नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने निजता के अधिकार पर बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार करार दिया है। 9 जजों की बेंच से सर्वसम्मति से ये फैसला दिया है। इस फैसले के बाद देश के किसी भी नागरिक की निजी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा सकेगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘निजता’ की सीमा तय करना संभव है। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केन्द्र सरकार को झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ये फैसला आधार योजना के खिलाफ दायर याचिका पर दी है। निजता के अधिकार का मामला सामने तब आया जब कई सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए सरकार ने आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया था। याचिका में आधार योजना की वैधता को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह निजता के अधिकार का उल्लंघन है। इस फैसले का सोशल नेटवर्क व्हाट्सएप की नई निजता नीति पर भी असर पड़ेगा। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद आधार, पैन, क्रेडिट कार्ड में दी गई जानकारी को सार्वजनिक नहीं किया जा सकेगा। बता दें कि संविधान ने निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार नहीं माना है।