पैगम्बर मोहम्मद स0 अ0 की मोहब्बत साम्प्रदायिकता के विनाश का एक आसान मार्ग है: किछौछवी
लखनऊ: आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिषन की एक बैठक जुलूस-ए-मोहम्मदी की तैयारी के सिलसिले में यासीनगंज, राम नगर, मोअज्जम नगर, वजीरबाग, गुलाब नगर, गढ़ी पीर खाॅ, अन्सार नगर, हरी सिंह फार्म, मोमीन नगर, नेवाती टोला आदि इलाके की अन्जुमनों के साथ बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद अयूब अशरफ किछौछवी ने कहा कि आगामी 1/2 दिसम्बर को पैगम्बर हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलेही वसल्लम का जन्म दिवस है इस मौके पर निकाले एवं मनाए जाने वाले जश्ने ईद मिलादुन्नबी व जुलूस-ए-मोहम्मदी को पूरी शानों शौकत के साथ मनाकर दुनिया इस्लाम को हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलेही वसल्लम से मोहब्बत का पैगाम देना होगा क्योकि सरकारे दोआलम सल्ललाहो अलेही वसल्लम की मोहब्बत दुनिया और आखिरत दोनों जगह हमारे लिए सरमाया है आज दुनिया सम्प्रदायकता एवं आतंकवाद का जो रास्ता अपनाए हुए है, उनके दिलों से सरकारे दोआलम की मुहब्बत निकल चुकी है क्योकि सरकार से मोहब्बत करने वाला कभी अतंकवादी नही हो सकता और इसकी जीती जागति मिसाल यह है कि आज पूरी दुनिया में जितनी भी सुफी संतो के आस्ताने है वहाॅ सभी धर्म एवं जाति के लोगों आते है और ये स्थान मानवता एवं गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल है और उनके मानने वाले न तो साम्प्रदायिक है और न ही आतंकवादी क्योकि यह औलिया अल्लाह के दिलों में पैगम्बर इस्लाम सल्ललाहो अलेही वसल्लम की मोहब्बत और इनकी बताई हुई बातों पर अमल करते हुए अपना जीवन गुज़ार रहा है।
आॅल इण्डिया मोहम्मदी मिशन यूथ वींग के अध्यक्ष सैयद मोहम्मद अहमद मियाॅ ने अन्जुमनों के पदाधिकारियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि परम्परागत जश्ने-मोहम्मदी एवं जुलूस-ए-मोहम्मदी की तैयारी तुम इस तरह करों जैसे की तुम ईद व बकरीद की करते हो। हो सके तो उससे ज़्यादा अच्छी तरह से करों क्योकि ये ऐसा दिन है जो ईदों की ईद है। सारी ईदें इसी आमद-ए-रसूल के सदके में बनी है। अन्जुमनों से कहा कि हमारा मकसद किसी को चिढ़ाना या परेशान करना नही है बल्कि सभी को साथ लेकर चलना है। जुलूस में चलते समय इस बात को पूरा ख्याल रखे कि हमारी वजह से किसी को कोई कष्ट न पहुचे बल्कि अगर रास्ते में कोई एम्बुंलेस या ट्राफिक की समस्या उत्पन्न हो तो पहले एम्बुलेन्स एवं ट्राफिक निकलाकर फिर जुलूस को आगे बढ़ाए इससे आपकी इन्सानियत और आपका आपके के आका हज़रत मोहम्मद सल्ललाहो अलेही वसल्लम की मोहब्बत का इज़हार भी होगा कि यह उनके मानने एवं चाहने वाले है जिनके हाथों एंव अमल से कभी किसी को कोई कष्ट नही पहुची। और 12 रबीअव्वल को पूर्व वर्षो की भाॅति परम्परागत जुलूस-ए-मोहम्मदी में षामिल होकर 12ः30 बजे दरगाह हज़रत मख्दुम शाहमीना पहुचे।