राज्यपाल राम नाईक की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ को मिला लक्ष्मीबाई तिलक पुरस्कार
लखनऊः उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के मराठी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ को महाराष्ट्र सरकार ने सर्वोत्तम आत्म चरित्र के रूप में रूपये एक लाख के लक्ष्मीबाई तिलक पुरस्कार से नवाजा है। मराठी की पहली आत्मचरित्र लेखिका लक्ष्मीबाई तिलक की स्मृति में हर वर्ष प्रकाशित सर्वोत्तम आत्म चरित्र को रूपये एक लाख की राशि का पुरस्कार प्रदान किया जाता है। वर्ष 2016 के लिए पुरस्कार की घोषणा महाराष्ट्र सरकार के मराठी भाषा मंत्री श्री विनोद तावड़े ने की है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा शीघ्र ही एक समारोह में यह पुरस्कार प्रदान किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र सरकार के मराठी भाषा विभाग द्वारा प्रतिवर्ष मराठी साहित्य में विमोचित लेखन की विभिन्न कलाओं जैसे लघुकथा, ललित गद्य, दलित साहित्य, शिक्षण शास्त्र, बाल वांगमय, नाटक, उपन्यास, आत्मचरित्र के लिए पुरस्कार प्रदान किये जाते हैं।
राज्यपाल श्री राम नाईक के मराठी भाषी संस्मरण संग्रह ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ का विमोचन महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री श्री देवेन्द्र फडणवीस द्वारा 25 अपै्रल, 2016 को मुंबई में किया गया था। राज्यपाल के संस्मरण मुंबई के दैनिक समाचार पत्र ‘सकाळ‘ में पाक्षिक रूप से निरन्तर स्तम्भ के रूप में प्रकाशित होते थे जिन्हें बाद में श्री नाईक द्वारा संकलित कर पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!‘ शीर्षक से प्रकाशित किया गया था।
राज्यपाल की पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ के हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू तथा गुजराती संस्करणों का लोकार्पण 9 नवम्बर 2016 को दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में, 11 नवम्बर 2016 को लखनऊ के राजभवन में तथा 13 नवम्बर 2016 को मुंबई में हुआ। पुस्तक ‘चरैवेति! चरैवेति!!’ का संस्कृत प्रकाशन शीघ्र ही किया जायेगा जबकि बंगाली, सिंधी सहित जर्मन एवं फारसी भाषा में भी प्रकाशन किए जाने के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।