राजसमंद और नानपारा की घटनाओं पर जमीअत उलमा ने DGP और मानवाधिकार आयोग को लिखा पत्र
कानपुर: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के थाना कोतवाली नानपारा घरघट्टा में पिछले दिनों 12 रबीउल अव्वल के अवसर पर निकाले जा रहे जुलूस पर पत्थरबाजी और मुसलमानों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई और राजस्थान के राजसमंद जिले में इफ्राजुल इस्लाम की बेरहमी से हत्या और शव को आग लगाने वाले खूनी शम्भूलाल को सख्त सजा से बचाने की कवायद के खिलाफ जमीअत उलमा उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने मानवाधिकार आयोग एवं डी0जी0पी0 उत्तर प्रदेश को पत्र भेजा है।
मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी ने कहा कि नानपारा घर घट्टा में 12 रबीउल अव्वल के अवसर पर निकाले जा रहे जुलूस पर असमाजिक तत्वों ने पथराव किया जिससे वहां पर सांप्रदायिक संघर्ष हो गया। जिला बहराइच के पुलिस प्रशासन ने मुस्लिमों के खिलाफ मामला दायर किया है जबकि प्रभावित क्षेत्र के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कार्रवाई की है। उनके खिलाफ पुलिस ने गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया जबकि दूसरे समुदाय के लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं कर रही है, जो सरासर अन्याय की बात है। फसाद में एकतरफा कार्यवाही चल रही है, प्रशासन ने पुलिस की सहायता से बड़ी संख्या में मुसलमानों को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि दूसरे संप्रदाय से किसी गिरफ्तार तो बड़ी बात अब तक कोई मामला भी दर्ज नहीं किया गया है। इससे अल्पसंख्यक वर्ग में भय का माहौल है और लोगों में नाराज़गी पायी जा रही है, मौलाना ने मांग की कि एकतरफा कार्यवाही से बचा जाये , जो भी कुसूरवार सामने आये उस पर कार्यवाही की जानी चाहिए और न्याय की अपेक्षाओं को पूरा किया जानो चाहिए।
इसी तरह राजस्थान के राजसमंद जिले में ठेकेदार अफ़राज़ुल इस्लाम नामक मुसलमान बिना किसी गुनाह के शंभू लाल नामक व्यक्ति ने हत्या कर दिया और उसके शव को आग लगा दिया जिसकी वीडियो क्लिप बनाकर सोषल मीडिया पर डाल दिया था जिसका विरोध हुआ तो पुलिस ने शंभू लाल को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन पुलिस शम्भूलाल को मानसिक रोगी और दिन भर नशे में धुत्त रहने के आदी बता रही है। जिससे साफ पता चलता है कि पुलिस शंभू को बचाना चाहती है कि वह जेल के बजाय मेंटल हॉस्पिटल चला जाये और उसे पागल साबित करके सजा से बचा लिया जाए। जिस तरह से शम्भू ने वीडियो में भाषण दिया है, उससे कहीं भी पता नहीं चलता कि वह पागल है।
मौलाना ने बताया कि चूंकि ये दोनों मामले मानवाधिकार के तहत भी आते हैं इसलिए हम इन दोनों मामलों को लेकर यह पत्र भेज रहे हैं, हम उम्मीद करते हैं कि वह पत्र को गम्भीरतापूर्वक लेकर अपने स्तर से जांच कराकर बेकुसूरों को राहत और कूसूरवारों को सख्त सज़ा दिलाएंगे। कुसूरवारों को ऐसी सज़ा दें कि अपराध करने से पूर्व असामजिक तत्वों के दिलों में पुलिस और क़ानून का खौफ पैदा हो , और सामान्य जन के मन में पुलिस और कानून के प्रति दृढ़ विश्वास की भावना और मजबूत हो सके।