योगी के यूपीकोका में फांसी तक का प्रावधान
लखनऊ: कैबिनेट में पास होने के बाद यूपी कण्ट्रोल ऑफ़ आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट को योगी सरकार सोमवार यानी 18 सितम्बर को विधानसभा में पेश करेगी. सरकार का दावा है कि बिल के पास होते ही सूबे में खनन माफिया, लैंड माफिया और संगठित अपराध पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी.
वैसे तो इस कानून का मसौदा मायावती शासनकाल में ही तैयार किया गया था, लेकिन किन्हीं कारणों से यह पास नहीं हो पाया. लेकिन योगी सरकार अब यूपीकोका को पास करवाकर सूबे में संगठित अपराध को खत्म करने का दावा कर रही है. सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा का कहना है कि यूपीकोका से प्रदेश में संगठित अपराध से जुड़े अपराधियों की कमर टूटेगी. उन्होंने कहा कि एक बार यह कानून बन गया तो फिर कभी भी मथुरा के जवाहरबाग जैसी घटना नहीं होगी.
दरअसल अब तक पुलिस पहले अपराधी को पकड़कर कोर्ट में पेश करती थी, फिर सबूत जुटाती थी. लेकिन यूपीकोका के तहत पुलिस पहले अपराधियों के खिलाफ सबूत जुटाएगी और फिर उसी के आधार पर उनकी गिरफ्तारी होगी. यानी कि अब अपराधी को कोर्ट में अपनी बेगुनाही साबित करनी होगी.
इसके अलावा सरकार के खिलाफ होने वाले हिंसक प्रदर्शनों को भी इसमें शामिल किया गया है. श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इस बिल में गवाहों की सुरक्षा का खास ख्याल रखा गया है. यूपीकोका के तहत आरोपी ये नहीं जान सकेगा कि किसने उसके खिलाफ गवाही दी है.
सरकार न सिर्फ गवाहों को सुरक्षा मुहैया कराएगी बल्कि गवाही भी बंद कमरे में होगी और अदालत भी गवाह के नाम को उजागर नहीं करेगी. इतना ही नहीं अपराधी की शिनाख्त परेड भी आमने सामने से न होकर अप्रत्यक्ष रूप से होगी. मसलन, फोटो, वीडियो या फिर ऐसे शीशे से कराई जाएगी जिसमें अपराधी गवाह को देख न सके. इस कानून के तहत अभियुक्त को यह जानने का अधिकार नहीं होगा कि उसके खिलाफ किसने गवाही दी है.
प्रमुख सचिव गृह अरविन्द कुमार ने बताया कि इस कानून का दुरूपयोग न हो इसका भी ख्याल रखा गया है. यूपीकोका उन्हीं पर लगेगा जिसका पहले से आपराधिक इतिहास रहा हो. पिछले पांच वर्ष में एक से अधिक बार संगठित अपराध के मामले में चार्जशीट दाखिल की गई हो और कोर्ट ने दोषी पाया हो. इसका दुरूपयोग न हो सके इसके लिए कमिश्नर और आईजे या डीआईजे स्तर के अधिकारी की समिति के अनुमोदन का प्रावधान है. इनसे ऊपर राज्य की समिति होगी जो ऐसे मामले में निगरानी रखेगी.
यूपीकोका के तहत आरोपी को सजा–ए-मौत तक का प्रावधान है. गृह विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि किसी ऐसे संगठित अपराध जिसमें किसी की मौत होती है तो ऐसे मामलों में आरोपी को फांसी तक का प्रावधान है. यूपीकोका से संबंधित मामलों में कम से कम सजा सात साल व कम से कम जुर्माना 15 लाख रुपए तय किया गया है.