बंगाल निकाय चुनाव में ममता पर बरसी ममता, सभी सात पालिकाओं पर क़ब्ज़ा
अमित शाह का ज़ोरदार कैम्पेन रहा नाकाम, सिर्फ 6 सीटों में सिमटी, लेफ्ट-कांग्रेस का सफाया
कोलकाता: बंगाल में सात नगर पालिका निकाय चुनावों के परिणाम राज्य में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल की लगातार बढती ताकत और मजबूत होते आधार को जाहिर कर रहे हैं. सभी सात पालिकाओं पर तृणमूल ने कब्जा किया है. भाजपा को कुल 148 वार्ड सीटों में महज छह सीटों पर जीत हासिल हुई है, तो फ्रंट को केवल एक सीट मिली और उसका सूपड़ा साफ हो गया. तृणमूल कैंप में खुशी की लहर है.
भारतीय जनता पार्टी को मध्य प्रदेश के निकाय चुनावों के परिणामों के बाद अब बंगाल के नगर पालिका चुनाव परिणाम मायूस करने वाले हैं. मध्य प्रदेश में तो भाजपा ने 43 में 26 जगहों पर जीत हासिल की थी लेकिन वहां कांग्रेस ने कड़ी टक्कर देते हुए 14 जगहों पर अपना झंडा फहराया. अब बंगाल में जहां भाजपा को लग रहा था कि ग्रासरूट स्तर पर किया गया उसका काम काम आएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.
तृणमूल की महासचिव पार्था चटोपाध्याय कहती हैं, लोगों का भरोसा ममता पर जबरदस्त तौर पर बढ़ रहा है.चुनाव परिणामों ने इसे साबित कर दिया है. विपक्ष का तो इन चुनावों में सफाया ही हो गया है.
ज्यादातर नगरपालिकाओं में तृणमूल ने लगभग पूरी सीटें अपने खाते में डाल ली हैं. ये इसी से जाहिर है कि 148 वार्डों में हुए चुनावों में 140 पर सत्ताधारी दल को जीत मिली. हल्दिया, कूपर्स कैंप और दुर्गापुर में सारी की सारी सीटें तृणमूल की झोली में जा गिरीं. इन सभी जगहों पर लेफ्ट फ्रंट एक जमाने में बड़ी ताकत था लेकिन अब वो कहीं नहीं है.
पिछले कुछ सालों में भारतीय जनता पार्टी ने कस्बा स्तर पर घुसपैठ बनाने की कोशिश की थी. उसने कई प्रोग्राम लगातार चलाए. लेकिन लगता है कि जनता के बीच अभी उसकी वो पैठ नहीं बन पाई है. इन चुनावों में भाजपा को जबरदस्त झटका लगा है. उसने जोरशोर से चुनाव लड़ा था. चुनावों में अपना काफी कुछ झोंक दिया था लेकिन परिणाम उसकी उम्मीदों के उलट रहे हैं.
भाजपा को धुनगुरी नगर पालिका चुनावों में चार वार्डों मे जीत मिली. यही उसका यहां पर सबसे बेहतरीन परिणाम है. वैसे धुनगुरी में कुल 16 वार्डों में चुनाव हुए. यहां पर 12 में तृणमूल को जीत मिली. इसके अलावा भाजपा को बुनियादपुर और पंसकुरा में एक एक वार्ड में जीत हासिल हुई. निश्चित तौर पर भाजपा की राज्य नेतृत्व ने ऐसे परिणाम की उम्मीद तो नहीं की होगी.
सबसे बड़ा झटका तो लेफ्ट फ्रंट को लगा. इन सभी जगहों पर उसकी बेहतर स्थिति थी. बुनियादपुर पालिका पर उसका कब्जा था लेकिन अब उसे केवल एक वार्ड में जीत पर संतोष करना पड़ेगा. इसी से अंदाज लगाया जा सकता है कि किस तरह बंगाल में वाम पार्टियों का गढ़ कमजोर हो रहा है. नगर पालिका के चुनावों से सियासी दल ग्रासरूट स्तर पर अपने संगठन की ताकत का अंदाजा भी लगाते हैं और मजबूती भी परखते हैं.