उर्दू में युवाओं की दिलचपी देख ख़ुशी होती है: शबाना आज़मी
नई दिल्ली: बॉलीवुड की अनुभवी अभिनेत्री और मशहूर लेखक जावेद अख्तर की पत्नी शबाना आज़मी ने इस बात पर ख़ुशी व्यक्त की है कि देश के युवा आज भी उर्दू सीखने के लिए पहल कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि उर्दू भाषा किसी भी विशेष सेक्शन तक सीमित नहीं है।
शबाना आज़मी ने कल शाम कवि-गायक मीनू बक्शी की “मौज-ए-सारब: वेव्स ऑफ इल्यूजन” को लांच करते हुए कहा कि मैं आशा करती हूँ कि उर्दू भाषा का यूं ही आगे बढ़ना जारी रहेगा।
“उर्दू एक ऐसी भाषा है जो हम सब रोज़ रोज़ाना बोलते हैं। इसे किसी विशेष खंड की भाषा नहीं माना जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुझे ये देखकर बहुत ही ख़ुशी महसूस होती है जब आज के युवा “जश्न-ए-रेख़्ता ” जैसे फेस्टिवल्स में भाग लेने आते हैं।
चाहे वे उर्दू से अच्छी तरह से वाकिफ न भी हो, लेकिन वे उर्दू को सुनना और सीखने की चाह रखते हैं। इससे एक आस जगी रहती है कि यह भाषा हमेशा के लिए रहेगी।
“मौज-ए-सारब: वेव्स ऑफ इल्यूजन” उर्दू गज़लों का एक संग्रह है, जीवन, प्रेम और लिंग के विषय तलाश रहा है। ये किताब लेखक की शरीर से आत्मा तक के सफर को बयां करती है।