चुनाव आयोग ने कहा नीतीश का है ‘तीर’
अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है शरद यादव गुट
नई दिल्ली: चुनाव आयोग ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले जनता दल (यूनाइटेड) को असली जदयू करार देते हुए तीर चुनाव चिन्ह पर उसका दावे पर मुहर लगा दी है। नीतीश कुमार अभी जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। आयोग का यह फैसला जदयू नेता शरद यादव के लिए करारा झटका है, जिनका समर्थक खेमे ने अलग से राष्ट्रीय परिषद की बैठक कर खुद को असली जदयू बताया था। शरद खेमे ने फैसले पर असंतोष जाहिर करते हुए कहा है कि वह इसे उच्च अदालत में चुनौती देने समेत सभी विकल्पों पर विचार करेगा।
चुनाव आयोग ने अपने फैसले में दोनों खेमे को दावों व उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले खेमे को ही असली जदयू करार दिया है। आयोग ने कहा है कि नीतीश खेमे के पास पार्टी विधायक दल का पूर्ण समर्थन है। आयोग ने चुनाव चिन्ह नियमावली के 15 वें पैराग्राफ के आधार पर बिहार में राज्य स्तरीय दल के रूप में मान्यता प्राप्त जदयू को आवंटित तीर चुनाव चिन्ह का इस्तेमाल का अधिकार नीतीश खेमे को दिया है।
नीतीश कुमार के राजद के साथ महागठबंधन तोड़ने के बाद भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाने के मुद्दे पर जदयू दो फाड़ हो गया था और शरद खेमे ने खुद को असली जदयू करार दिया था। इसके बाद दोनों खेमों ने चुनाव आयोग में अपने अपने पक्ष में दावे किए और दलीलें दी थी।
नीतीश खेमे ने आदेश का स्वागत किया है। पार्टी महासचिव व प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा है कि आयोग ने नीतीश कुमार को पार्टी पदाधिकारियों और विधायकों, सांसदों के समर्थन के आधार पर यह आदेश दिया है। इसके लिए पार्टी का हर कार्यकर्ता बधाई का पात्र है।
शरद खेमे ने इसे किसी पक्ष विशेष के पक्ष में दिया फैसला करार दिया है। इस खेमे के नेता अरुण श्रीवास्तव ने कहा है कि आयोग का आदेश न्यायसंगत नहीं हैं। न्याय की लड़ाई जारी रहेगी और वे उच्च न्यायालय में जाने समेत अन्य विकल्पों पर विचार करेंगे।
जदयू के महासचिव संजय झा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि इस सारे विवाद के पीछे उसका हाथ था। झा ने कहा है कि महागठबंधन के समय भी कांग्रेस ने ही शरद यादव को साथ लेकर पार्टी में मतभेद पैदा करने की कोशिश की थी। अभी भी वह बागी खेमे को हवा दे रही है। जबकि सभी जानते थे कि जनादेश नीतीश कुमार के साथ था।