रुद्रपुर। शैक्षिक उन्नयन और सामाजिक सरोकार में मार्गदर्शक कि भूमिका निभाएं शिक्षक ।शाश्वत जीवन मूल्यों के जतन से ही नई पीढ़ी और नये भारत का निर्माण संभव है। शाश्वत जीवन मूल्यों एवं चरित्र निर्माण में सहायक शिक्षा पद्धति से ही देश के तमाम संकटो का निवारण हो सकता है। जीवन मूल्यों के आधार पर ही उत्तरोत्तर विकास संभव है। शाश्वत जीवन मूल्यों को पुनः प्रतिस्थापित करने की आवश्यकता है।
उक्त बातें राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ उत्तराखण्ड कुमायूं संभाग और दीनदयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र द्वारा कौशल केन्द्र सभागार, सरदार भगत सिंह राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रपुर में आयोजित संगोष्ठी शाश्वत जीवन मूल्य और सर्वपल्ली डॉ राधाकृष्णन में मुख्या वक्ता अखिल भारती राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री ओम पाल सिंह ने कहा। उन्होंने आगे कहा की जिन जीवन मूल्यों से भारत विश्व गुरु का दर्जा हासिल था धीरे धीरे उनका क्षरण हुवा है। शिक्षको द्वारा इन मूल्यों को समाज में पुनर्प्रस्थापित किया जाय। शिक्षा के पाठ्यक्रमों में भारतीय दर्शन , संस्कार , नैतिकता , राष्ट्रीयता एवं मानवता को शामिल किया जाय जो राधाकृष्णन का ध्येय था ।
मुख्य अतिथि रुद्रपुर के विधायक राजकुमार ठुकराल ने कहा कि व्यावसायिकता के साथ ही मूल्यपरक शिक्षा देनेवाली संस्थाओ की आवश्यकता है। शाश्वत जीवन मूल्य हमारी पारम्परिक थाती है। संकीर्णताओं -रूढ़ियों को तिलांजलि देकर उदारता और मुक्त हृदयता की और बढ़ाना होगा। इसके लिए पाठ्य पुस्तको में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक मूल्य बोध से प्रेरित सामग्री का सजगता पूर्वक समावेश किया जाना चाहिए। महाविद्यालय -विश्वविद्यालय से ऐसे छात्र निकले जो समाज को सही दिशा दे सके। हम सभी अपनी प्रतिभ क्षमता देश के सर्वांगीण उन्नति में लगायें तभी राधाकृष्णन जी के सपनों को साकार किया जा सकता है
विशिष्ट अतिथि कीट विज्ञान विभाग, पन्तनगर विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अजय कुमार पाण्डेय ने कहा की शाश्वत जीवन मूल्य हमारी पारम्परिक थाती है। शाश्वत मूल्यों को आत्मसात कर हमें अपनी सोच में परिवर्तन लाना होगा और यह शिक्षा के माध्यम से ही संभव है।
विशिष्ट अतिथि सांसद प्रतिनिधि विकास शर्मा ने कहा कि युवा अपनी समस्त प्रतिभा क्षमता नए भारत के निर्माण में लगाये तभी विकसित भारत का सपना साकार होगा |
अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के परचार्य डॉ गंगा सिंह बिष्ट ने कहा कि शिक्षा व्यवस्था को मूल्यपरक बनाकर ही शाश्वत जीवन मूल्यों की पुनःस्थापना किया जा सकता है। जो व्यक्ति शिक्षक धर्म निभा रहा है उसके जीवन में शाश्वत मूल्यों का होना अनिवार्य है। तभी वह अपने शिष्यों में अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण कर सकता है। अच्छे व्यक्ति निर्माण करने की जिम्मेदारी शिक्षक के कंधे पर है। अच्छे भारत के लिए अच्छे नागरिको की जरूरत है। समय आ गया है कि देश की एक ऐसी समग्र नीति बने जो समाज एवं राष्ट्र के चहुमुखी उन्नयन का आधार हो।
दीनदयाल उपाध्याय कौशल केन्द्र के निदेशक डॉ योगेश कुमार शर्मा ने संगोष्ठी कि प्रस्तावन रखते हुए कहा कि कौशल केन्द्र का प्रयास असे सुयोग्य नागरिको का निर्माण करना है जिनमे कुशलता के साथ ऐसे संस्कार हो जिससे समाज में ये सकारात्मक भूमिका निर्वाह कर सकें ।
इस अवसार पर कौशल केन्द्र के बैंकिंग फाइनेंस सर्विसेज के छात्र-छात्राओं को अतिथियों द्वारा बिजनेस क्रस्पोनडेंस और बिजनेस फैसीलिटेटर का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया ।
महासंघ के कुमायु सम्भाग के संयोजक और सहायक आचार्य डॉ हरनाम सिंह ने डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा की यह संगठन स्वाध्याय -स्वावलम्बन एवं सम्मान की परिकल्पना ले कर चलने वाला यह शिक्षको का सशक्त संगठन है। जो शिक्षको के वेतन , भत्ते , सेवाशर्तो के लिए प्रयत्न के साथ -साथ अपने राष्ट्रीय लक्ष्य तथा सामाजिक सरोकार के कार्यक्रमों की योजना और उनका क्रियान्वयन करता है।
आभार ज्ञापन कौशल केन्द्र के विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार ने किया। जिसमे प्रमुख रूप से पन्तनगर विश्वविद्यालय केप्रो अजय कुमार पाण्डेय, डॉ सुनील कुमार, डॉ आशुतोष शर्मा, डॉडी के पी चौधरी, डॉ पी पी त्रिपाठी , डॉ गौरव वार्ष्णेय, डॉ सुनील कुमार मौर्या, डॉ संतोष अनल, डॉ हरीश चन्द्र, अमित कुमार सिंह, आकांक्षा गुप्ता, रूद्र देव, वेड विश्वकर्मा, हितेश जोशी सहित महाविद्यालय के शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहें।