भोपाल एनकाउंटर केस: न्यायिक आयोग ने पुलिस को बताया बेक़सूर
भोपाल: भोपाल में हुए सिमी के 8 विचाराधीन क़ैदियों के एनकाउंटर केस में पुलिस को क्लीन चिट मिल गई है । 31 अक्टूबर 2016 को ईंटखेड़ी में हुए एनकाउंटर की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने अपनी जांच रिपोर्ट मप्र के गृहमंत्रालय को सौंप दी है जिसमें एमपी पुलिस को सही बताया गया है ।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में एनकाउंटर को फर्जी नहीं बताया है । एनकाउंटर के बाद ऑपरेशन में शामिल रही टीम की ओर से दर्ज एफ़आईआर में जो कहानी बताई गई थी कमीशन ने उस पर मुहर लगा दी है ।
नंबवर में इस एनकाउंटर की जांच रिटायर्ड जज एस के पांडे को सौंपी गई थी । रिपोर्ट में कमीशन ने माना कि सिमी के आठों विचाराधीन क़ैदी भोपाल सेंट्रल जेल से फ़रार हुए थे और उनके पास हथियार थे । सरेंडर करने की मांग पर उन्होंने पुलिस टीमों पर हमला किया, इसके जवाब में हुई कार्रवाई में सभी विचाराधीन क़ैदी मारे गए ।
हालांकि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में वारदात की रात सेंट्रल जेल में खराब सीसीटीवी पर सवाल नहीं उठाए हैं । सभी क़ैदी जेल तोड़ने में कैसे कामयाब हुए, फिर 12 किलोमीटर तक भागने में कैसे सफल हुए आदि का ब्यौरा नहीं है ।
इस एनकाउंटर के बाद सामने आई तस्वीरों, वीडियो और ऑडियो से ऐसा पता चलता है कि फ़रार क़ैदियों को पकड़ा जा सकता था, लेकिन उन्हें क़रीब से गोली मारी गई । एनकाउंटर के दौरान एक भी गोली एके-47 या इंसास राइफल से क़ैदियों को क्यों नहीं लगी? सभी गोली पिस्टल से शरीर के ऊपरी हिस्से में ही क्यों लगी? इस पर कोई सवाल नहीं किया गया है ।
रिटायर्ड जज एस.के. पांडेय ने 30 अक्टूबर 2016 की रात सेंट्रल जेल में मुख्य प्रहरी की हत्या के लिए जेल प्रशासन की खिंचाई की है और भविष्य में दोबारा ऐसी घटना ना हो, उसके लिए सुझाव दिए हैं ।
एनकाउंटर की जांच करने वाले जज एस.के. पांडेय ने TwoCircles.net से हुई बातचीत में बताया है कि, उन्होंने अपनी रिपोर्ट तैयार करके जमा कर दी है । विधानसभा के विंटर सेशन में रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी जा सकती है । उन्होंने रिपोर्ट में दर्ज जानकारी देने से मना कर दिया ।
इस एनकाउंटर में मारे गए सभी सिमी के विचाराधीन क़ैदी थे । किसी पर भी सिमी का आतंकी होने का आरोप साबित नहीं हो सका था । एनकाउंटर पर उठे सवालों को लेकर राज्य सरकार ने इसकी जांच का आदेश दिया था ।