किताब जैसा दोस्त कोई हो ही नहीं सकताः राज्यपाल
मोतीमहल लान में 10 दिवसीय पुस्तक मेला शुरू
लखनऊ। ‘अकेेले में किताब जैसा दोस्त कोई हो ही नहीं सकता। किताबे खरीदने की आदत डालनी चाहिए। आग्रह है कि किताबें खरीदकर पढ़ें, जो मुफ्त में मिलता है वो रद्दी में जाता है। खरीदने से जिसकी किताब बिकती है, उस लेखक को भी कुछ रायल्टी मिल जाती है। पढ़ने का आनन्द ही बहुत अलग है।’
आज शाम मोतीमहल वाटिका लाॅन राणा प्रताप मार्ग में 20 अगस्त तक चलने वाले राष्ट्रीय पुस्तक मेले का उद्घाटन करते हुए उक्त उद्गार राज्यपाल राम नाईक ने व्यक्त किए। मेले में अब कल से विविध सांस्कृतिक साहित्यिक आयोजन भी प्रारम्भ हो जाएंगे। पुस्तक मेले में पुस्तकें न्यूनतम 10 प्रतिशत छूट पर मिलेंगी।
राज्यपाल ने मेले के साथ ही बालिका शिवोना श्रीधरा की चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने, और डा.सुनील जोगी की ‘गजलघर’ व शैलेन्द्र भाटिया के काव्यसंग्रह ‘सफेद कागज’ का लोकार्पण करते हुए मेले के विषय स्वच्छता और पर्यावरण चेतना पर कहा कि अभी म्यांमार में 30 देशों के प्रतिनिधियों ने वहां पर्यावरण रक्षा का संकल्प लिया और विचार किया कि कैसे हम धार्मिक विचारों और इकट्ठा लाएं और पर्यावरण की चुनौतियों का सामना करें। महात्मा गंाधी के स्वच्छता आंदोलन और फिर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छता आंदोलन की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि गंगा हमने प्रदूषित की है तो उसे साफ करने की जिम्मेदारी भी हमारी बनती है। अपनी किताब ‘चरैवेति-चरैवेति’ के बारे में उन्होंने बताया कि मराठी से हिंदी, अंग्रेज़ी, गुजराती और उर्दू में अनूदित होने के बाद अब जर्मन, पर्शियन, सिंधी और संस्कृत में अनुवादित हो रही है।
नाॅलेज हब की ओर से यहां 10 दिन तक निःशुल्क प्रवेश वाले ‘स्वच्छता व पर्यावरण चेतना‘ को समर्पित इस आयोजन के बारे में अतिथियों का स्वागत करते हुए संयोजक देवराज अरोड़ा ने कहा कि कोई अगर पुस्तक मेला गांव में भी आयोजित करना चाहे तो वह उसमें मदद करेंगे। बाल नृत्य प्रस्तुति से शुरू हुए समारोह के अंत में आभार व्यक्त करते हुए हास्यकवि डा.सुनील जोगी ने अपनी रचना ‘ट्विटर और फेसबुक से आज मुश्किल में किताबे हैं’सुनाते हुए बताया कि मेले में नौ प्रशासनिक अधिकारियों का विशिष्ट कवि सम्मेलन भी होगा। इससे पहले विशिष्ट अतिथि राकेश त्रिपाठी ने भी विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर संरक्षक मुरलीधर आहूजा, अंजू अरोड़ा, डा.विद्या विंदु सिंह समेत अनेक रचनाकार और पुस्तकप्रेमी उपस्थित थे। मेले में साहित्यिक कार्यक्रमांे की शृंखला में पुस्तकों के लोकार्पण, संगोष्ठी, विचार गोष्ठी का आयोजन, काव्य गोष्ठी, कवि सम्मेलन, मुशायरा नियमित आयोजित होंगे। अनेक साहित्यकारों की पुस्तकों का लोकार्पण होगा। विशिष्ट कार्यक्रमों में साहित्यकार शिरोमणि सम्मान डा.विद्याविंदु सिंह को और सेवा रत्न सम्मान विशिष्ट विद्वानों को प्रदान किये जायेंगे। इसके अतिरिक्त त्रिलोचन शास्त्री, मुक्तिबोध, राही मासूम रजा की स्मृति में समारोह व सेमिनार और रचनाकारों से संवाद के साथ होंगे। प्रकृति से जुड़ने का संदेश भी लेखक व पर्यावरणविद् देंगे। निःशुल्क प्रवेश वाला यह मेला नित्य सुबह 11 बजे से रात नौ बजे तक चलेगा।
मेले के प्रमुख प्रकाशकों में राजकमल, लोक भारती, राजपाल एण्ड संस, प्रभात प्रकाशन,
प्रकाशन संस्थान, राष्ट्रीय पुस्तक न्यास, किताबघर, वाणी प्रकाशन, डायमण्ड बुक्स, सम्यक प्रकाशन,
ओशो दर्शन, साहित्य भण्डार, अमन प्रकाशन, राजस्थान पत्रिका, परिमल प्रकाशन, बिहार ग्रन्थ
अकादमी, कबीर ज्ञान केन्द्र, केके पब्लिकेशन, यूनीकार्न बुक्स, राजा पाकेट बुक्स, उपकार प्रकाशन,
देवबुक्स, ताज स्टेशनरी, आॅनलाइन गाथा, भारतीय कला प्रकाशन, वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली
आयोग, गायत्री ज्ञान मन्दिर, श्रीऔषध प्रतिष्ठान, पब्लिकेशन डिविजन, भारतीय ज्ञानपीठ आदि मुख्य हैं।
साथ ही एन.सी.पी.यू.एल., राई बुक डिपो, हैवेन आॅनअर्थ, गौतमबुक सेण्टर, साक्षी प्रकाशन, क्रिएटिव
साइन्टिफिक एडस्, राजबुक कम्पनी, वेब क्लास एजुकेशन, वैदिक रिवोल्यूशन मिशनरी, सेन्ट्रल हिन्दी
डायेक्ट्रेट, विधि बुक्स, नियोगी बुक्स, आशीर्वाद बुक सेण्टर, अमर चित्रकथा, एक्यूपे्रशर हेल्थकेयर
सिस्टम, यूनीक बुक्स और गंगा-जमुनी तहजीब के शहर के किताबों के इस मेले में उर्दू के स्टालों में
नेशनल प्रमोशन आफ उर्दू लैंग्वेज, उ.प्र.उर्दू अकादमी, राई बुक व मधुर संदेश प्रकाशन आदि के भी
स्टाल हैं।