अयोध्या विवाद में नया अध्याय शुरू करने की जरूरत: श्रीश्री रविशंकर
अयोध्या: आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर गुरुवार को अयोध्या पहुंचे। यहां पहुंचते ही सीधे उन्होंने मणिराम छावनी का रुख किया और वहां श्री रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास से मुलाकात की। इस मौके पर न्यास अध्यक्ष ने उनका स्वागत किया और सीधे दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय में आयोजित संतों की बैठक में लेकर चले गए। करीब 20 मिनट बंद कमरे में श्री श्री के साथ संतों की बैठक हुई।
बैठक के बाद श्री श्री ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वह न्यास अध्य्क्ष महंत श्री दास के निमंत्रण पर अयोध्या आये हैं और सौहार्द का पैगाम देकर नया अध्याय शुरू करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सौहार्द का पैगाम समय की आवश्यकता है,भले इसमें दो या छह महीने का समय लगे। उन्होंने कहा कि संतों के मार्गदशर्न और आशीर्वाद से देश को सौहार्द का सन्देश देने का प्रयास किया जायेगा। उधर रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास ने कहा कि श्री श्री के आगमन से हम सभी को हार्दिक प्रसन्नता है और यह विश्वास है कि उनकी मध्यस्थता से समस्या का समाधान हो सकेगा।
अयोध्या आगमन से पहले बंगलुरु में ही पिछले दिनों श्रीश्री रविशंकर ने निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेन्द्र दास समेत अखाड़े के अन्य प्रतिनिधियों व सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड से जुड़े प्रतिनिधियों को भी आमन्त्रित किया था। दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों की अंदरखाने हुई वार्ता में निर्मोही अखाड़ा को मुख्य पक्षकार के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
सूत्र यह भी बताते हैं कि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड के प्रतिनिधियों ने विश्व हिन्दू परिषद के खिलाफ निर्मोही अखाड़ा के साथ खड़े होने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी है। अखाड़े के महंत दिनेन्द्र दास भी इसकी पुष्टि करते हैं। उनका कहना है कि सुन्नी बोर्ड सशर्त समझौते के लिए राजी है लेकिन पहले उसे सरकार के पक्ष से आश्वासन दिया जाना चाहिए। उधर मूल पक्षकार एवं अखिल भारतीय श्रीपंच रामानंदीय निर्वाणी अखाड़ा के महंत धर्मदास का कहना है कि फिलहाल उनकी क्या योजना है, इसका उनकी ओर से खुलासा हो जाए तभी आगे बात की जा सकती है। इसके पहले कुछ भी कहने-सुनने का कोई औचित्य नहीं है।