पनामा पेपर लीक: नवाज़ से छिनी PM की कुर्सी
भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार, प्रधानमंत्री के पद से हटाए गए
लाहौर: पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पनामा लीक मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अयोग्य करार दे दिया। नवाज शरीफ को बेंच के सभी न्यायाधीशों ने अयोग्य करार दे दिया। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, हसन, हुसैन, मरियम नवाज़ और नवाज शरीफ के दामाद के खिलाफ रिफरेन्स दायर किए जाएंगे।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार जस्टिस आसिफ सईद खोसा की अध्यक्षता में न्यायमूर्ति गुलजार अहमद, न्यायमूर्ति एजाज अफजल, जस्टिस शेख अज़मत जस्टिस एजाजउल्हसन समेत 5 सदस्यीय बड़ी खंडपीठ ने 21 जुलाई को 3 सदस्यीय विशेष बेंच द्वारा बचा लिया गया निर्णय पढ़ कर सुनाया जिसमें प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को अयोग्य करार दे दिया गया।
नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया गया है। यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे। शरीफ के परिवार की लंदन में इन संपत्तियों का खुलासा पिछले साल पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ। इन संपत्तियों के पीछे विदेश में बनाई गई कंपनियों का धन लगा हुआ है और इन कंपनियों का स्वामित्व शरीफ की संतानों के पास है। इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं।
इस फैसले के बाद अब नवाज शरीफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नहीं रह सकते थे. लिहाजा नवाज शरीफ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और केंद्रीय मंत्रिमंडल को बर्खास्त कर दिया गया है.
नवाज शरीफ के खिलाफ फैसला आते ही उनका सियासी भविष्य अधर में लटक गया है. पाकिस्तान की सियासत में भी भूचाल आ गया है क्योंकि अब शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग(नवाज) को नया नेता चुनना होगा. यह इसलिए भी अहम है क्योंकि सत्ता अब उनके परिवार के हाथों से बाहर जा सकती है. दूसरी तरफ मुख्य विपक्षी पीपीपी भी बहुत मजबूत स्थिति में नहीं है.
इससे पहले 21 जुलाई को सुनवाई के दौरान जस्टिस सईद ने कहा कि अदालत अपना फैसला सुनाते हुए किसी कानून से विचलित नहीं होगी. ''हम याचिकाकर्ताओं और प्रतिवादियों के मौलिक अधिकारों के प्रति सचेत हैं.'' सुप्रीम कोर्ट ने दस खंडों वाली रिपोर्ट का अंतिम हिस्सा भी खोला जिसे संयुक्त जांच दल (जेआईटी) ने दाखिल की थी. उच्चतम न्यायालय ने शरीफ और उनके परिवार पर लगे धनशोधन के आरोपों की जांच के लिए जेआईटी गठित की थी.
जेआईटी ने कहा था कि रिपोर्ट का दसवां खंड गोपनीय रखा जाए क्योंकि इसमें दूसरे देशों के साथ पत्राचार का ब्यौरा है. शरीफ के वकीलों की टीम ने इस पर एतराज जताया था. अदालत ने अधिकारियों को आदेश दिया कि खंड की एक प्रति शरीफ के वकील ख्वाजा हारिस को सौंपी जाए.