तेलंगाना में मिला उर्दू को दूसरी सरकारी ज़बान का दर्जा
नई दिल्ली: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य में उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाने का एलान किया है। यानी सरकारी कामकाज में तेलुगू के बाद उर्दू में भी कामकाज किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री केसीआर का लंबे समय से मुस्लिमों के प्रति रुझान रहा है। लिहाजा, माना जा रहा है कि उन्होंने तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुए उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया है। शुक्रवार (10 नवंबर) को एक सभा को संबोधित करते हुए केसीआर ने इसका एलान किया। इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि हिन्दी को दूसरी आधिकारिक भाषा होने का गौरव प्राप्त होगा मगर मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया।
रिपब्लिक टीवी के मुताबिक अपने संबोधन में मुख्यमंत्री केसीआर ने कहा, “लंबे समय से मांग की जा रही थी कि उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाई जाय। हालांकि, आंध्र प्रदेश का दृष्टिकोण तेलंगाना से अलग है। 23 जिलों में उर्दू भाषी लोग नहीं हैं, इसलिए वहां कुछ जिलों में यह लागू है और कुछ जिलों में नहीं है लेकिन हम यहां जिला स्तर पर नहीं बल्कि राज्य स्तर पर उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने का एलान करते हैं। अब पूरे तेलंगाना में उर्दू में भी कामकाज किया जा सकेगा।”