती देने के लिये उन्होंने आजाद हिन्द फौज का गठन किया तथा लोगों के मन में विश्वास बनाया। महिलाओं को मुख्यधारा से जोड़ने के लिये नेताजी ने महिलाओं को भी आजाद हिन्द फौज में शामिल किया। राजनीति के सिद्धान्त के अन्तर्गत ‘शत्रु का शत्रु अपना दोस्त’ की दृष्टि से उन्होंने जर्मनी, जापान व अन्य देशों से संबंध सुधार कर सेना का गठन किया। उन्होंने कहा कि नेताजी का संघर्ष नमन के योग्य है।

राज्यपाल ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने के लिये शब्दों से नहीं अपने कर्म से आगे आने की जरूरत है। देश को स्वतंत्र कराने में जिन लोगों ने त्याग और बलिदान दिया है उनका चित्र समाज के सामने लाना आवश्यक है। राज्यपाल ने गणतंत्र दिवस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के संविधान ने समस्त नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया है। स्वतंत्र भारत में मतदान बहुत बड़ा अधिकार है। उन्होंने 24 जनवरी को आयोजित होने वाले ‘उत्तर प्रदेश स्थापना दिवस’ को प्रदेश के इतिहास में नया अध्याय बताते हुए उस पर भी प्रकाश डाला।