माफ़ी पर संसद में घमासान
नायडू बोले सदन में कोई माफी नहीं मांगने जा रहा
नई दिल्ली: पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित टिप्पणी को लेकर राज्यसभा में कांग्रेस सदस्यों का हंगामा बुधवार को भी जारी रहा। कांग्रेस सदस्य प्रधानमंत्री से माफी की मांग कर रहे थे। इस पर सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा ''कोई भी माफी नहीं मांगने जा रहा क्योंकि यहां कुछ नहीं हुआ और इस सदन में कोई बयान नहीं दिया गया है।'
एक बार के स्थगन के बाद दोपहर 12 बजे बैठक शुरू होने पर भी कांग्रेस सदस्यों का हंगामा जारी रहा। हंगामा कर रहे सदस्यों से बैठने की अपील करते हुए नायडू ने उनसे कहा कि वे बाकी लोगों के अधिकार छीनने का प्रयास नहीं करें और अन्य सदस्यों को प्रश्न पूछने का मौका दें।
लेकिन सदन में कांग्रेस सदस्यों का हंगामा जारी रहने पर उन्होंने माफी से इनकार करते हुए कहा कि इस सदन में कोई बयान नहीं दिया गया है। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा कि सदन का मजाक नहीं बनने दें।
इससे पहले सुबह बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, रिपुन बोरा और रजनी पाटिल सहित कुछ सदस्यों ने कहा कि उन्होंने कामकाज स्थगित करने के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया है। इन सदस्यों ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान मनमोहन सिंह के खिलाफ की गई कथित टिप्पणी का मुद्दा उठाया और कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आ कर माफी मांगनी चाहिए। कुछ सदस्य अपनी मांग के पक्ष में नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए।
सभापति नायडू ने इन सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और सदन की कार्यवाही चलने देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा ''आपका यह आचरण उचित नहीं है। जो आप कर रहे हैं वह देश के लिए, लोकतंत्र के लिए और सदन के लिए अच्छा नहीं है। यह संसद है और जो आप कर रहे हैं वह पूरा देश देख रहा है।
उन्होंने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत मिले नोटिसों को अस्वीकार कर दिया है। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कार्यवाही बाधित नहीं करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा ''यह तरीका नहीं है। यह संसद है । लोगों के बीच गलत संदेश जाएगा। अपनी सीमा पार न करें और अपने स्थानों पर लौट जाएं।
सभापति ने यह भी कहा कि विभिन्न राज्यों के महत्वपूर्ण मुद्दे शून्यकाल के तहत उठाए जाने हैं। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से पूछा ''क्या आपके लिए मुद्दे महत्वपूर्ण नहीं हैं ?
सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब 15 मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने संसदीय कार्य मंत्री को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए कि कार्यवाही शुरू होने पर मंत्री सदन में मौजूद रहें। सदन की बैठक शुरू होने पर सभापति ने आवश्यक दस्तावेज पटल पर रखवाने के लिए मंत्रियों के नाम पुकारे। पहला नाम पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान का था लेकिन वह सदन में मौजूद नहीं थे। इसी प्रकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग राज्य मंत्री गिरीराज सिंह और गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू का नाम भी सभापति ने लिया लेकिन दोनों मंत्री सदन में नहीं थे।
अन्य मंत्री संतोष कुमार गंगवार, डॉ महेश शर्मा, हंसराज गंगाराम अहीर, अनंतकुमार हेगड़े तथा सी आर चौधरी सदन में थे और नाम पुकारे जाने के बाद उन्होंने अपने अपने दस्तावेज सदन के पटल पर रखे।
दस्तावेज पटल पर रखवाने की प्रक्रिया चल ही रही थी कि धर्मेन्द्र प्रधान एवं किरेन रिजिजू सदन में आ गए। सभापति ने पुन: दोनों मंत्रियों के नाम लिए और दोनों मंत्रियों ने अपने अपने दस्तावेज सदन के पटल पर रखे।
इसके बाद नायडू ने कहा ''संसदीय कार्य मंत्री को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कार्यवाही शुरू होने पर मंत्री सदन में मौजूद रहें। मंत्री समय पर सदन में न रहें या देर से आएं तो इससे व्यवस्था का क्रम बाधित हो जाता है।