लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने अपनी दस सूत्रीय मांगों पर सरकार की बेरूखी और 50 वर्ष की आयु में जबरन और मनमाने तरीके से हो रही सेवानिवृत्ति को देखते हुए अब अपने दिये समय से पहले ही सरकार के खिलाफ आन्दोलन का मूड बना लिया है। नवनिर्वाचित सरकार के पदभार ग्रहण करने के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने नई सरकार को माहौल समझने के लिए छह माह तक का समय देने का बयान दिया था लेकिन कर्मचारियों की जायज मांगों की अनदेखी तथा शासन स्तर पर हुए कई समझौतों का अनुपालन न करने, अनिवार्य सेवानिवृत्ति को हाथियार बनाकर उसका बेजा इस्तेमाल शुरू हो जाने से नाराज राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद 23 सितम्बर को प्रान्त व्यापी कार्यकारिणी की बैठक कर ब्लाक स्तर से लेकर राजधानी स्तर तक सरकार के विरूद्ध सड़क पर उतरने का मन बना चुका है। परिषद का प्रतिनिधि मण्डल अपनी दस सूत्रीय मांगों को लेकर मुख्य सचिव से मिल चुका है। लेकिन मुख्य सचिव ने आश्वासन के अलावा कोई ठोस जबाब नही दिया है। यह जानकारी आज पत्रकारों से बॉतचीत में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष हरिकिशोर तिवारी एवं महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने दी।

श्री तिवारी एवं श्री यादव ने संयुक्त रूप से बताया कि जब भाजपा के ही कई सांसद, वर्तमान मंत्री यहॉ तक की स्वंय मुख्यमंत्री पुरानी पेंशन बहाली की पैरवी कर चुके है तो उनकी मुख्य मांग मे शामिल पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल क्यो नही कर रहे है। उन्होंने बताया कि 50 पार सेवानिवृत्ति के मामले में पारदर्शिता नही अपनाई जा रही है। परिषद के पास ऐसे कई उदाहरण है जिससे यह बात सच साबित होती है कि अधिकारी अपनी द्वेष भावना की पूर्ति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कर्मचारी संवर्ग को मिलने वाली कैशलेस सुविधा के मामले में भी सरकार कछुआ गति से काम कर रही है। इसे 20 मई 2017 तक क्रियान्वयन होना था परन्तु अभी 20 प्रतिशत भी हेल्थ कार्ड नही बने हैं। उन्होंने मांग रखी की कर्मचारियांे/ सेवानिवृत्त कर्मचारियों के हेल्थ कार्ड अभियान चलाकर बनाए जाये। तथा अस्पतालों को अनुबन्धित कर जल्द कैंसर, किडनी, बाईपास सर्जरी, लीवर ट्रान्सप्लान्ट जैसे पीड़ितों को इलाज दिलाने की बात रखी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के क्रियान्वयन को शासकीय चेक लिस्ट में स्थान दिया जाए। केन्द्रीय कर्मचारियों के भत्ते का निर्धारण होने के बाद उसी आधार पर प्रदेश के कर्मचारियों को भत्ते अनुमन्य कराये जाए। वार्षिक प्रविष्ट में अति उत्तम (टमतल ळववक) की बाघ्यता समाप्त कर सक्षम अधिकारी द्वारा वार्षिक प्रविष्टि प्रदान करने के स्पष्ट दिशा निर्देश दिये जाए। विभिन्न विभागों एवं निगमांे में भारी संख्या में रिक्त तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के पदो पर अभियान चलाकर भर्ती की जाए। जिन संवर्गाें में पदोन्नति के पद उपलब्ध है, किन्तु पदोन्नति नही हो पा रही है उन कार्मिकों को पदोन्नति वेतनमान दिय जाए। जिन संवर्गो में पदोन्नति पद नही या नगण्य है,उन्हे मूल पद ेके लेवल से एक लेबल छोडकर उच्च लेवल का वेतनमान दिया जाए। पदोन्नति से वंचित कर्मचारियों को अभियान चलाकर पदोन्नति दी जाए और सभी कार्मिकों को उनके मौलिक अधिकार के अनुसार सेवाकाल में तीन पदोन्नति के अवसर सुनिश्चित कराये जाए। परिषद के समन्वयक भूपेेश अवस्थी ने बताया कि विभाग एवं शासन के बीच कागजी मकड़जाल के कारण विनियमित कार्मिको को पूर्व में की गई सेवा का लाभ न मिलने की कुव्यवस्था समाप्त कर विनियमित कार्मिकों को पूर्व की सेवा जोड़कर पेंशन का लाभ दिया जाए। संविदा एवं आउट सोर्सिग कार्मिको को निश्चित अवधि के बाद राज्य कर्मचारी घोषित करते हुए समान कार्य, समान योग्यता, समान वेतन का सिद्धान्त लागू किया जाए। फील्ड कार्मिकों को उच्च स्तरीय समिति के अनुसार मोटर साइकिल भत्ता उपलब्ध कराया जाए। मुख्य सचिव के निर्देश पर बने विभागीय विवाद फोरम को धरातल पर लाकर उसका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। इस दौरान श्री तिवारी एवं श्री यादव ने बताया कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति मामले में आला अफसर अपनी ही कलम फॅसाकर आदेश कर रहे है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस कर्मचारी को उसके कुशल कार्य, कार्यदक्षता, कुशल व्यवहार के कारण कुछ माह पहले पदोन्नति वेतनमान दिया गया हो वह कर्मचारी कुछ माह बाद अक्षम, अव्यवहारी और आयोग्य कैसे साबित किया जा सकता है। इस तरह के कई उदाहरण सामने आ चुके है। उन्होंने इस दौरान यह भी बताया कि डीआरडीए कार्मिकों का ग्राम्य विकास विभाग में संविलियन कर लिया गया है लेकिन उन कार्मिकों का दुर्भाग्य देखिये की उन्हें पिछले पाच माह से वेतन तक सरकार उपलब्ध नही करा पा रही है। उन्होंने कहा कि 10 सूत्रीय मांगो और जबरन सेवानिवृत्ति मामले में पारदर्शिता न अपनाई तो 23 सितम्बर को राज्य स्तरीय बैठक कर ब्लाक से राजधानी सड़क पर कर्मचारी आन्दोलन शुरू की रूप रेखा तय की जाएगी। इस पत्रकार वार्ता में इं0 बी0के0 कुशवाहा इं. दिवाकर राय (लो.नि.वि.), इं0 मनोज श्रीवास्तव, इं0 रामवीर सिह, संजीव गुप्ता (अर्थ एवं संख्या), धर्मेन्द्र सिंह (समाज कल्याण), ओ.पी.सिंह (आईटीआई), अविनाश श्रीवास्तव (उद्यान), सुभाष तिवारी (खा़द्य प्रसंस्करण), राजेश सिंह, बी.एस. डोलिया (खादय रसद), आशीष मिश्रा (शिक्षा),अमरजीत मिश्रा (ड्राइंग स्टाफ एसो.), अमिता त्रिपाठी (सुपरवाइजर एसो.), अनुज शुक्ला, अनिल कुमार पाठक, (आई0टी0आई0), चन्द्र शेखर मिश्रा, (रेफ्रिजेटर मैकेनिकल एसो0), अशोक सिंह (राजस्व), राम सुरेश सिंह (टेक्निकल एसो0), विनय कुमार श्रीवास्तव (वाणिज्य कर) सहित कई अन्य संगठनों के पदाधिकारी मौजूद थे।