विटामिन डी की कमी भारत में चिंताजनक स्तर पर: डाॅ होलिस
‘‘अगर समय रहते सही कदम नहीं उठाया गया तो भारत में नवजात शिशुओं समेत विटामिन डी की कमी से पीड़ित एक बड़ी आबादी रिकेट्स, आॅस्टियोपोरोसिस, हृदय रोगों, मधुमेह, कैंसर और टीबी जैसे संक्रमण के जोखिम में पड़ जाएगी।’’ एक जाने-माने अमेरिकी एंडोक्राइनोलोजिस्ट तथा विटामिन डी थेरेपी के लिए ग्लोबल आॅथोरिटी डाॅ ब्रूस होलिस ने आयोजित इंटरनेशल सेमिनार के दौरान कहा। सेमिनार का विषय था ‘‘विटामिन डी थेरेपी प्रबन्धन में हाल ही में हुई प्रगति
भारतीय में विटामिन डी की बढ़ती कमी जीवनशैली से जुड़ी समस्या है, डाॅ. होलिस ने स्थिति की गम्भीरता पर ज़ोर देने के लिए कई अध्ययनों का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि यह समस्या आज देश में चिंताजनक स्तर तक पहुंच गई है। हाल ही में हुए एक अनुसंधान के अनुसार पेशी-कंकाल दर्द से परेशान 93 फीसदी मरीज़ विटामिन डी की कमी से पीड़ित हैं, जबकि भारत में 80 फीसदी गर्भवती महिलाएं विटामिन डी की कमी का शिकार हैं, जो उनमें गर्भावस्था एवं प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं का कारण बन सकता है। डाॅ होलिस ने कहा कि विटामिन डी सप्लीमेन्ट की आदर्श खुराक के द्वारा गर्भावस्था एवं प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं को कम किया जा सकता है। साथ ही यह हड्डियों के स्वास्थ्य में सुधार लाने और आॅस्टियोपोरोसिस से बचने में भी मददगार हो सकता है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि गर्भावस्था के दौरान विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा कई तरह के जोखिम कम करती है उदाहरण के लिए इससे गर्भावस्था के दौरान मधुमेह, प्रीक्लैम्पिज़या और अस्थमा की सम्भावना कम हो जाती है।
डाॅ. होलिस पिछले 35 सालों से विटामिन डी पर अनुसंधान कर रहे हैं और इस विषय पर उनके द्वारा लिखे गए 200 से अधिक लेखों का प्रकाशन किया जा चुका है। नेशनल इन्सटीट्यूट आॅफ हेल्थ डाॅ. होलिस को अनुदान देता है जिसकी मदद से उनकी टीम गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए विटामिन डी की आदर्श खुराक निर्धारित करती है। टीम ने पाया है कि गर्भावस्था एवं प्रसव सम्बन्धी जटिलताओं को दूर करने के लिए गर्भावस्था के दौरान रोज़ाना 4000 आईयू सप्लीमेंटेशन की ज़रूरत होती है। इसके अलावा उन्होंने यह भी पता लगाया कि स्तनपान के दौरान रोज़ाना 6400 आईयू की खुराक नवजात शिशुओं में विटामिन डी की कमी को दूर कर सकती है।
विषय के महत्व पर रोशनी डालते हुए पद्म श्री विजेता एवं डाॅ बी. सी. राॅय नेशनल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर डाॅ. जाॅन एबनेज़र जो बैंगलोर में अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के आर्थोपेडिशियन, स्पाइन एवं गैरिएट्रिक सर्जन हैं, उन्होंने कहा, ‘‘विटामिन डी की कमी आजकल आम हो गई है, भारतीय आबादी में विटामिन डी का स्तर कम है। ऐसे में लोगों को इस विषय पर जागरुक बनाना ज़रूरी है।’’’
इण्डियन एकेडमी आॅफ पीडिएट्रिक्स में हाल ही के अध्यक्ष तथा डीवाय पाटिल मेडिकल काॅलेज, पुणे में पीडिएट्रिक्स के प्रोफेसर डाॅ. प्रमोद जोग ने कहा ‘‘भारत सहित दुनिया भर के नवजात शिशुओं में विटामिन डी की कमी आम समस्या बन चुकी है। इण्डियन एकेडमी आॅफ पीडिएट्रिक्स ने हाल ही में तेज़ी से बढ़ती इस समस्या पर कुछ दिशानिर्देश प्रकाशित किए और भारतीय बाल रोग विशेषज्ञों को इस विषय पर जागरुक बनाने का प्रयास किया।’’