सरकार बर्मा के बेगुनाहों को पनाह दे: सय्यद मोहम्मद अशरफ
अजमेर: भारत सरकार बर्मा से जान बचा कर आये बेगुनाह शरणार्थियों को शरण दे और मानवता को शर्मसार होने से बचाये यह बात आल इंडिया उलमा मशायख बोर्ड के संस्थापक अध्यक्ष हज़रत सय्यद मोहम्मद अशरफ किछौछवी ने अजमेर शरीफ में कही। उन्होंने कहा भारत एक शांतिप्रिय देश हैं और सम्पूर्ण विश्व में शांति स्थापना के लिए सदैव प्रयत्नरत रहा है इस समय जब बर्मा जोकि आदि भारत का ही अंग था वहां हिंसा चरम पर है मानवता शर्मसार हो रही है , महिलाएं बच्चे बुज़ुर्ग जवान कोई महफूज़ नहीं है और बर्मा में बरबरियत के साथ मानवता की हत्या की जा रही है।ऐसे में सरकार का रोहिंग्या शरणार्थियों से देश छोड़ने का आदेश निंदनीय है हम सरकार से मांग करते हैं कि मानव जीवन बहुमूल्य है इसे बचाने के लिये हर संभव प्रयास किया जाना चाहिये।जिस प्रकार पड़ोसी देश बांग्लादेश ने मानवता के आधार पर दुखी लोगों के लिए दरवाजे खोल दिये है भारत को भी आगे आकर रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए मदद हाथ बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ से भी इस संबंध में तुरंत कारगर क़दम उठाने की मांग की । हज़रत ने कहा कि सबको जहां बर्मा के लोगों के लिये दुआ करनी चाहिए वहीं रोहिंग्या शरणार्थियों तक मदद भी पहुंचानी चाहिए।
आल इंडिया उलमा मशायख बोर्ड के संरक्षक व दरगाह अजमेर शरीफ के गद्दीनशीन हज़रत सय्यद मेहंदी मिंया चिश्ती ने कहा कि दुनिया को मोहब्बत की जरूरत है और हम नफरत की फैक्ट्रीय लगा रहे हैं , धर्म के आधार पर शरणारथियों की स्थिति तय की जाएगी तो हम क्या संदेश देना चाहते हैं ।निहत्थे जान बचाकर भागे लोगों से देश को खतरा कैसे हो सकता है। मानवता हमारी जरूरत है सरकार को आगे बढ़ कर मदद करनी चाहिए।
बोर्ड के संयुक्त राष्ट्रीय सचिव सय्यद सलमान चिश्ती ने कहा कि ” अतिथि देवो भव:” सिर्फ पर्यटन विभाग के प्रचार की सामग्री नहीं है यह भारत की संस्कृति है, उन्होंने बताया भारत के संसद भवन पर अंकित वसुधैव कुटुंबकम् का वाक्य हमारी धारणा का प्रतीक है कि हम सम्पूर्ण विश्व को एक परिवार मानते हैं और प्रधानमंत्री जी इसका उपयोग हर जगह करते है ऐसे में रोहिंग्या शरणार्थियों के संबंध में किरण रिजिजू का बयान प्रधानमंत्री के शब्दों के विपरीत है। कोई भी धर्म कभी खून बहाना नहीं सिखाता मै जितना जानता हूं उसके आधार पर शरणार्थियों की सेवा एवम् सहायता के लिए हर धर्म ने सीख दी है ।उन्होंने कहा कि मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हर हाल में हमे बर्मा के शरणार्थियों को भारत में शरण देनी चाहिए सरकार का यह फैसला की वह देश छोड़ कर चले जाए उचित नहीं है।अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा का भी यह उल्लघन प्रतीत होता है, हम भारत सरकार से मांग करते हैं कि अपना फैसला वापस ले।