गुजरात चुनाव: पिछड़ों-पाटीदारों पर भाजपा ने लगाया दांव
नई दिल्ली: बीजेपी ने गुजरात में सामाजिक समीकरणों को साधते हुए पिछड़ा व पाटीदार समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं। राज्य में सबसे ज्यादा लगभग 35 फीसदी आबादी वाले पिछड़ा वर्ग से 61 व पाटीदार समुदाय से 52 नेताओं को उम्मीदवार बनाया गया है। पाटीदार आंदोलन के बाद से सतर्क बीेजेपी ने न केवल इस समुदाय के अधिकांश मौजूदा विधायकों को फिर से उतारा है, बल्कि पिछली बार से सात ज्यादा पाटीदारों को टिकट भी दिए गए हैं।
बीजेपी ने छठी सूची में 34 नामों की घोषणा के सात राज्य की सभी 182 सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है। सोमवार को ही नामांकन भरने की आखिरी तारीख थी। सोमवार को घोषित सूची में पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल समेत पांच विधायकों के टिकट नहीं दिए गए हैं। हालांकि आनंदी बेन पहले चुनाव लड़ने से मना कर चुकी थी। बीजेपी की सूची में सामाजिक समीकरणों के हिसाब से 61 पिछड़ा, 52 पाटीदार, अनुसूचित जनजाति से 28, अनुसूचित जाति से 12, क्षत्रिय 13 और नौ ब्राह्मणों को उम्मीदवार बनाया गया है। अन्य समुदायों से सात उम्मीदवार उतारे गए हैं।
राज्य में आबादी के लिहाज से सबसे ज्यादा 35 फीसद पिछड़ा वर्ग है। बीजेपी ने इस बार पाटीदार आरक्षण आंदोलन के बाद अनिश्चितता के माहौल में इस समुदाय पर ज्यादा जोर दिया है। हालांकि उसने परंपरागत पाटीदार समुदाय को भी नहीं छोड़ा है और पिछली बार से ज्यादा पाटीदार उम्मीदवार खड़े किए हैं। हालांकि पाटीदार आबादी 15 फीसदी ही है। राज्य में दस फीसदी मुसलमान भी है, लेकिन बीजेपी ने एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिया है।
पार्टी की छठी व आखिरी सूची में पूर्व मंत्री जयनारायण व्यास को भी टिकट दिया गया है। व्यास पिछला चुनाव हार गए थे। आनंदी बेन पटेल की सीट से भूपेंद्र पटेल और राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सीट से कौशिक पटेल को टिकट दिया गया है।