गोंडा के गांव में आबादी से दोगुने बन गए कागज़ी शौचालय
गोंडा: चाहे वह केंद्र सरकार हो या उत्तर प्रदेश सरकार सभी देश को खुले में शौच मुक्त कराने की लगातार कसमें खाती हैं. अभियान भी जोर-शोर से चल रहा है, लेकिन जमीनी सच्चाई ये है कि खुले में शौच से मुक्ति दिलाने का ये अभियान अब भ्रष्टाचारियों की नई चारागाह बन गया है.
कागजों पर शौचालय बनाने का खेल बदस्तूर जारी है. बाराबंकी जिले में शौचालय बनाने में हुए भ्रष्टाचार के बाद ताजा मामला गोंडा जिले से है. यहां एक गांव में आबादी से दोगुने शौचालय बनाने की बात सामने आई.
मौके पर जांच की गई तो पता चला कि अधिकतर शौचालय कागजों पर ही बने हैं. जो शौचालय बने भी हैं, वे किसी काम लायक नहीं है. गांव में आज भी रोज सुबह लोटा पार्टी चल रही है.
ये है भुलईडीह गांव. इसे सरकार ने पूरी तरह से ओडीएफ गांव घोषित किया है. कागजों में यह समग्र गांव है. पूरी तरह विकसित हो चुका है. यहां विकास की अब कोई जरूरत ही नहीं है. पता चला कि इस गांव में कुल आबादी 1025 है. वहीं कुल शौचालयों की संख्या 2023 है. ऊपर से 3 कम्युनिटी शौचालय भी हैं.
भुलईडीह को वित्तीय वर्ष 2015-16 में समग्र गांव घोषित कर दिया गया था. जब हमने जमीनी हकीकत पता की तो कहानी कुछ और ही निकली. पता चला कि सारे शौचालय केवल कागजों में ही बने हैं. कुछ जो बने भी हैं वे शौच लायक नहीं हैं. एक ढांचा खड़ा कर दिया गया है, न कोई टॉयलेट सीट है और न ही गड्ढा.
करीब ऐसे ही 100 शौचालय बने हुए हैं. बाकी 1923 शौचालयों का पता ही नहीं है. जब हमने लोगों से जानना चाहा कि उनको शौचालय का पैसा दे दिया गया तो फिर वह खुले में शौच क्यों जा रहे हैं. तो उन्होंने बताया कि शौचालय का ढांचा खड़ा कर दिया है. सीट है नहीं, कैसे जाएं.
इस संबंध में जब जिला पंचायत राज अधिकारी घनश्याम सागर से बात हुई तो उन्होंने बताया कि हम इसमें प्रभावी कार्रवाई कर रहे हैं. जल्द ही प्रधान से रिकवरी की जाएगी. वहीं उनके वित्तीय अधिकार सीज कर दिए गए हैं.