विश्वकर्मा वंशियों की अस्मिता का प्रश्न है विश्वकर्मा पूजा का अवकाश: राम आसरे विश्वकर्मा
(शिव प्रकाश विश्वकर्मा)
लखनऊ। विश्वकर्मा पूजा का अवकाश विश्वकर्मा वंशियों की अस्मिता का सवाल है। यह सिर्फ अवकाश ही नहीं, हमारी एकता, सम्प्रभुता, अक्षुणता का भी प्रश्न है साथ ही हमारी पहचान भी। भगवान विश्वकर्मा को हम सभी विश्वकर्मा समाज के लोग तो मानते ही हैं, इसके अलावा पूरे विश्व में सभी जाति व धर्म के लोगों द्वारा भी भगवान विश्वकर्मा की पूजा की जाती है। यूपी की भाजपा सरकार ने 17 सितम्बर भगवान विश्वकर्मा पूजा के सार्वजनिक अवकाश को निरस्त करके इस विश्वस्तरीय विश्वकर्मा समुदाय की पहचान मिटाने का कार्य किया है। उक्त बातें अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मन्त्री राम आसरे विश्वकर्मा ने गांधी प्रतिमा, जी0पी0ओ0 पर आयोजित धरना को सम्बोधित करते हुये कहा। धरना का आयोजन अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा की लखनऊ इकाई द्वारा किया गया था।
श्री विश्वकर्मा ने कहा कि योगी सरकार ने इसे निरस्त करके विश्वकर्मा समाज एवं शिल्पकारों का अपमान किया है तथा विश्वकर्मा समाज की पहचान मिटाने का काम किया है। विश्वकर्मा पूजा का सार्वजनिक अवकाश समाजवादी पार्टी की सरकार में मेरे प्रयास से तत्कालीन मुख्यमन्त्री मुलायम सिंह यादव द्वारा वर्ष 2003 में घोषित किया गया था। भाजपा सरकार बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने भगवान विश्वकर्मा को महापुरूषों की श्रेणी में लाकर भगवान विश्वकर्मा तथा उनके वंशजों का अपमान किया है। श्री विश्वकर्मा ने ज्ञापन के माध्यम से प्रदेश के मुख्यमन्त्री से पुनः विश्वकर्मा पूजा का अवकाश घोषित करने की मांग की।
श्री विश्वकर्मा ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार विश्वकर्मा समाज को सपा सरकार में दी जा रही सुविधाओं वर्कशाप हेतु ग्रामसभा की जमीन का पट्टा, इण्टर पास विश्वकर्मा समाज के लड़कों को आई0टी0आई0 का प्रमाण पत्र, गरीब लड़कियों की शादी का अनुदान, छात्रवृत्ति एवं फीस प्रतिपूर्ति को बन्द कर दिया गया है। लोहे लकड़ी के सामानों पर जी0एस0टी0 लगाकर महंगा कर दिया है जिससे विश्वकर्मा समाज के गरीब लोगों का कारोबार बन्दी के कगार पर है। श्री विश्वकर्मा ने सरकार से मांग किया है कि लोहे लकड़ी के कारोबार को जी0एस0टी0 से मुक्त रखा जाय तथा सपा सरकार में दी जा रही सुविधाओं को बहाल किया जाय।
धरने में मुख्य रूप से प्रदेश अध्यक्ष अच्छेलाल विश्वकर्मा, राकेश विश्वकर्मा, परशुराम विश्वकर्मा, ओम प्रकाश शर्मा, राम भजन शर्मा, राजेश विश्वकर्मा एड0, सुशील शर्मा एड0, प्रवीन विश्वकर्मा एड0, कृष्णबिहारी विश्वकर्मा एड0, हरिश्चन्द्र विश्वकर्मा, लाल बहादुर विश्वकर्मा, इन्द्रदेव शर्मा, रवि विश्वकर्मा, विरेन्द्र विश्वकर्मा, मेवालाल विश्वकर्मा, गोपाल विश्वकर्मा, अनूप, राम मूरत, डा0 मुकेश विश्वकर्मा, कमलेश विश्वकर्मा, सदानन्द, हरीश कुमार, महेश, ध्रुव, छोटेलाल, मुन्नू, अवनीश, महेश, अजय, जितेन्द्र, अमित, राम प्रवेश सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।