8 अहम मामलों की सुनवाई के लिए गठित संवैधानिक पीठ में 4 ‘विद्रोही’ जजों को CJI ने नहीं दी जगह
नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने सोमवार को शीर्ष अदालत में देश की आठ महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया. आधार, सेक्शन 377 जैसे अहम मामलों पर सुनवाई के लिए पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ का गठन किया गया है. हालांकि न्यायपालिका की कार्यप्रणाली पर नाराजगी जाहिर करने वाले चारों जजों जस्टिस जे चेलामेश्वर, रंजन गोगोई, एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ को इस संवैधानिक पीठ में शामिल नहीं किया गया है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा करेंगे. इसके अलावा जस्टिस ए के सीकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूड़ और अशोक भूषण को इस खंडपीठ का सदस्य बनाया गया है.
पिछले साल 10 अक्टूबर के बाद से इन्हीं जजों की बेंच ने कई अहम मामलों की सुनवाई की थी. इस मामलों में केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच प्रशासकीय अधिकार और इच्छामृत्यु से जुड़े मामले भी शामिल थे.
इस बार भी इन्हीं जजों की पीठ देश के प्रमुख मामलों जैसे आधार कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाला मामला और वयस्कों के बीच सहमति से समलैंगिक संबंधों जैसे मामले पर सुनवाई करेगी. इसके अलावा ये पीठ केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश और अगर कोई पारसी महिला किसी अन्य धर्म के व्यक्ति से शादी करती है तो क्या वो अपनी धार्मिक पहचान खो देगी, इस मामले में भी ये बेंच सुनवाई करेगी.
महिलाओं के व्याभिचार और अगर कोई सांसद किसी आपराधिक मुकदमे का सामना कर रहा है तो क्या उसे अयोग्य ठहराया जाएगा, इस मामले पर भी ये पीठ सुनवाई करेगी. इससे पहले इन सभी मामलों पर फैसले के लिए शीर्ष अदालत की बड़ी बेंचों के पास भेजा गया था.
मंगलवार को कोर्ट के सामने सुनवाई के सूचीबद्ध मामलों में जस्टिस लोया की हत्या की जांच करने वाली दो जनहित याचिकाएं जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखी गई हैं. हालांकि जस्टिस मिश्रा पर एक वरिष्ठ वकील ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था.
फिलहाल कोर्ट के सूत्रों के अनुसार अभी इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि क्या मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने उन पर आरोप लगाने वाले चार जजों से मुलाकात की है या नहीं. बता दें 12 जनवरी को जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके जजों के बीच मामलों के आवंटन को लेकर सवाल उठाए थे.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश और हाईकोर्ट के तीन सेवानिवृत्त न्यायाधीशों ने सीजेआई को एक खुला पत्र लिख कर कहा है कि वह मामलों के आवंटन को लेकर शीर्ष न्यायालय के चार जजों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत हैं.
शीर्ष न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पीबी सांवत, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह, मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व न्यायधीश के. चंद्रू और बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश एच सुरेश द्वारा यह पत्र मीडिया को दिया गया.