आधार डेटा को लीक होने से बचाने के लिए सरकार पेश करेगी वर्चुअल आईडी
नई दिल्ली: अगर आपको किसी सर्विस की सेवा के लिए बार-बार आधार कार्ड या आधार नंबर की पहचान कराने की जरूरत होती है या फिर आधार के डेटा की गोपनीयता का खतरा बना रहता है तो अब न सिर्फ इस झंझट से छुटकारा मिलने वाला है, बल्कि आपका डाटा और भी ज्यादा सुरक्षित होने वाला है. आधार कार्ड की सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवालों के चलते अब इसमें कुछ बदलाव किए जा रहे हैं. सरकार के आधार कार्यक्रम को चलाने वाली यूआडीएआई यानी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने कहा कि अब वह वर्चुअल आधार आईडी लाने वाली है, जिसमें 16 अंकों के टेंपररी नंबर होंगे, जिसे लोग जब चाहे अपने आधार के बदले शेयर कर सकते हैं. उम्मीद की जा रही है कि यूआडीएआई की यह अवधारणा पर मार्च के अंत तक सफल हो जाएगी.
यूआडीएआई वर्चुअल आईडी पर महीनों से काम कर रहा है. इसने पिछले दिनों उस वक्त घोषणा की थी, जब यूआईडीएआई डाटाबेस के अनधिकृत उपयोग और आधार की गोपनीयता के बार में एक अखबार ने चिंता व्यक्त की थी साथ ही डाटा चोरी होने के आरोप भी लग रहे थे.
नई प्रणाली का उद्देश्य आधार संख्या के लीक होने और दुरुपयोग के मामलों को कम करना है और 119 करोड़ लोगों की पहचान संख्या की गोपनीयता को बढ़ावा देना है. अब आधार डिटेल देने के समय या वेरिफिकेशन के समय इसी 16 अंको से काम चल जाएगा. ध्यान देने वाली बात है कि यह 16 अंकों का वर्चुअल आईडी कुछ समय के लिए ही मान्य होगा. तय समय के बाद यूजर को अपना नया आईडी जारी करना होगा.
यह वर्चुअल आईडी, जिसमें 16 रैंडम अंक होंगे. वर्चुअल आईडी से फोन कंपनियां या बैंकों को आधार धारक की सीमित जानकारी मसलन नाम, पता और फोटोग्राफ मिलेगा जो उस व्यक्ति की पहचान साबित करने के लिए पर्याप्त होगा. वर्चुअल आईडी से आधार नंबर की जानकारी नहीं मिल सकेगी.
यूजर खुद से कई वर्चुअल आईडी से जेनेरेट कर सकता है. जैसे ही वह नई आईडी जेनेरेट करेगा, पुरानी आईडी खुद-बखुद एक बार रिफ्रेश करने पर रद्द हो कर दिया जाएगा. खास बात ये होगी कि कोई भी इसमें आधार के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा, क्योंकि इसके लागू होते ही यूजर खुद अपने आधार जेनेरेट कर सकता है.