मौका दरवाज़े पर दस्तक देता है, जीतते वो हैं जिनमें उस चौखट को पार करने का साहस है
सैमसंग इंस्पायर में बोलींपैरालम्पिक चैम्पियन दीपा मलिक
सैमसंग ने लॉन्च किया सैमसंग इंस्पायर, एक ऐसा मंच जो उन लोगों की प्रेरणादायक कहानियों का जश्न मनाएगा जिन्होंने कठिनाइयों और रूढ़िवादी लोगों को पीछे छोड़ अपने सपनों को पूरा किया है।
सैमसंग इंस्पायर के शुरुआती संस्करण में, भारत के टॉप इंजीनियरिंग कॉलेज और बी-स्कूल्स के सैंकड़ों युवा छात्रों और सैमसंग कर्मचारियों को दीपा मलिक से मिलने का मौका मिला, जिन्होंने अपने जीवन में चेस्ट डाउन पैरालिसिस जैसी कई कठिनाइयों को पीछे छोड़ते हुए 2016 के ग्रीष्मकालीन पैरालम्पिक खेलों में भारत को रजत पदक दिलाया था।
2016 कीविजेता, दीपा मलिकने बताया कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में आईं चुनौतियों और बाधाओं का सामना किया और साथ ही दूसरों को आगे बढ़ते रहनेकी प्रेरणा भी दी।
पद्म श्री और अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित और मोटर स्पोर्ट्स और तैराकी में रूची रखने वाली दीपा मलिक के नाम पर चार लिम्का वर्ल्ड रिकॉर्ड्स दर्ज हैं। एक एक्टिविस्ट के तौर पर, उन्होंने निःशक्तजन लोगों के पक्ष में कई नीतियों में बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
उत्साहिक दर्शकों के बीच अपनी ज़िंदगी की कहानी बयां करते हुए दीपा मलिक ने कहा, ‘हम अपने दिल की बात नहीं सुनते क्योंकि हम ये सोचते हैं कि लोग क्या सोचेंगे। मैं किसी की स्टीरियोटाइप नहीं बनूंगी।’
जयपुर में सैमसंग टेक्निकल स्कूल की पूर्व छात्रा और अब उसी स्कूल में सरकारी नौकरी के साथट्रेनर, सीमा नागरने कार्यक्रम में बताया कि अपने सपनों को हासिल करने के लिए कैसे उन्होंने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ समाज और लिंग संबंधित रूढ़ीवादी सोच के लोगों को पीछे छोड़ा और एक प्रशिक्षित टेक्नीशियन बनकर अपने माता-पिता और परिवार का नाम रोशन किया। सीमा, जिसकी ज़िंदगी की कहानी ने सैमसंग को उस पर फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया, जयपुर के नज़दीक एक छोटे से गांव से ताल्लुक रखती हैं और सफलता की सीढ़ी चढ़ने के बाद एक सिविल सर्विस अधिकारी बनना चाहती है।