आर्थिक नियोजन में लेखा संवर्ग का महत्वपूर्ण रोल होता है: नाईक
लखनऊ: मैं आपके ही कुल का हूँ। मैंने 1954 में बी0काम0 की परीक्षा पास की। महालेखाकार कार्यालय मुंबई में अपर डिवीजन क्लर्क के रूप में भुगतान शाखा से नौकरी की शुरूआत की। लोकसभा में लोक लेखा समिति का अध्यक्ष रहा हूँ। समय के साथ हर क्षेत्र में परिवर्तन आया है मगर डेबिट और क्रेडिट तो वही रहता है। उक्त विचार उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने आज उत्तर प्रदेश प्रभागीय लेखा/लेखाकार संघ के 26वें द्विवार्षिक अधिवेशन में व्यक्त किए। इस अवसर पर महालेखाकार मोनिका वर्मा, उप महालेखाकार (निर्माण) अनिल विरोदकर, संघ के अध्यक्ष उमाकांत, महासचिव डाॅ0 मदन सिंह सहित अन्य पदाधिकारी एवं विभाग के सहयोगीजन उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि लेखाधिकारी एवं लेखाकार सरकार की रीढ़ की हड्डी जैसे हैं। लेखाधिकारी एवं लेखाकार अपने दायित्व का नियमानुसार निर्वहन करें। कार्य में बिना वजह बाधा न डालें तथा समय पर उसका निराकरण करें। सरकारी ढांचे में लेखाधिकारी एवं लेखाकारों की मुख्य भूमिका होती है, वे देश की तिजोरी के रखवाले हैं। इस भूमिका में यह उनका दायित्व है कि उचित वित्तीय प्रबंध हो। उन्होंने कहा कि आर्थिक नियोजन में लेखा संवर्ग का महत्वपूर्ण रोल होता है।
श्री नाईक ने कहा कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी के युग में कम्प्यूटर एवं आॅन लाईन सेवा का समय है। ऐसे में अद्यतन ज्ञान का होना भी आवश्यक है। लेखा से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों का दायित्व होता है कि वे आय-व्यय का नियमानुसार एवं उचित रख-रखाव करें। ज्ञान आधारित संघ होने के कारण यह जरूरी है कि अपनाई जाने वाली प्रक्रिया में अद्यतन जानकारी से समय-समय में कार्यपद्धति में परिवर्तन लाते रहें। उन्होंने कहा कि सूचना के अधिकार के दौर में पारदर्शिता एवं शुचिता आवश्यक है।
महालेखाकार सुश्री मोनिका वर्मा ने विभागीय अधिकारियों को सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि लक्ष्य के अनुसार काम करें। लेखा कार्य में पारदर्शिता होनी चाहिए। अद्यतन जानकारी रखें। उन्होंने कहा कि कार्यपालन में समय प्रबंधन का ध्यान रखें।
उप महालेखाकार (निर्माण) अनिल विरोदकर ने कहा कि लेखा संघ के सदस्य अपने ज्ञान को निरन्तर बढ़ाते रहें। तकनीक का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करें। उन्होंने कहा कि पूरे मनोयोग से कार्य करने से असंभव कार्य भी संभव हो सकता है।