हर हाल में चुनाव जीतने के चलन से चुनाव आयोग चिंतित
नई दिल्ली : चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि आजकल हर हाल में चुनाव जीतने का चलन बन गया है. रावत ने कहा, “लोकतंत्र तब फलता-फूलता है जब चुनाव पारदर्शी, निष्पक्ष और मुक्त हों. लेकिन ऐसा लगता है कि स्वार्थी आदमी सबसे ज्यादा जोर इस बात पर देता है कि उसे हर हाल में जीत हासिल करनी है और खुद को नैतिक आग्रहों से मुक्त रखता है.”
ओपी रावत ने राजनीतिक दलों पर सीधा हमला करते हुए कहा कि विधायकों की खरीद-फरोख्त करना, उन्हें धमकाना एक चतुर चुनावी मैनेजमेंट माना जाता है. किसी को अपनी ओर करने के लिए पैसे का लालच देना, राज्य तंत्र का उपयोग करना, ये सब चुनाव जीतने का हिस्सा बन गया है.
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम “कंसल्टेशन ऑन इलेक्टोरल एंड पोलिटिकल रिफॉर्म्स” में बोलते हुए चुनाव आयुक्त ने कहा,“चुनाव जीतने वाले ने कोई पाप नहीं किया होता क्योंकि चुनाव जीतते ही उसके सारे पाप धुल जाते हैं राजनीति में अब ये “सामान्य स्वभाव” बन चुका है. इस सबसे मुक्ति के लिए सभी राजनीतिक दलों, राजनेताओं, मीडिया और समाज के अन्य लोगों को बेहतर चुनाव के लिए योगदान देना चाहिए.
गौरतलब है कि चुनाव आयुक्त के इस बयान को हाल ही में हुए गुजरात राज्यसभा चुनाव से देखकर जोड़ा जा रहा है. क्योंकि गुजरात राज्य सभा चुनाव में पैसे और पॉवर के दुरुपयोग के आरोप लगे थे. आठ अगस्त को हुए चुनाव से पहले कांग्रेस के छह विधायकों ने पार्टी छोड़ दी. कांग्रेस नेता अहमद पटेल को हराने के लिए बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. कांग्रेस ने अपने विधायकों को किसी भी खरीद-फरोक्त से बचाने के लिए बंगलुरु के एक रिसॉर्ट में छुपा कर रखा था. इसके अलावा कई विधायकों ने राज्यसभा चुनाव से ठीक पहले इस्तीफा भी दे दिया था.