टीयूटीसी ने दुधवा में लांच किया एक नया लक्जरी लाॅज
लखनऊ: भारत में लक्जरी कैंपिंग की दुनिया में अगुआ दी अल्टीमेट ट्रेवलिंग कैंप (टीयूटीसी) मेहमानों को एक नए अनुभव के लिए आमंत्रित करने को तैयार है। लग्जरी कैंपिंग कंपनी टीयूटीसी उत्तर प्रदेश के तराई के वर्षा वनों की गहराई में बसे जागीर लाॅज, दुधवा में एक लक्जरी लाॅज की लाॅन्चिंग के साथ अपनी सेवाओं का विस्तार कर रही है।
विशाल हिमालय की तलहटी में स्थित, 1940 में निर्मित यह औपनिवेशिक संरचना भारत के चार अलग-अलग वनों में प्रवेश का द्वार है – दुधवा, कतरनियाघाट, किशनपुर और पीलीभीत। दुधवा टाइगर रिजर्व के नजदीक के भीतर बना लॉज लंबे समय से चलने वाले बंगाल टाइगर संरक्षण कार्यक्रम का भी गवाह रहा है – प्रोजेक्ट टाइगर प्रसिद्ध संरक्षणवादी बिली अर्जन सिंह द्वारा समर्थित।
दुधवा कुछ लुप्तप्राय प्रजातियां जैसे टाइगर्स, एक सींग वाले भारतीय गैंडे, गंगा नदी डॉल्फिन और मत्स्य विडाल का घर है। घास के मैदानों में एक सींग वाले भारतीय गैंडों के प्राकृतिक आवास हैं, जो 1984 में काजीरंगा के आस-पास असम के जंगलों में पकड़े गए थे और 1984 में राइनो रिहाबिलिटेशन प्रोजेक्ट के तहत दुधवा लाये गए थे। तब से दुधवा विशालकाय गैंडों का प्राकृतिक आवास रहा है।
दुधवा भारत में सबसे जैवविविधता वाले क्षेत्रों में से एक और लुप्तप्राय पारिस्थितिक तंत्र है। देश में कुछ संरक्षित क्षेत्रों में से एक इस पार्क में स्तनधारी जीवों की 38 प्रजातियां पाई जाती हैं, जबकि मछली की यहां 90 प्रजातियां हैं और पंछियों की करीब 500 प्रजाति यहां मिलती हैं।
यह पार्क बाघों के विचरण के लिए प्रसिद्ध है और दुनियाभर में पाए जाने वाले 4,000 बारहसिंघाओं में से आधे यहां पाए जाते हैं। यहां मछली की 90 अलग-अलग प्रजातियां मिलती हैं, साथ ही भारतीय मगरमच्छ और जंगली हाथियों के साथ यहां घडियाल को भी अपने प्राकृतिक आवास स्थान में देखा जा सकता है।
संरक्षित क्षेत्र के एक हिस्से के रूप में दुधवा राष्ट्रीय उद्यान भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित है और लखनऊ हवाई अड्डे से 5 घंटे की ड्राइविंग के साथ यहां पहुंचा जा सकता है। शानदार लक्जरी यात्रा के अनुभव के लिए दिल्ली से चार्टर विमान के जरिए बलिया हवाई पट्टी पर उतरा जा सकता है जो लॉज से सिर्फ 12 किलोमीटर दूर है।
टीयूटीसी का जागीर लॉज मेहमानों को ठहरने के लिए सिर्फ एक शानदार सुविधा उपलब्ध कराने का वादा ही नहीं करता, बल्कि यह भारत के सबसे विविध और उत्पादक तराई पारिस्थितिकी तंत्र में की जा रही संरक्षण पहल के बारे में भी मेहमानों को परिचित कराता है। भारत के सर्वोत्तम प्रशिक्षित संरक्षणवादियों और प्रकृतिवादियों के साथ हम एक सींग वाले भारतीय गैंडों के लिए एक प्राकृतिक आवास के रूप मंे दुधवा के बदलने के सफल अभियान के बारे में भी सीख सकते हैं।
इस नई शुरुआत के बारे में टीयूटीसी के सीओओ श्री रजनीश सभरवाल कहते हैं, ‘ हम दुधवा में हमारे नए जंगल लॉज सफारी की शुरुआत को लेकर बहुत उत्साहित हैं। तराई के जंगलों की गहराई तक रक्षित जागीर लॉज एक खूबसूरत औपनिवेशिक संरचना के साथ एक दुर्लभ खोज है और हमारा विचार था कि विलासिता के सुखों के साथ वन्यजीवों की तलाश करने वाले सम्मानित यात्रियों के लिए इस छिपे हुए खजाने को सामने लाने का यह एक शानदार मौका है। इसके साथ ही टीयूटीसी का उद्देश्य लक्जरी सफारी पर्यटन के ऐसे क्षेत्र में प्रवेश करना है, जो अब तक अछूता ही है। दूसरी तरफ हम पर्यटकों को भारत के अनजाने और असाधारण स्थानों की यात्रा कराना भी जारी रखेंगे। टीयूटीसी के जगीर लॉज दुधवा में पर्यटकों को हमारे अन्य लक्जरी कैंपिंग के समान ही गर्मजोशी से भरी असाधारण सेवाएं प्रदान की जाएंगी।‘