सरकार की सोई संवेदनाओं को जगाने वामपंथियों का विरोध प्रदर्शन 24 अगस्त को
लखनऊ। वामपंथी दलों की एक बैठक दिनांक 18.8.2017 को सीपीएम राज्य कार्यालय
लखनऊ में सम्पन्न हुई। बैठक में निर्णय लिया गया कि गोरखपुर की हृदयविदारक
घटना में अबोध बच्चों की मौत के सभी जिम्मेदारों को सजा दिलाने औरस्वास्थ्य
सेवाओं को व्यापक बनाने और भ्रष्टाचार से मुक्त कराने आदि मांगों को लेकर
उत्तर प्रदेश के वामपंथी दल 24 अगस्त को संयुक्त रुप से विरोध प्रदर्शन करेंगे।
ज्ञातव्य है कि गत दिनों गोरखपुर मेडिकल कालेज में आक्सीजन के अभाव में हुयी
भयंकर घटना में मरने वाले निरीह बच्चों की संख्या अब तक 100 का आंकड़ा पार कर
चुकी है. पीड़ित बच्चों की मौत का सिलसिला अभी भी थमने का नाम नहीं लेरहा है.
अब वहां इन्सेफिलाइटिस ने कहर वरपाना शुरु कर दिया है जिसकी रोकथाम न
पूर्ववर्ती सरकारें कर पायीं न गत तीन सालों में भाजपा की केंद्र सरकार. जबकि
यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री का चुनाव क्षेत्र है और वे जब
विपक्ष में थे तो इस मसले पर काफी शोरगुल मचाते रहते थे. अब इस क्षेत्र में
भारी बाढ आयी हुयी है और सरकार उसकी विभीषिका से नहीं निपट पारही. अब बाढ और
जलभराव से तमाम महामारियां फैलेंगीं और असंवेदनशील सरकार तथा भ्रष्टाचार और
जडता की हालत में पहुंचा सरकारी स्वास्थ्य सेवा तंत्र इससे कैसे निपटेंगे यह
एक बड़ा सवाल खड़ा होगया है.
बच्चों की मौत का गम तो कभी भुलाया नहीं जा सकता पर उन घावों का भर पाना बेहद
मुश्किल है जो इस त्रासदी के बाद हुक्मरानों ने दिये हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य
मंत्री ने बयान दिया कि 'अगस्त माह में तो इससे भी ज्यादा मौतें होती हैं.'
मुख्यमंत्री ने अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाडते हुये कह डाला कि मौतें आक्सीजन
के अभाव के कारण नहीं हुयीं. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने घावों पर नमक छिड़कने
वाला बयान दिया कि इतने बड़े देश में ऐसी वारदातें तो होती ही रहती हैं. अपने
लाल किले से दिये गये भाषण में प्रधान मंत्री ने घटना का सतही तौर पर जिक्र
किया और राज्य सरकार की अकर्मण्यता पर एक शब्द भी नहीं बोला. इतना ही नहीं
अपनी घटिया और सांप्रदायिक सोच का प्रदर्शन करते हुये सरकार ने एक
कर्तव्यपरायण डाक्टर जो कि अल्पसंख्यक समुदाय से हैं और जिन्होने इन बच्चों की
जान बचाने को भारी मशक्कत की को बलि का बकरा बना डाला.
अब जिलाधिकारी गोरखपुर की जांच में खुलासा हुआ है कि आक्सीजन की सप्लाई बाधित
हुयी थी और इसी वजह से बड़े पैमाने पर मौतें हुयीं. इस जांच के बाद राज्य सरकार
को मुहं छिपाने को भी जगह नहीं बची.
वामपंथी दलों ने इस जघन्य कांड पर गहरा दुख और क्षोभ व्यक्त किया है. वे चाहते
हैं कि पीडितों के जख्म भरने को ऊपर से नीचे तक दोषियों को दंडित किया जाये.
इसके लिये राज्य सरकार को जिम्मेदारी लेनी चाहिये और स्वास्थ्य मंत्री को तो
फौरन स्तीफा देना चाहिये. समूची वारदात्त की न्यायिक जांच की जानी चाहिये.
मृतक प्रत्येक बच्चे के परिवार को रुपये पच्चीस लाख बतौर संवेदना राशि और अभी
भी इलाज करा रहे बच्चों के इलाज और तीमारदारी की समुचित व्यवस्था की जानी
चाहिये. वामपंथी दलों का मानना है कि सरकारों की संवेदनहीनता और भ्रष्टाचार के
चलते प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है और वे पंगुता की स्थिति में
हैं. स्वास्थ्य बजट में भारी बढोत्तरी किये जाने और स्वास्थ्य व्यवस्था को
भ्रष्टाचार से मुक्त किये जाने की जरुरत है. इंसेफिलाइटिस, डेंगू,
चिकुनगुनियां और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान
चलाने की जरुरत है. इसके लिये स्वच्छता अभियान के प्रपोगंडा को हकीकत में
बदलने की जरूरत है. हर सालआने वाली बाढ और और उसके बाद फैलने वाली महामारियों
की रोकथाम के लिये ठोस कदम उठाने की जरुरत है.
सरकार की सोई संवेदनाओं को जगाने और पीढितों को न्याय दिलाने को वामपंथी दल
अलग अलग और मिल कर लगातार अभियान चला रहे हैं और अब उन्होने संयुक्त बैठक कर
24 अगस्त को संयुक्त रुप से प्रदेश भर में जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करने
का निर्णय लिया है. प्रदर्शनों के बाद राष्ट्रपति और राज्यपाल को संबोधित
ज्ञापन सौंपे जायेंगे. ज्ञापन के जरिये निम्न मांगें उठायी जायेंगी.
1- गोरखपुर बाल संहार की जिम्मेदारी समस्त राज्य सरकार की है और वह इसे वहन
करते हुये अपने स्वास्थ्य मंत्री को हठाये.
2- अन्य सभी दोषियों को चिन्हित करने और उन्हें सजा दिलाने को इस कांड की
न्यायिक जांच कराई जाये.
3- प्रत्येक मृतक बच्चे के परिवार को रुपये 25 लाख की संवेदना राशि फौरन दी
जाये और जिन बच्चों का आज भी इलाज चल रहा है उनके इलाज की समुचित व्यवस्था की
जाये.
4- स्वास्थ्य बजट को बढा कर कम से कम दोगुना किया जाये. स्वास्थ्य सेवाओं में
व्याप्त भ्रष्टाचार को समाप्त किया जाये. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की हालत
सुधारी जाये. हर नागरिक को मुफ्त इलाज और दवाओं का दायित्व सरकार ले.
5- हर एक लाख की आबादी पर सौ शय्याओं वाला दवाओं, डाक्टरों और उपकरणों से
सुसज्जित अस्पताल खोला जाये और हर दस लाख की आबादी पर एक हजार शय्याओं वाले
सुपर स्पेसियलिटी अस्पताल खोले जायें.
6- लुटेरी निजी स्वास्थ्य सेवाओं को सीमित किया जाये.
7- इंसेफिलाइटिस, डेंगू, चिकुनगुनियां और स्वायन फ्लू जैसी महामारियों की रोक
थाम के लिये विशेष अभियान चलाया जाये.
8- सूबे के विभिन्न इलाकों में आने वाली बाढ और उसके बाद फैलने वाली
महामारियों की रोकथाम के लिये ठोस कदम उठाये जायें.
9- बीमारियों की रोकथाम के लिये टीवी विज्ञापनों पर चर्चित स्वच्छता अभियान को
जमीन पर उतारा जाये और विज्ञापनों पर खर्च होरही धनराशि को सफाई कर्मियों की
नियुक्ति और सफाई के लिये आवश्यक उपकरण खरीदने पर खर्च किया जाये.
आंदोलन कर ज्ञापन देने का निर्णय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, भारत की
कम्युनिस्ट पार्टी (मा. ), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले), आल इंडिया
फारबर्ड ब्लाक तथा एसयूसीआई- सी के राज्य नेतृत्व की संयुक्त बैठक में लिया
गया।
बैठक की अध्यक्षता सीपीएम के राज्य सचिव डा0 हीरालाल यादव ने की। बैठक में
प्रमुख रूप से डा0 गिरीश शर्मा, राज्य सचिव सीपीआई, सुधाकर यादव, राज्य सचिव
माले, अरविंद राज स्वरूप, संयुक्त मंत्री सीपीआई, दीनानाथ सिंह यादव तथा
प्रेमनाथ राय, राज्य सचिव मण्डल सदस्य सीपीएम, रमेश सिंह संेगर माले, जगन्नाथ
वर्मा, जयप्रकाश मौर्य एसयूसीआईसी, डा. श्रीपद विश्वास, फारवर्ड ब्लाक, फूलचंद
यादव सीपीआई आदि मौजूद रहे।