हाई कोर्ट ने पलटा LG का फैसला
AAP को दफ्तर का आवंटन रद्द करने का फैसला रद्द किया
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी को दफ्तर का आवंटन रद्द करने के उपराज्यपाल अनिल बैजल के फैसले को रद्द कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि वह एक बार फिर विचार करें. अरविंद केजरीवाल ने फैसले के बाद राघव चड्ढा के ट्वीट को री-ट्वीट किया है- दिल्ली हाइकोर्ट ने AAP के दफ्तर का आवंटन रद्द करने के एलजी के फैसले को पलट दिया है. उपराज्यपाल का फैसला अवैध हो गया है.
दरअसल, उप राज्यपाल अनिल बैजल ने आदेश जारी कर इस ऑफिस का आवंटन रद्द कर दिया था. शुंगलू समिति की रिपोर्ट में इस दफ़्तर आवंटन पर सवाल उठाए गए थे और कहा गया था कि क्योंकि ज़मीन दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र नहीं, इसलिए वह किसी राजनीतिक दल को दफ़्तर/ज़मीन देने के लिए नीति नहीं बना सकती.
आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि 'जिस पार्टी के विधानसभा में केवल तीन विधायक हैं उसके पास दफ़्तर है, जिस पार्टी का विधानसभा में एक भी विधायक नहीं, उसका दफ़्तर भी हमारे सामने है और जिस पार्टी की सरकार दिल्ली में उसका कोई दफ़्तर नहीं होगा! दिल्ली की जनता ये सब 'डर्टी ट्रिक्स' देख रही हैं… चुनाव में इसका जवाब देगी'.
अरविंद केजरीवाल ने भी तल्ख अंदाज में कहा था कि भले ही हमसे ऑफिस छीन लें, हम सड़क से भी काम करेंगे. उन्होंने कहा कि बीजेपी बुरी तरह बौखला गई है और झूठे आरोप लगा रही है. केजरीवाल ने कहा कि माफिया से भिड़ने और गरीबों का साथ देने के लिए पार्टी को सताया जा रहा है. वे हमें खत्म करना चाहता हैं, लेकिन ऐसा नहीं होगा क्योंकि हम सच्चाई के रास्ते पर हैं. लोग उन्हें चुनावों में सबक सिखाएंगे.
उल्लेखनीय है कि शुंगलू समिति की रिपोर्ट में कहा गया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने आम आदमी पार्टी को दफ्तर देने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई वह अवैध है. दिल्ली सरकार ने दिल्ली में आईटीओ के पास दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर 206, राउज़ एवेन्यू 'आप' को दफ्तर के लिए आवंटित किया है. शुंगलू समिति ने कहा कि दिल्ली सरकार ने इसके लिए पॉलिटिकल पार्टियों को दफ्तर के लिए जमीन देने की बाकायदा नई पॉलिसी बनाई, जिसमें ये भी कहा गया कि जमीन पाने योग्य पार्टियों को 5 साल तक कोई इमारत या बंगला दिया जा सकता है, क्योंकि इतने समय में वह अपनी आवंटित ज़मीन पर दफ़्तर बना सकते हैं.