महाराष्ट्र में भिड़े दलित और मराठा, संघर्ष में 1 की मौत
नई दिल्ली: महाराष्ट्र के पुणे में सोमवार को भीम कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ मनाने जुटे लाखों दलितों की मराठा संगठनों से हिंसक झड़प हो गई, जिसमें एक शख्स की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। मुख्य समारोह भीम कोरेगांव के जय स्तंभ पर शांतिपूर्वक चल रहा था, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक पड़ोसी गांवों की ओर से हिंसक झड़प शुरू हो गई। पुलिस के मुताबिक दलित समुदाय के 5 लाख से ज्यादा लोग भीम कोरेगांव की 200वीं वर्षगांठ मनाने के लिए पुणे शहर में जमा हुए थे। इस लड़ाई में ब्रिटिश सेनाओं ने 1 जनवरी 1818 को पेशवाओं की सेना को शिकस्त दी थी। हर साल एक जनवरी को हजारों दलित जयस्तंभ तक मार्च करते हैं। पिछले वर्षों पर नजर डालें को कभी हिंसा का कोई रिकॉर्ड नहीं मिला है। इस साल किसी अन्य झगड़े के कारण भीम कोरेगांव के आसपास के इलाकों में तनाव पसरा हुआ था।
29 दिसंबर को भीम कोरेगांव से लगभग 5 किमी दूर वाडु बुद्रुक गांव में एक ढांचे के पास, जिसे गोविंद गोपाल महाराज की कब्र माना जाता है, एक बोर्ड बरामद हुआ था। बोर्ड के मुताबिक 1689 में मुगल बादशाह औरंगजेब ने मराठा राजा छत्रपति संबाजी महाराज की हत्या की थी और महार जाति ने उनकी अंत्येष्टि की थी। महार एक दलित समुदाय है। लेकिन स्थानीय मराठा मानते हैं कि उनके पूर्वजों ने संबाजी महाराज ने अंत्येष्टि की जाएगी। मराठा और ग्राम पंचायत के अधिकारियों ने बोर्ड पर लिखी बात पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि यह गलत जानकारी है, जिसका कोई एेतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है। पुलिस ने कहा कि इसी वजह से दोनों समुदायों के बीच झड़प हो गई।
पुलिस ने बताया कि किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पहले ही वधु बुद्रुक गांव में सुरक्षाबल तैनात किया गया था। लेकिन सोमवार की सुबह सैकड़ों लोग (ज्यादातर मराठा समुदाय के) वधु बुद्रुक गांव में जमा हो गए। आशंका है कि ज्यादातर सोशल मीडिया पर आह्वान की वजह से जमा हुए थे। एक ग्रामीण के मुताबिक सुबह तक सब ठीक था, लेकिन दोपहर को कोरेगांव भीम और आसपास के सनसवाड़ी, शिकरापुर और अन्य जगहों से हिंसक झड़प की खबरें आने लगीं। पुलिस की गाड़ियां और फायर टेंडर समेत सैकड़ों वाहन फूंक दिए गए। इसके बाद घटनास्थल पर भारी पुलिसबल तैनात किया गया।