हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि कइयों ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध भी किया था: सोनिया
नई दिल्ली: 'भारत छोड़ो आंदोलन' के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने बुधवार को लोकसभा में उन शहीदों को नमन किया, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम को अगली कतार में खड़े रहकर जारी रखा और आज़ादी का मार्ग प्रशस्त किया. उन्होंने कहा, उस समय कांग्रेस को करो या मरो की प्रतिज्ञा दिलाई गई थी. इन शब्दों ने पूरे देश को उत्तेजित कर दिया था. अंग्रेज सरकार ने इसके बाद कांग्रेस के बहुत से नेताओं को गिरफ्तार कर लिया. जवाहर लाल नेहरू ने जेल में सबसे लंबा वक्त बिताया. कुछ कांग्रेस कार्यकर्ता तो बीमारी की वजह से जेल से बाहर आ ही नहीं सके. इस आंदोलन के लिए अनेक महिलाओं और पुरुषों को अंडरग्राउंड रहना पड़ा. अंग्रेजों ने बातें न मानने वालों पर कोड़े बरसाए. महिलाओं का उत्पीड़न किया गया और बर्फ की सिल्लियों पर लिटाया गया, लेकिन प्रदर्शनकारी अत्याचार के बावजूद निडर रहे और झुके नहीं.
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, भारत छोड़ो आंदोलन एक मिसाल बन गया था, लेकिन इसके लिए अनगिनत कुर्बानियां देनी पड़ीं. आज जब हम उन शहीदों को नमन कर रहे हैं, जो स्वतंत्रता संग्राम में सबसे अगली कतार में रहे, हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि कइयों ने भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध भी किया था, और उनका हमारे देश की आजादी में कोई योगदान नहीं है.
सोनिया गांधी ने कहा, मुझे लगता है कि देशवासियों के मन में कई आशंकाएं भी हैं कि अंधकार की शक्तियां फिर फैल रही हैं. जहां आजादी का माहौल था, वहां भय फैल रहा है. कई बार कानून के राज पर भी गैरकानूनी शक्तियां हावी दिखाई देती हैं. भारत छोड़ो आंदोलन एक याद है, जो हमें प्रेरणा देती है कि अगर हमें आजादी को सुरक्षित रखना है, तो हरेक दमनकारी शक्ति के खिलाफ संघर्ष करना होगा, फिर चाहे वह कितनी भी सक्षम क्यों न हो. हमें उस भारत के लिए लड़ना है, जिस भारत में हम विश्वास रखते हैं.