अगस्त में हर साल बच्चों की मौत होती है
गोरखपुर हादसे पर योगी के स्वास्थ्य मंत्री का असंवेदनशील बयान
लखनऊ: : गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College) में पांच दिनों में 63 बच्चों की मौत होने के बाद शनिवार दोपहर तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह का बड़ा बेहूदा बयान सामने आया आया है| मासूम बच्चों की मौतों पर सरकार का पक्ष रखते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने पहले तो बच्चों की मौत को संवेदनशील घटना बताया और बाद में सरकार का बचाव करते हुए कहा कि अगस्त में गोरखपुर क्षेत्र में हर साल बच्चों की मौत होती है.
मुख्यमंत्री जी ने हमसे गोरखपुर जाकर स्थिति का जायजा लेने के लिए कहा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं. मुख्य सचिव की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया गया है. दोषियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि 9 अगस्त को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बीआरडी मेडिकल कॉलेज का दौरा किया था. इस दौरान किसी ने भी मुख्यमंत्री को ऑक्सीजन की कमी होने की जानकारी नहीं दी. सभी ऑक्सीजन सप्लाई का मुद्दा देख रहे हैं. लेकिन इस बार भी बच्चों की मौत अलग-अलग कारणों से हुई है.
उन्होंने कहा कि अगस्त में हर साल बच्चों की मौत होती है. अस्पताल में नाजुक बच्चे आते हैं. साल 2014 में 567 बच्चों की मौत हुई. 2015 में भी 668 बच्चों की मौत हुई है. बीआरडी अस्पताल में हर रोज 17-18 मौतें होती हैं. एक बच्चे का लीवर फेलियर भी था. सिद्धार्थ नाथ बोले, एक दिन में 30 बच्चों की मौत चौंकाने वाली है. अस्पताल में सिर्फ दो घंटे के लिए ऑक्सीजन की कमी हुई थी.
मंत्री ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरे मामले पर नजर बनी हुई है. राज्य सरकार ने हादसे के बाद कार्रवाई करते हुए बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को सस्पेंड कर दिया है. इसके अलावा केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने राज्य प्रशासन से इस घटना की रिपोर्ट मांगी है. राज्य मंत्री (स्वास्थ्य) अनुप्रिया पटेल को तुरंत अस्पताल का दौरा करने का निर्देश दिया है.
गौरतलब है कि गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में 63 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. इसमें से 33 बच्चों की जान पिछले दो दिन में गई है. जिलाधिकारी राजीव रौतेला ने शुक्रवार को 30 बच्चों की मौत होने की बात कही थी. रौतेला ने पिछले दो दिन में हुई मौतौं का ब्योरा देते हुए बताया था कि 'नियो नेटल वार्ड' में 17 बच्चों की मौत हुई जबकि 'एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिन्ड्रोम यानी एईएस' वार्ड में पांच तथा जनरल वार्ड में आठ बच्चों की मौत हुई है.