मृत्युंजय दीक्षित

विगत विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश की बिगड़़ती हुई कानून और व्यवस्था को मुख्य मुददा बनाया था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने कानून व व्यवस्था के खिलाफ शपथ लेते ही मोर्चा खोल दिया था। लेकिन पहले से ही बदहाल हालात को नियंत्रण में लाने के लिए सरकार को कठोर फैसले लेने पड़ रहे हैें। जिसका असर अब दिखलायी पड़ रहा है। यह बात बिलकुल सही है कि प्रदेश में निवेश व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए बेहतर कानून व्यवस्था बेहद जरूरी है ताकि लोग भयमुक्त वातावरण में अपने कामों को अंजाम दे सकें तथा प्रदेश विकास के पथ पर अग्रसर हो सके। अब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कानून – व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़े तेवर अपना लिये हंै। मुख्यमंत्री ने कानून और व्यवस्था की समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि प्रदेश में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है। उन्हेें प्रदेश छोड़ने के लिए विवश किया जाये। उन्होंने सर्वे करके प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे अवैध विदेशियों जिनका मतलब अवैध बांलादेशियों ,रोहिंग्या मुसलमान , अवैध रूप से रह रहे व गायब हो चुके पाकिस्तानियों से है को निकाल बाहर करने का फरमान जारी कर दिया है। सरकार के उक्त फैसले से राजनीति भी होने की संभावना है तथा सरकार के उक्त कदम से सेकुलर दस्ते को काफी परेशानी हो सकती है। सबसे बड़ा निर्णय सरकार ने यह लिया है कि पीएसी की जो 73 कंपनियां बंद कर दी गयी थीं उन्हें फिर से गठित करने का निर्णय लिया है। इससे भी सेकुलर दस्ते व मुस्लिम समाज को भारी परेशानी हो सकती है तथा सरकार का विरोध भी हो सकता है।
प्रदेश में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठिये काफी दिनों से शक व संदेह के घेरे मेें थे। कई बार पुलिस प्रशासन व नगर निगमों आदि ने कार्यवाही करने की आवश्यकता बतायी लेकिन वोटबैंक की राजनीति व मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दलांे के चलते अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान नहीं चलाया जा सका था। इन लोगों के समर्थन में सपा ,बसपा व अन्य दलों के नेता तुरंत धरना व प्रदर्शन शुरू कर देते थे। लेकिन अब हालात बेहद दयनीय हो चुके हैं। यह नागरिक कानून व व्यवस्था के लिए बेहद सिरदर्द बन चुके हैं तथा इनको कुछ हद तक राजनैतिक संरक्षण भी प्राप्त हो रहा है। लेकिन यह बात भी बिलकुल सही है कि प्रदेश में मजबूत सरकार व मजबूत मुख्यमंत्री के बावजूद अभी इन बांग्लादेशियों को निकालना आसान नहीं होगा। पहले पूरे प्रदेश भर में इनका सर्वे किया जायेगा।

प्रदेश के खुफिया अधिकारियों व गृह विभाग का मानना है कि बांग्लादेशी घुसपैठिये न सिर्फ लखनऊ अपितु प्रदेश के कई अन्य जिलों मंे रह रहे हैं तथा हर प्रकार से संगीन अपराधों को अंजाम दे रहे हैं तथा इनकी झुग्गियां अपराधियों को संरक्षण दे रही हैं। बांग्लादेशी घुसपैठियों की झुग्गियों में नशीले पदार्थे की तस्करी व लड़कियांे, महिलाओं के साथ रेप आदि की वारदातों में भी इन लोगों का हाथ होने की संभावना बनी तथा कुछ पकढड़े भी गये है। खुलासा कई घटनाओं मंे हुआ है। राजधानी लखनऊ मंे तो गोमीनगर व पीजीआई आदि में हुई डकैती की कई घटनाओं में बांग्लादेशी नागरिकों की संलिप्तता पाई गयी थी। अब सरकारी तेवरों के बाद लखनऊ जिला प्रशासन ने इन नागरिकों के खिलाफ रोडमैप तैयार कर लिया है। माना जा रहा है कि यह बांग्लादेशी शहर मंे कूड़ा बीनने का काम करते हंै तथा अब तो यह रिक्शा चलाने से लेकर कबाड का धंधा तक करने लग गये हैं। पुलिस का कहना है कि बाहर से तो इनकी झुग्गी झोपड़ियां बेहद मलिन दिखती हैं लेकिन अंदर जाने पर वहां टीवी, डिश एंटीना, फ्रिज, कूलर, समेत सुख – सुविधा का हर साजो सामान मिलेगा। इन लोगों के आधार कार्ड तक बन गये हैं तथा वोटर लिस्ट में नाम तक लिखा जा चुका है। यहीं नहीं इन लोगों के पास राशन कार्ड भी मिल जोंगे। अब इन सभी गतिविधियों की तथा उनको राजनैतिक, सामाजिक तथा आर्थिक संरक्षरणदाताओं का भी पता चल सकेगा। एडीजी कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने बताया है कि सर्वे में हर प्रकार के विदेशी नागरिकों को चिन्हित किया जायेगा। अभी राजधानी लखनऊ में 9 दिसम्बर 2016 को केमिकल कारोबारी के घर पर पड़ी डकैती में भी इन्हीं तत्वों को पुलिस ने पकड़ने में सफलता प्राप्त की थी। माना जा रहा है कि राजधानी लखनऊ में 90 हजार बांग्लादेशी रह रहे हंैं। प्रदेश के अन्य जिलों में भी इनकी तादाद लगभग इसके आसपास ही रहने का अनुमान है जो आज प्रदेश की कानून व्यवस्था को खुली चुनोती दे रहे हंै। प्रदेश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़े तेवर अपनाये हैं।

मुख्यमंत्री ने कानून व्यवस्था को ठीक करने के लिये बेहद कड़ेे तेवर अपना लिये हैं तथा उन्होंने साफ कह दिया है कि अब पुलिस प्रशासन पर किसी प्रकार का राजनैतिक दबाव नहीे है। तब परिणाम क्यों नहीं निकल रहे। उनका साफ कहना है कि अपराधी चाहे जैसा हो उसे कुचल दिया जाये। अब किसी भी प्रकार का सियासी दबाव नहीे है तब घटनायें क्यों न रूकें।

उप्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार को सत्ता संभाले छह माह हो चुके हैं लेकिन अभी तक नयी सरकार बनने के बाद कानून व्यवस्था में कोई विशेष सुधार नहीं दिखलायी पड़ने के कारण सरकार को काफी आलोचना सुननी पड़ रही थी लेकिन अब मुख्यमंत्री व सरकार के लगातार कड़े तेेवरों के बाद परिस्थितियों में काफी तेजी से परिवर्तन आ रहा है। अब अपराधियों के मन में पुलिस बलांे का खौफ कुछ सीमा तक कायम होने लग गया है। पुलिस बलों का हौसला एक बार फिर बुलंद होने लग गया है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुलिसकर्मियांे के लिए पुरस्कार राशि भी काफी बढ़ा दी है। साथ ही जो पुलिसकर्मी सरकार व जनता की भावनाओं के अनुरूप परिणाम दे रहे हैं उनकी प्रशंसा भी कर रहे हैं।

प्रदेेश सरकार ने मोहर्रम व विजयादशमी का पर्व जहां शांतिपूर्वक मनायागयावहां के अफसरों को षाबाशी दी तथा जहां पर हिंसा हुई है वहां के मातहत अफसरों के प्रति नाराजगी का इजहार भी किया जा रहा है तथा सभी संबंधित अफसरों को सख्त संदेश भी दिये जा रहे हंै। इन सभी का असर प्रशासन पर अवश्य दिखलायी पड़ेगा तथा कुछ असर देखा भी जा रहा है।

अब प्रदेश भर मेें अपराध व अपराधियों तथा उनको संरक्षण देने वाले समाज विरोधी तत्वों के खिलाफ माहौल बनने लग गया है। यह बात कोई ओैर नहीं अपितु पुलिस विभाग के आंकड़े बता रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार 20 मार्च से 14 सितंबर के बीच प्रदेश मंे पुलिस व बदमाशों के बीच हुई 420 मुठभेड़ों में अब तक 18 दुर्दात अपराधी मारे जा चुके हैं। जबकि 1106 को गिरफ्तार करके जेल भेजा जा चुका है। पुलिस विभाग का दावा है कि पुलिस मुठभेड़ों के दौरान अब तक 84 बदमाश गोली लगने से घायल हुए जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया । चित्रकूट में डकैतों से हुई मुठभेड़ में उपनिरीक्षक जयप्रकाश सिंह शहीद हुए जबकि अब तक हुई मुठभेड़ों में 88 पुलिसकर्मी बदमाशों की गोली लगने से घायल हुए हैं। प्रदेश मंे एक अप्रैल से अब तक 868 पुरस्कार घोषित अपराधियों को गिरफ्तार करके जेल भेजा गया है। 54 अपराधियों के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाइ की गयी है। गंैगस्टर एक्ट के तहत पुलिस ने 67 बदमाशों की अपराध के माध्यम से अर्जित की गयी संपत्ति को सीज कर लिया है। छह भू – माफिया की करीब 35 करोड़ की संपत्ति सीज करायी गयी है।

मुठभेड़ के मामलों में टाॅप -5 जोन में मेरठ सबसे ऊपर है। जिसमें 193 मुठभेड़ मेरठ जोन में फिर 84 मुठभेड़ आगरा जोन में , 60 बरेली, 44 कानपुर – जोन में और सबसे कम 19- इलाहाबाद जोन में हुई हैें। इनामी अपराधियों की गिरफ्तारी के मामले में बरेली सबसे आगे रहा। यहां सबसे अधिक 209 ईनामी अपराधियों की गिरफ्तारी की गयी है। सबसे अधिक अपराधी मेरठ जोन में मारे गये जिनकी संख्या नौ है। अभी हाल ही इलाहाबाद पुलिस ने 8 शार्प शूटरों को हथियार सहित पकड़ने में सफलता प्राप्त की है। जब से पुलिस ने अपनी कार्रवाही प्रारंभ की है तब से अबब समाजवादी पार्टी ने एनकाउंटरांे पर सवाल भी उठाने शुरू कर दिये है। लेकिन फिलहाल योगी सरकार इन सब बातों का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। अब अपराध व अपराधियों को संरक्षण देने वालांेे के मन में खौफ पैदा होन का समय आ गया है।