प्रदेश में नगर निकाय चुनाव सभी दलों के पास एक बार फिर मौका
मृत्युंजय दीक्षित
लोकसभा व विधानसभा चुनावों के बाद अब प्रदेश में नगर निकाय चुनावों को लेकर रणभेरी बज चुकी है। विगत दो चुनावों में प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की बयार में सभी दलों का दीवाला निकल चुका है। उप्र के निकाय चुनावों का इस समय बेहद महत्व बढ़ गया है। यह चुनाव प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार केे लिए पहली बड़ी अग्निपरीक्षा साबित होने जा रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व भारतीय जनता पार्टी का नेतृत्व इन चुनावोें को इस बार पूरी गंभीरता से ले रहा है तथा विरोधी दलों को कोई अवसर नहीं देना चाह रहा है। इस बार के निकाय चुनावों मंे कई परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।
लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भाजपा के हाथों अपनी पराजय से आहत सभी दलों ने इस बार सभी दलांे ने अपने पार्टी सिंबल पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है तथा इस बार के निकाय चुनावों में आम आदमी पार्टी व कुछ क्षेत्रीय- छोटे दल भी पहली बार अपना भग्य आजमाने जा रहे है। निकाय चुनावों के परिणामों का बड़ा गंभीर असर पडे़गा। यदि भारतीय जनता पार्टी प्रदेश भर के इन चुनावों में बंपर सफलता हासिल करती है तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय का प्रभाव बढ़ेगा। वहीं गुजरात व हिमांचल के चुनावों में भी भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा। अभी फूलपुर व गोरखपुर संसदीय सीटों का उपचुनाव नहीं घोषित हुआ हैं वहां के जनमानस पर भी गहरा असर पड़ेगा। निकाय चुनावों के परिणामोें से योगी सरकार के विकास कार्यों व भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई का मजबूती प्रदान होगी। साथ ही भाजपा नेतृत्व पूरी ताकत व हमलावर नीति के तहत मिशन 2019 के लिये जुट जायेगा। निकाय चुनावों के परिणामों से जिन दलों ने मुख्मंत्री योगी आदित्यनाथ व उनकी सरकार केे खिलाफ अभियान चला रखा है उनको अपनी रणनीति पर नये सिरे से विचार करना होगा। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी को आमतौर पर शहरी क्षेत्रों की पार्टी माना जाता है लेकिन इस बार सपा, बसपा व कांग्रेस सहित अन्य सभी दल अपनी जमीन को शहरी क्षेत्रों में फैलाने के लिये नयी रणनीति व मुददों के साथ मैदान में उतरकर योगी सरकार व भारतीय जनता पार्टी की कड़ी अग्निपरीक्षा लेने के लिए मैदान में उतर रहे हैं।
लोकसभा व विधानसभा चुनावों में भरतीय जनतापार्टी के हाथों यदि किसी दल को सबसे अधिक निराशा हाथ लगी है तो वह हैं समाजवादी पार्टी व बहुजन समाजवादी पार्टी। लोकसभा व विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी की पारिवारिक विवादांें व सत्ता विरोधी रूखों के चलते भारी पराजय का सामना करना पड़ा। कांग्रेस का भी राजय में बुरा हाल हो गया है तथा वह हर चुनाव मंें जितना उठना चाहती है वह उतना ही नीचे जा रही है।
प्रदेश में निकाय चुनाव का कार्यक्रम ऐलान हो गया है तथ अब सभी दलों ने अपने उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया तथा चुनाव संबंधी समस्त कामों में तेजी ला दी है। सबसे पहले समाजवादी दल ने अपने सात मेयर उम्मीदवारों सहित पार्षद उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का ऐलान किया है। समाजवादी पार्टी ने अयोध्या में किन्नर प्रत्याशी गुलशन पर दावं लगाकर सभी को चैंकाने का प्रयास किया है यह दांव वहां पर कितना फलीभूत होता है यह तो चुनाव परिणाम ही बतायेगा । समाजवादी दल ने जिस प्रकार से एक किन्नर को यहां पर मैदान में उतारा है वह यहां के हीं नहीं समस्त हिंदू जनमानस व समस्त लोकतंत्र के साथ गंदा मजाक किया है। इससे पता चल रहा है कि समाजवादी पार्टी की भगवान राम व हिंदू समाज के प्रति कितना सम्मान है। अयोध्या- फैजाबाद में पहली बार मेयर का चुनाव होने जा रहा है तथा यह सीट सभी दलों के लिए प्रतिष्ठा की सीट बन गयी है। मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ अपनी पूरी कैबिनेट के साथ अयोध्या का दौरा कर चुके हैं तथा धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ही विकास की कई परियोजनाओं का शिलान्यास भी कर चुके हैं। संतों को लुभाने के लिए अयोध्या में भगवान राम 108 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का भी प्रस्ताव पास हो चुका है। एक प्रकार से अयोध्या व रामपथ का पूरी तरह से चहुमुंखी विकास करने की सरकार की योजना है। नगर निगम चुनावों की घोषणा के पहले प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में धुंआधार शिलान्यास कर डाले व कई विकास परियोजनाओं का ऐलान अपने – अपने क्षेत्रों में करके अपनी उपस्थिति जनता के बीच दर्ज कराने का प्रयास किया। इन चुनावों को जीतने के लिए भाजपा पूरी ताकत लगाने जा रही है।
यह चुनाव भाजपा के लिए बेहद कड़ी अग्निपरीक्षा साबित होने जा रहे हैं। प्रदेश में प्रचंड बहुमत की भाजपा की सरकार बने छह माह से भी अध्किा का समय बीत चुका है इस दौरान कई अच्छे कार्य भी हुए हैं तथा कुछ नतीजे आने में अभी भी समय लगेगा। वहीं विरोधी दल सरकार के छह माह की कुछ नाकामियों को आधार मानकर अपने चुनाव प्रचार में आगे बढ़ने जा रहे है। जिसमें गोरखपुर में बच्चों की मौत , प्रदेश में आपराधिक वारदातों में कमी न आ पाना , शिक्षामित्रों व लखनऊ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्जा व वाराणसी विश्वविद्यालय में घटी घटनाओं आदि को मुददा बनाकर मार्हाेल बनाना चाह रहे हैें। विपक्ष की नजर में सरकार से नाराज वह व्यापारी भी हैं जिन्हंे लगता है कि नोटबंदी व जीएसटी से उन्हें नुकसान हुआ है तथा वे भी भाजपा के खिलाफ अपनी नाराजगी का इजहार कर सकते हैं। अभी हाल ही में सरकार की हाईकोर्ट में नये वकीलों की नियुक्ति हुई उसमें पुरानी सरकारों के वकीलों को ही तरजीह दी गयी जिससे भी भाजपा व संघ समर्थित वकीलों में नाराजगी है। ऐसा पहली बार देखने में आ रहा है कि उप्र के नगर निगम चुनाव जिन्हें स्थानीय मुददों का चुनाव माना जाता था लेकिन इस बार इन चुनावों में राष्ट्रीय हित के मुददे भी अपना असर डालते दिखलायी पड़ रहे हैें। नगर निगम चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को विपरीत से विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता मिलती रही है लेकिन इसबार परिदृश्य बदल गया है। राहे आसान हैं, लेकिन मंजिलंेे बेहद कठिन हैं , जरा सी चुूक सरकार व संगठन को भारी पड़ सकती है। यही कारण है कि संगठन व सरकार काफी तैयारी कर रही है। प्रदेश भाजपा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की 25 से अधिक जनसभायें कराने का कार्यक्रम बनाया है तथा हर जिले व हर क्षेत्र के लिए अलग चुनाव घोषणा पत्र लाने कामन बनाया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय पूरे मनोबल के साथ भाजपा के कार्यकर्ताओं में जोश भ रहे हैं तथा वह कह रहे हंै कि कम से कम 80 फीसदी सीटों पर कमल खिलाकर पीएम मोदी व सीएम योगी को गिफ्ट में देनी हैं। अगर भारतीय जनता पार्टी अपना लोकसभा व विधानसभा वाला प्रदर्शन दोहराने में सफल हो जाती है तो आगामी लोकसभा चुनावों के लिए नयी ऊर्जा का संचार कार्यकर्ताओं व सरकार में आ जायेगा।
इस बार नगर निगम चुनावों में यदि सबसे बड़ा फैक्टर भाजपा के लिए आगे आने वाला है तो वह है बहुजन समाजवादी पार्टी व आम आदमी पार्टी का चुनावी मतैदान में अपने सिंबल में ताल ठोकना। बसपा पहली बार निकाय चुनावों में उतरकर अपनी शहरी इलाकों में उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है तथा वह पूरी कोशिश करेगी कि वह कहीें न कहीं चैंकाने वाले परिणम अवश्य दे। हर चुनावों की तरह वह इन चुनावों में भी केवल दलित -मुस्लिम गठजोड़ के सहारे ही मैदान में उतरने जा रही है। वहीं आम आदमी पार्टी ने नगर- निगमों में व्याप्त भ्रष्टाचार व गंदगी सहित प्रशासनिक विफलताओं को मुददा बनाकर तथा दिल्ली की तर्ज पर लोकलुभावन नारे देकर अपनी उपस्थ्रिाति दर्ज कराने का प्रयास करेगी। चाहे जो हो इसबार उप्र के निकाय चुनाव किसी बड़े चनावों से कम नहीं होने जा रहे हैं। । जिसके लिए प्रशासनिक तैयारी भी पूरी हो चुकी है। प्रशासन ने चुनावों के पहले स्थानीय अपराधियों व गुंडों पर कार्यवाही प्रारम्भ कर दी है। अवैध शराब के कारोबारियों पर कड़ी कार्यवाही प्रारम्भ हो गयी है। दलों व उम्मीदवारों के खर्चा आदि पर भी पूरी नजर रखी जा रही है। कई जिलों से अवैध शराब का वितरण करने व कराने वाले लोगों पर कार्यवाही की भी गयी है।