‘ग्राम्या’ के माध्यम से पंचायत की जमीनी हकीकत सामने आई है: कपिलदेव कामत
पटना। विश्व संवाद केन्द्र द्वारा प्रकाशित मुखिया डायरेक्ट्री ‘‘ग्राम्या’’ का विमोचन करते हुए बिहार सरकार के पंचायती राज मंत्री कपिलदेव कामत ने कहा कि ग्राम्या के माध्यम से पंचायत की जमीनी हकीकत सामने आई है। यह बहुत हर्ष का विषय है कि विश्व संवाद केन्द्र पंचायत प्रतिनिधियों के बारे में इतनी जानकारी इकट्ठा कर लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है। बुधवार को विश्व संवाद केंद्र सभागार में आयोजित विमोचन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि राज्य के गांव स्मार्ट बने इसके लिए राज्य सरकार पूर्ण रूप से कटिबद्ध है। देश में सबसे पहले बिहार में पंचायत चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देकर पंचायत के विकास को लेकर अपना संकल्प जाहिर किया। पंचायत प्रतिनिधियों के लिए पंचायत कार्यालय का निर्माण राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है जिसमें एक छत के नीचे सभी पंचायत प्रतिनिधि कार्य कर सकेंगे। विभागीय स्तर पर समय-समय पर कार्यशाला लगाकर पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण एवं जानकारी दी जा रही है। सरकार के इन सारे प्रयासों को मुखिया डायरेक्ट्री से लाभ होगा, ऐसी उम्मीद करता हूं।
सीतामढ़ी जिले के सिंहवाहिनी पंचायत की मुखिया के मुखिया रितु जायसवाल ने अपने संबोधन में कहा कि महात्मा गांधी का ग्राम स्वराज्य का सपना तभी साकार हो सकता है जब ग्रामीण अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी निष्ठावान हों। कोई भी योजना अथवा कोई भी प्रयास तभी सफल हो सकता है जब हरेक व्यक्ति अपने स्तर से ईमानदार हो। उन्होंने कहा कि एक आईएएस की पत्नी होने और दिल्ली की आरामदेह जीवनशैली को त्यागने का एकमात्र ध्येय था कि अपने पंचायत के विकास के लिए हम जितना कर सकते हैं, उतना करें। चुनाव लड़ने से लेकर कार्य करने तक में कई चुनौतियां आईं लेकिन ईमानदारी से प्रयास करते रहने पर आज ग्रामीणों के साथ-साथ सरकार का भी सहयोग मिलने लगा है। गांवों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त कर देना एक बात है और खुद उस क्षेत्र में उतर कर पहल करना दूसरी बात। मैंने दूसरा तरीका चुना और इतने सालों बाद अब लग रहा है कि मेरा निर्णय सही था।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर जी ने ग्राम स्वराज्य की बात करते हुए कहा कि देश में जो पंचायती राज व्यवस्था है वो प्राचीन काल से ही अलग-अलग रूपों में आजतक चली आ रही है। बीच में अंग्रेजी शासन के समय इसमें विकृति आ गई लेकिन समाज और सरकार के प्रयास से यह पुनः पटरी पर आता दिख रहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश तथा बिहार का उदाहरण देते हुए बताया कि गांवों में आज भी नैतिक मूल्य कायम है। अगर थोड़े से भी प्रयास कर दिये जाये ंतो भारत के गांवों को स्वावलंबी बनने से कोई नहीं रोक सकता।
विश्व संवाद केंद्र के अध्यक्ष श्रीप्रकाश नारायण सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि विश्व संवाद केंद्र ने ग्राम्या के माध्यम से पूरे राज्य के पंचायतों को एक सूत्र में बांधने का काम किया है। यह संस्था जन सरोकार के मुद्दों पर जमीनी स्तर पर कार्य करने में विश्वास रखती है। ग्राम्या का विमोचन इसी विश्वास का द्योतक है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन विश्व संवाद केंद्र के न्यासी विमल जैन ने किया। कार्यक्रम का मंच संचालन विश्व संवाद केंद्र के संपादक संजीव कुमार ने किया।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. शत्रुघ्न प्रसाद, समाजसेवी हरिशंकर शर्मा, राजेश पांडेय, रंगकर्मी संजय सिन्हा, रौशन जी, वरिष्ठ पत्रकार देवेन्द्र मिश्र, लव कुमार मिश्र, संजय ठाकुर, मो. अफजल इंजीनियर इत्यादि मुख्य रूप से उपस्थित थे।