लंका में हेक्टर सम्मान से विभूषित होंगे शिवपाल
निर्णायक संघर्ष के लिए तैयार रहें समाजवादी: दीपक
लखनऊ: वरिष्ठ समाजवादी नेता शिवपाल सिंह यादव ने लोहिया न्यास में आयोजित कार्यक्रमों की शुरूआत सरस्वती पूजन से की। महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डा० राममनोहर लोहिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद उन्होंने जनकवि सूर्यकांत त्रिपाठी “निराला“ व “छोटे लोहिया“ जनेश्वर मिश्र की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर नमन किया। इस उपलक्ष्य में समाजवादी बौद्धिक सभा द्वारा निर्मित ई-बुक “बेमिसाल अपने शिवपाल“ www.shivpal.in का विमोचित व ऑनलाइन किया। इस पोर्टल के माध्यम से 63 दिनों तक प्रतिदिन एक विभूति का संस्करण अथवा रेखाचित्र प्रसारित होगा। ई-बुक में पाठकगण शिवपाल से जुड़े छोटे लोहिया जनेश्वर मिश्र, समाजवादी चिन्तक मोहन सिंह, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबा भारद्वाज, कवि गोपाल दास “नीरज“, लंका सोशलिस्ट पार्टी के महासचिव व केन्द्रीय मंत्री रहे प्रो० तिस्सा वितर्णा, समाजवादी चिन्तन सभा के अध्यक्ष दीपक मिश्र समेत 63 समाजवादियों, साहित्यकारों व समकालीन राजनेताओं के संस्मरण पढ़ सकेंगे। इस अवसर पर समाजवादी चिन्तन सभा के अध्यक्ष एवं संसदीय अध्ययन संस्थान के सदस्य दीपक मिश्र ने कहा कि निराला ने अपनी कलम से समाजवादी विचारधारा को नई ताकत और पूंजीवादी शोषण को खुली चुनौती दी। निराला के साहित्य एवं लोहिया-जनेश्वर की वैचारिकी से प्रेरणा लेकर समाजवादियों को निर्णायक संघर्ष एवं सत्याग्रह के लिए तैयार रहना होगा। सांप्रदायिकता, सामाजिक-आर्थिक विभेद एवं पूंजीवादी शोषण समाज के गोशे-गोशे में विद्यमान है। जिस संघर्ष में स्वार्थ नहीं होता वह कभी भी नुकसानदायक नहीं होता। लोहिया के बाद जनेश्वर जी अब शिवपाल जी उसी संघर्ष गाथा को आगे बड़ा रहे। शिवपाल के योगदान पर व्यापक बहस जरूरी हैं। गोष्ठी को लंका की सोशलिस्ट पार्टी के इन्द्रजीत राजपक्षे, मारीशस सोशलिस्ट काउन्सिल के विद्या कावलेसुर, संयुक्त अरब अमीरात के समाजवादी लेखक आलिम बिन मुबीन ने भी दूरभाष से गोष्ठी को संबोधित किया। लंका के समाजवादियों ने शिवपाल को डा० हेक्टर अभयवर्द्धने सम्मान से विभूषित करने की जानकारी दी। जैसे ही इंद्रजीत राजपक्षे ने यह जानकारी दी, लोहिया ट्रस्ट में उपस्थित सभी लोगों के नारों एवं करतलध्वनि से वातावरण गूंज उठा।
पूर्व घोषणा के अनुसार इण्टरनेशनल सोशलिस्ट काउन्सिल की सात देशों की इकाइयों ने “संघर्ष दिवस“ मनाया। 23 जनवरी को “नेताजी सुभाषचन्द्र बोस“ की वैचारिकी व वर्तमान दौरे पर परिचर्चाओं का आयोजन किया जाएगा।