जय शाह मांमले में राजबब्बर ने सरकार से पूछे सात सवाल
लखनऊ: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी में आये अप्रत्याशित उछाल पर लखनऊ में मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर ने कहा हम "टेंपल" का बहुत सम्मान करते हैं."टेंपल" का ज़िक्र आते ही हमारा सिर सम्मान से झुक जाता है. उन्होंने कहा कि अमित शाह के बेटे को पहले कंपनी के नाम से टेंपल शब्द हटा लेना चाहिए. राज बब्बर ने कहा कि इस देश में केवल कुछ ही स्टार्ट अप कंपनियां हैं जिन्होंने कमाल की तरक्की की है. यह कंपनी 16000 गुना मुनाफ़ा कर रही थी.
गौरतलब है कि एक वेबसाइट द्वारा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के बेटे जय शाह की कंपनी से जुड़ी एक खबर प्रकाशित की. खबर में रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के आंकड़े को उद्धृत करते हुए कहा गया कि जय शाह के मालिकाना हक वाले 'टेंपल इंटरप्राइज' की संपत्ति में वर्ष 2015-16 के दौरान 16,000 गुना और उससे पहले के साल से करीब 80 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ.
श्री राजबब्बर ने कहा कि यह लोग मंदिर बनाने का वादा करके सत्ता में आये थे लेकिन इन्होने ऐसा मंदिर ‘‘टेम्पल इण्टरप्राइजेज’’ बना दिया जो सिर्फ लूट खसोट करके अपनी सम्पत्ति बढ़ाने में लगी रही। उन्होने कहा कि कम से कम एक केन्द्रीय मंत्री को तो एक निजी व्यवसायी के बचाव में नहीं आना चाहिए था ऐसा होने से पूरी की पूरी केन्द्र सरकार सवालों के घेरे में आ गयी है। उन्होने पीयूष गोयल पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि रेल मंत्री पीयूष गोयल जब बिजली मंत्री थे तब उन्होने स्टाक मार्केट में डील करने वाली इस कम्पनी को सौर ऊर्जा का प्रोजेक्ट दिया था जबकि सौर ऊर्जा में इस कम्पनी का कोई अनुभव नहीं था। सवाल उठता है कि क्या ऊर्जा मंत्रालय ने कभी किसी सामान्य व्यापारी के साथ भी ऐसी दरियादिली का प्रदर्शन किया है।
आज की प्रेसवार्ता की खास बात यह रही कि प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर ने सरकार के सामने सात सवाल रखे और साथ ही यह भी कहा कि यह सवाल देश की जनता की तरफ से किये जा रहे सवाल हैं क्योंकि देश की जनता आरोपों की तह तक जाकर सच्चाई जानना चाहती है।
श्री राजबब्बर ने पहला सवाल यह किया कि टेम्पल इण्टरप्राइजेज प्रा0 लि0 जो कि अमित शाह की धर्मपत्नी, पुत्रवधू व पुत्र जय शाह की कम्पनी है ऐसा क्या व्यापार करती थी साल के भीतर ही 16000 गुना कारोबार बढ़ा रही थी? इसमें क्या परिसम्पत्तियां थीं? कितने कर्मचारी थे? क्या देनदारी थी और इन सबका पैसा कहां से आ-जा रहा था? और अचानक ही वह कौन सी जादू की छड़ी जयशाह के हाथ में लग गई जिससे साल 2012-13 व 2013-14 में नुकसान उठाने वाली कम्पनी ने भाजपा सरकार बनने के एक साल के भीतर 16000 गुना यानी (16लाख प्रतिशत) करोबार बढ़ा लिया?
श्री राजब्बर द्वारा पूछा गया दूसरा सवाल यह था कि 16000 गुना बढ़े कारोबार वाली इस कम्पनी टेम्पल इण्टरप्राइजेज प्रा0 लि0 को अक्टूबर 2016 में नुकसान दिखाकर बन्द करने की नौबत आ गयी। क्या आयकर विभाग की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि वह ऐसी संदिग्ध स्थिति में बन्द होने वाली कम्पनी को नोटिस देकर जांच करते? उन्होने कहा कि जनता यह भी जानना चाहती है कि उक्त कम्पनी के एक कमरे के कार्यालय में ऐसी क्या विलासितापूर्ण वस्तुएं व सुविधाएं थीं जिसका किराया 80 लाख रूपये दिखाया गया?
तीसरा सवाल उठाते हुए राजबब्बर ने कहा कि जय शाह की कम्पनी टेम्पल इण्टरप्राइजेज प्रा0 लि0 के खातों में यह भी दर्शाया गया है कि 51 करोड़ की राशि विदेशों से आयी थी। जनता जानना चाहती है कि ऐसी कौन सी खरीद फरोख्त या व्यवसाय कौन से लोगों से और किन-किन देशों में किया गया जिससे करोड़ों रूपये विदेश से कम्पनी के खाते में आया? क्या करोड़ों की राशि विदेशों से कम्पनी के खाते में आने पर किसी सरकारी एजेंसी के कान नहीं खड़े हुए व कभी कोई पूछताछ क्यों नहीं की गयी?
चौथा सवाल सामने रखते हुए राजबब्बर ने कहा कि श्री अमित शाह के पुत्र जय शाह की कम्पनी टेम्पल इण्टरप्राइजेज प्रा0 लि0 को के.आई.एस.एफ. फाइनेन्शियल सर्विसेज द्वारा 15.78 करोड़ रूपये का ‘अन सेक्योर्ड लोन’ दिया गया। यहां पर यह भी स्मरण रहे कि के.आई.एस.एफ. फाइनेन्शियल सर्विसेज के मालिक श्री राजेश खण्डवाला हैं जो अम्बानी समूह के गुजरात के कर्ताधर्ता श्री परिमल मथवानी के समधी हैं। श्री मथवानी को राज्यसभा में भाजपा की मदद से झारखण्ड से दूसरी बार चुना गया। जनता का प्रश्न यह है कि क्या श्री राजेश खण्डवाला को इस अनसेक्योर्ड लोन के परिप्रेक्ष्य में कोई प्रत्यक्ष या परोक्ष राहत या फायदा भी प्राप्त हुआ? या यह सारा कर्ज सिर्फ एक आत्मीय समाजसेवा भर थी? सवाल यह भी है कि क्या जय शाह की कम्पनी के अलावा भी ऐसे अनसेक्योर्ड लोन केआईएफएस फाइनेंशियल सर्विसेज द्वारा किसी और कम्पनी को दिये गये? क्यों कि उनकी बैलेन्शसीट में ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली।
राजबब्बर ने पांचवां सवाल उठाते हुए कहा कि अब दूसरी कम्पनी कुसुम फिनसर्व प्रा0 लि0 – की बात करें, जिसे बाद में एलएलपी में बदला गया। यह भी श्री अमित शाह के पुत्र श्री जय शाह की कम्पनी है। उक्त कम्पनी को कालूपुर कामर्शियल कोआपरेटिस बैंक द्वारा 25 करोड़ का ऋण महज 6.20 करोड की दो सम्पत्तियों को गिरवी रख दिया गया। एक सम्पत्ति में श्री अमित शाह की मल्कियत है और दूसरी यशपाल चुदासमा की। यह वही यशपाल चुदासमा हैं जिन्हें सीबीआई द्वारा सोहराबुद्दीन व कौसर बी. फर्जी इनकाउंटर केस में अमित शाह के साथ आरोपित किया गया था व साल 2015 में सीबीआई कोर्ट ने इन्हें व अमित शाह को बरी कर दिया। देश की जनता रिजर्व बैंक आफ इण्डिया से पूछना चाहती है कि क्या आरबीआई व बैंक के नियम इस बात की अनुमति देते हैं कि मात्र 6.20करोड़ की सम्पत्ति पर 25 करोड़ का ऋण दिया जा सके? क्या इन्हीं उदार शर्तों पर कालूपुर बैंक द्वारा ऐसा ऋण अन्य किसानों व छोटे व्यवसायियों को भी दिया गया है या फिर मापदण्ड अलग-अलग हैं?
राजबब्बर ने छठा सवाल सामने रखते हुए कहा कि श्री अमित शाह के बेटे जय शाह की दूसरी कम्पनी, कुसुम फिनसर्व प्रा0 लि0 की अनोखी दास्तां यहीं समाप्त नहीं होती है। इस कंपनी का प्राथमिक धंधा तो शेयर व्यापार व आयात-निर्यात का है। 2014 में मोदी सरकार बने व श्री पीयूष गोयल के केन्द्रीय बिजली मंत्री बनने के बाद, इस कंपनी ने 2016 में पवन चक्की(विंडमिल) द्वारा 2.1 मेगावाट बिजली उत्पादन का प्लांट भाजपा शासित मध्य प्रदेश के रतलाम में लगाने का निर्णय लिया। बिजली मंत्रालय के रिन्यूएबल एनर्जी के तहत मिनी रत्न संस्था (प्त्म्क्।) द्वारा 10.35 करोड़ का ऋण भी जय शाह की कंपनी को दे दिया गया। देश जानना चाहता है कि वो ऐसे कौन से मापदंड हैं जिसके तहत शेयर व आयात-निर्यात का धंधा करने वाली कंपनी, जिसे बिजली उत्पादन का रत्ती भर भी अनुभव नहीं था, भारत सरकार द्वारा सस्ते ऋण के योग्य पाया गया?
राजबब्बर ने सातवां सवाल उठाते हुए कहा कि भारत की राजनीति में सबसे विचित्र घटना तो तब घटी जब भारत सरकार के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री श्री पीयूष गोयल एक औचक प्रेसवार्ता में जय शाह का बचाव करते दिखे। वो भी तब जब उनके खुद के मंत्रीकाल में ही उनके मंत्रालय द्वारा जय शाह की कंपनी को करोड़ों रूपये का सस्ता ऋण उपलब्ध कराया गया। अब सवाल यह उठता है कि क्या श्री जय शाह मोदी मंत्रिमण्डल में मंत्री हैं या भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी? अगर नहीं तो फिर क्यों भारत सरकार के मंत्री एक निजी व्यक्ति के बचाव में अकारण खड़े हैं?
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर ने कहा कि भाजपा के कई राष्ट्रीय अध्यक्षों के शंकास्पद आचरण व आर्थिक अनियमितताओं के इल्जामों का चोली दामन का साथ रहा है। पिछले वर्षों में तीन भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्षों को ऐसे इल्जामों के चलते ही पदमुक्त होना पड़ा। सबको याद है कि जैन हवाला केस के बाद लालकृष्ण आडवाणी ने त्यागपत्र देकर जांच व मुकदमें के निर्णय तक कोई पद न लेने की घोषणा की थी। तहलका काण्ड में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री बंगारू लक्ष्मण ने रिश्वत लेते पकड़े जाने पर इस्तीफा दे दिया था, श्री नितिन गडकरी ने तो आरोप लगते ही राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होने मजबूती से सवाल उठाया कि क्या बेटे की कम्पनी पर इतने गंभीर आरोप लगने के बाद वर्तमान राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमितशाह भी नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देंगे?