भारत और माॅरिशस के बीच बहुत पुराना एवं गहरा नाता है: मुख्यमंत्री
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज माॅरिशस के 183वें अप्रवासी दिवस पर वहां आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच बहुत पुराना एवं गहरा नाता है। उन्होंने कहा कि लगभग 183 वर्ष पूर्व शर्तबंद भारतीय मजदूरों के पहले दस्ते ने माॅरिशस आकर यहां के गन्ने के खेतों में काम करते हुए अपने अथक परिश्रम से इस देश को एक स्वतंत्र, आधुनिक एवं मध्य आयवर्गीय राष्ट्र के रूप में विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि माॅरिशस विकास की प्रक्रिया के साथ निरन्तर आगे बढ़ रहा है और एक विकसित राष्ट्र के रूप में दुनिया के मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहा है। इस अवसर पर उन्होंने भारत से आए उन सभी शर्तबंद मजदूरों के प्रति, जिन्होंने अपने परिश्रम और पुरुषार्थ से माॅरिशस को एक आधुनिक राष्ट्र बनाने में अपना योगदान दिया था, भारत की 125 करोड़ जनता की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने अप्रवासी घाट पर आगंतुक पुस्तिका में अपने उद्गार भी अंकित किए।
भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में अप्रवासी घाट पर आयोजित कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1834 से 20वीं शताब्दी के पूर्वाद्ध तक लगभग 05 लाख भारतीय श्रमिक माॅरिशस पहुंचे थे। उस समय गन्ने के खेतों और चीनी के कारखानों में काम करने वाले इन मजदूरों की हालत अत्यन्त दयनीय थी। ब्रिटिश उपनिवेशवादी सरकार ने मॉरिशस को एक प्रयोगात्मक उपनिवेश के रूप में चुना था।
इस प्रयोग की सफलता के परिणामस्वरुप तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने भारत से 10 लाख से भी ज्यादा शर्तबंद मजदूर, मॉरिशस, गयाना, त्रिनिदाद, फिजी, सूरीनाम आदि जैसे अपने विभिन्न औपनिवेशिक देशों में भेजे थे। उस दौरान लाखों की संख्या में मजदूर भारत से मॉरिशस लाए गए थे, जिनमें से अधिकतर मजदूर मॉरिशस के स्थाई नागरिक होकर यहीं इसी मिट्टी में रच-बस गए।
आज माॅरिशस गुलामी और शोषण के अतीत से निकलकर एक सम्पन्न और समृद्ध देश के रूप में विश्व मानचित्र पर अपनी पहचान बना चुका है। उन्होंने कहा कि आज माॅरिशस शर्तबंद भारतीय मजदूरों की बदौलत भारत की तरह एक जीवंत, लोकतांत्रिक, बहुसांस्कृतिक और बहुजातीय राष्ट्र है।
योगी ने कहा कि भारत और मॉरिशस के सम्बन्धों का आधार भावनात्मक और ऐतिहासिक है, जो दोनों देशों की सांझी सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा है। इस देश में बसने वाले भारतीयों ने अपनी आस्था और सांस्कृतिक विरासत का साथ कभी नहीं छोड़ा। उन्होंने कहा कि गंगा जी जितनी पवित्र भारतीयों के लिए हैं, माॅरिशसवासी भी गंगा जी और भारत के प्राचीन तीर्थों को उतना ही सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा कि माॅरिशस का ‘गंगा तलाव’, बस्तियों के बाहर ‘काली माई’ का स्थान और यहां पर मौजूद सैकड़ों की संख्या में मन्दिर इस बात का प्रमाण हैं।
मुख्यमंत्री ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि मॉरिशस द्वारा यूनेस्को के प्रस्ताव पर शर्तबंद मजदूरों के मार्ग को खोजने के लिए एक अन्तर्राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति की पहली बैठक अभी हाल ही में आयोजित की गई। इस महत्वपूर्ण कदम से शर्तबंद मजदूरों की विश्व भर में व्यापकता एवं इस कारण उन देशों की आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था एवं विकास पर पड़ने वाले परिणामों पर विशिष्ट और वैज्ञानिक शोध का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने अगले वर्ष मॉरिशस में आयोजित होने वाले 11वें विश्व हिन्दी सम्मलेन की तैयारियों पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह आयोजन हिन्दी को लेकर मॉरिशस की प्रतिबद्धता व गम्भीरता का द्योतक है।
योगी जी ने कहा कि हिन्दी भाषा को समृद्ध बनाने में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है। इस आधार पर भी उत्तर प्रदेश का माॅरिशस से गहरा नाता है। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि शर्तबंद मजदूरों के यहां आने से पहले ही उत्तर प्रदेश और माॅरिशस के सम्बन्ध स्थापित हो गए थे। उत्तर प्रदेश के तमाम लोग 19वीं शताब्दी के तीसरे दशक से गन्ने के खेतों में काम करने के लिए माॅरिशस आने लगे थे। इस समय उत्तर प्रदेश के कई अप्रवासी माॅरिशस के विकास एवं सुदृढ़ीकरण में अपनी एक अलग पहचान बना चुके हैं। उन्होंने इस सम्बन्ध को और अधिक प्रगाढ़ एवं भावनात्मक बनाने की अपील करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश एवं माॅरिशस उद्योग, निवेश एवं पर्यटन के क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए आगे बढ़ेंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने माॅरिशस से उत्तर प्रदेश के भावनात्मक सम्बन्धों को देखते हुए दोनों देशों के संयुक्त तत्वावधान में उत्तर प्रदेश के वाराणसी जनपद में एक सांस्कृतिक केन्द्र स्थापित करने की सहमति देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार इसके लिए भूमि उपलब्ध कराएगी। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि अगले वर्ष जब माॅरिशस में अप्रवासी दिवस का आयोजन हो तो, उस अवसर पर न केवल उत्तर प्रदेश व बिहार से भोजपुरी से जुड़े कुछ विशिष्ट आयोजनों का यहां पर मंचन हो, बल्कि विभिन्न देशों में आयोजित की जाने वाली रामलीला का विशिष्ट आयोजन किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए टीम भेजने में प्रसन्नता होगी।
योगी जी ने उत्तर प्रदेश में अपने पूर्वजों की जन्मस्थली को देखने के लिए अप्रवासी भारतीयों को आमंत्रित करते हुए कहा कि इस आवागमन से जहां उत्तर प्रदेश एवं माॅरिशस में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, वहीं भावनात्मक सम्बन्ध और अधिक प्रगाढ़ होंगे। अपार सम्भावनाओं और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के कारण भारत के लिए उत्तर प्रदेश का वही महत्व है, जो सम्पूर्ण विश्व के लिए भारत का है।
उत्तर प्रदेश को असीमित सम्भावनाओं वाला राज्य बताते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि इससे भारत की बहुलतावादी संस्कृति को एक विशिष्ट पहचान मिली। उन्होंने क्षेत्रफल एवं आबादी के कारण उत्तर प्रदेश को देश का सबसे बड़ा बाजार बताते हुए कहा कि यह प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यन्त समृद्ध है। इस प्रदेश में जहां रामायण सर्किट के तहत अयोध्या, चित्रकूट तथा श्रंगवेरपुर जैसे पवित्र स्थल हैं, वहीं कृष्ण सर्किट के अन्तर्गत मथुरा, वृन्दावन, गोवर्धन, गोकुल, बरसाना और नंदगांव भी हैं। बौद्ध सर्किट के अन्तर्गत सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कौशाम्बी तथा संकिसा भी इसी राज्य में अवस्थित होने के साथ-साथ विश्व प्रसिद्ध ताज महल, फतेहपुर सीकरी तथा आगरा फोर्ट भी इसी राज्य के आगरा नगर में स्थित है।
मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश में पर्यटन की अपार सम्भावना का उल्लेख करते हुए कहा कि आगरा, मथुरा, अयोेध्या, वाराणसी, चित्रकूट तथा बुन्देलखण्ड के पर्यटन विकास के लिए प्रदेश सरकार के नवीन प्रयासों को देश व दुनिया ने उत्सुकता से देखा और सराहा है। कुछ दिनों पूर्व, अयोध्या में पर्यटन विकास के उद्देश्य से सरयू जी के पावन तट पर ‘दीपोत्सव’ आयोजित किया गया था, जिसे पूरे देश और दुनिया ने न केवल देखा बल्कि दीपावली के उद्भव के बारे में दुनिया के सनातन हिन्दू धर्मावलम्बियों को जानकारी मिली कि वास्तव में दीपावली का विशिष्ट आयोजन कहां से प्रारम्भ होता है और इसके पीछे का उद्देश्य क्या है।
योगी जी ने कहा कि भगवान श्रीराम तथा भगवान श्री कृष्ण की जन्मस्थली उत्तर प्रदेश में ही है। इसके अलावा, महात्मा बुद्ध तथा महावीर स्वामी के जीवन से जुड़े अनेक स्थल भी उत्तर प्रदेश में हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2019 में प्रयाग में कुम्भ का विशाल आयोजन है, जिसमें सम्पूर्ण विश्व से श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होंगे। इसे विश्व का सबसे बड़ा सांस्कृतिक आयोजन होगा, जिसमें 12 से 15 करोड़ श्रद्धालुओं का आगमन अनुमानित है। उन्होंने माॅरिशसवासियों को उत्तर प्रदेश में आयोजित प्रयागराज कुम्भ में सम्मिलित होने के लिए आमंत्रित भी किया।
मुख्यमंत्री ने प्रदेश सरकार द्वारा निवेश में बढ़ोत्तरी एवं विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि निवेश प्रक्रिया को सुगम और आकर्षक बनाते हुए कई नीतिगत निर्णय लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की गई है। निवेशकों को एक छत के नीचे समस्त सम्बन्धित विभागों से एन0ओ0सी0 प्राप्त करने के लिए आॅनलाइन सिंगल विण्डो पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जिसकी निगरानी सीधे उनके कार्यालय द्वारा की जाएगी।
अपने सम्बोधन के अन्त में, मुख्यमंत्री ने बाबू रघुवीर नारायण सिंह की बटोहिया कविता की ‘सुंदर सुभूमि भैया भारत के भूमि, जेहि जन रघुबीर सिर नावे रे बटोहिया’ का उल्लेख करते हुए माॅरिशसवासियों को अपने पूर्वजों की भूमि से जुड़ने का आह्वान किया।
इस अवसर पर माॅरिशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ, भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गिरिराज सिंह सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।