आज देश में भय व डर का माहौल पैदा किया गया है: मौलाना बदरुद्दीन अजमल
कानपुर: इस्लाम व मुसलमानों को वैश्विक स्तर पर निशाना बनाया जा रहा है, राष्ट्रीय स्तर पर अपने मीडया हाउस की सख्त जरूरत है, देश का माहौल खराब होता जा रहा है, हिंसा और सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिल रहा है, सब्र और रणनीति के साथ चुनौतियों का मुकाबला करना चाहिए और इस्लाम व मुस्लिम दुश्मन शक्तियों की साजिशों को नाकाम करने के लिए लोगों को तैयार करने और अदालतों के साथ ही अन्य क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इन विचारों को दारुल उलूम देवबंद की सलाहकार समिति के सदस्य व यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष, सांसद मौलाना बदरुद्दीन अजमल कासमी ने रागेन्द्र स्वरूप सभागार में आयोजित हक़ एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए व्यक्त किया।
मौलाना बदरुद्दीन अजमल कासमी ने वैश्विक और घरेलू परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए कहा कि हमने बहुत पहले इस बात को महसूस कर लिया था कि ऐसे हालात आने वाले हैं जो मुसलमानों के लिए बहुत ही आज़माइश में डालने वाले होंगे, उलमा को क्षेत्रीय और वैश्विक भाषाओं में सकारात्मक और बेहतर तरीके से इस्लाम की शिक्षा प्रदान करना और झूठे आरोपों के द्वारा जो लोगों के जे़हनों को खराब किया जा रहा है उसे साफ करना चाहिए। इसलिए लगभग दस साल तक उलमा व बुजुर्गाें से सलाह के बाद बहुत से गलत परिणाम निकलने के अनुमानों के बावजूद मदरसों से फारिग उलमा को अंग्रेजी भाषा में माहिर बनाने का काम शुरू किया गया जो अल्लाह के करम से फायदेमंद साबित हुआ और आज भारत के विभिन्न स्थानों पर यह कार्यक्रम चल रहा है। कानपुर में मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने यह कार्यक्रम शुरू किया हमारी यहां के छात्रों के बयान सुनने से तबीयत खुश हो गई।
मौलाना ने घरेलू परिस्थितियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज देश में भय व डर का माहौल पैदा कर दिया गया है। गाय के नाम पर गाय के रक्षक बनकर माहौल को बिगाड़ रहे हैं इस बात को खुद प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया है। मौलाना ने मीडिया प्रौद्योगिकी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आज एक-मोबाइल में पूरी दुनिया समा गई है। मीडिया के द्वारा अन्य धर्माें के लोग अपना ज़हर हमारे बच्चों में स्थानांतरित कर रहे हैं। पूरी दुनिया में इस्लाम की अच्छी बातों और ताकत को छुपाकर गलत प्रचार के द्वारा इस्लाम को बदनाम किया जा रहा है। ऐसा माहौल बनाने की कोशिश की जा रही है कि दुनिया को इस्लाम से बहुत बड़ा खतरा है, इसी भ्रामक प्रचार का परिणाम है कि यात्रा के दौरान दाढ़ी और बुर्का देख कर दूसरे धर्मों के लोगों के बच्चों में डर होने लगता है कि कहीं ये हमें नुकसान न पहुंचा दें।
आज मुसलमानों के लिए मीडिया हाउस की सख्त जरूरत है क्योंकि अन्य धर्माें को भी मीडिया के द्वारा फैलाया जा रहा है और इसके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया व्यापार भी कर रहा है। आज कल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर चर्चा-डिबेट का दौर गया है इसमें कुछ विशिष्ट लोगों को इस्लाम व मुसलमानों के प्रतिनिधि के तौर पर पेश किया जाता है जो स्वंय इस्लाम के बारे में नही जानते हैं और वह उनके सवालों के जवाब में चुप रहकर उनका समर्थन करके चले आते हैं, इससे इस्लाम को नुकसान पहुंच रहा है इससे संदेह बनाने वालों कूतकोयत करता हे.फजलाए मद्रास को अंग्रेजी भाषा में विशेषज्ञ बनाने के साथ उन्हें ऐसी डिबेट (चर्चा) के लिए तैयार करना चाहिए ताकि वह इस्लाम की सही ्रेके प्रतिनिधित्व कर सकें। इस्लाम जो लाइन नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जाए इसी ्रेके इस्लाम की रक्षा करना हमारे लिए आवश्यक है। अल्लाह दीन की रक्षा करेगा लेकिन जो हमारी जिम्मेदारियों हम इसे नभाएँ.ानाों कहा घरेलू मीडेा में अभी भी कई ऐसे लोग हैं जो मौजूदा हालात से चिंतित हैं और चाहते हैं कि देश का जो नुकसान हो चुका अब अधिक न हो और इस लोकतांत्रिक प्रणाली स्थिर बना रहे सब मिलकर करमलक निर्माण ूतरकी में सहयोग करें.मोलाना कहा कि इस समय अंतरराष्ट्रीय भाषा अंग्रेजी के साथ इस बात की भी जरूरत महसूस की जा रही है कि हिंदी भाषा सीखने सिखाने ध्यान दें इसके लिए जमीअत उलमा ए हिन्द के महासचिव मौलाना सैयद महमूद मदनी और अन्य मुस्लिम बुद्धिजीवियों से बैठक हुई है इन्षा अल्लाह जल्द ही आगे के लिए रणनीति तैयार हो जाएगी।
मौलाना क़ासमी ने अदालतों में प्रतिधिनित्व के संबंध में कहा कि हमारा प्रतिनिधित्व अधिवक्ता के क्षेत्र में अत्यंत कम है ये अनुभव असम में बांग्लादेशी बताकर भारत की नागरिकता से वंचित करने के लिए संबंध में अदालत की कार्यवाही के बीच हुआ, मुकदमा अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है । मौलाना ने कहा कि अल्लाह के करम से हमारे छात्रों में क्षमता की कमी नहीं बस जरूरत है उनके सही मार्गदर्शन की।
इससे पहले हक़ एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के संस्थापक व चेयरमैन मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक उसामा क़ासमी ने अपने संबोधन में परिस्थितियों के संदर्भ में विभिन्न आयामों पर काम की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि कानपुर अन्य विषेषताओं के साथ कोचिंग मंडी के रूप में उभरा है यहां पर आईएएस, पीसीएस, मेडिकल व इंजीनियरिंग आदि के लिए सफल कोचिंग चल रही हैं उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। मुसलमानों के अमीर वर्ग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में शिक्षा दिला रहे हैं जहां पर उन्हें इस्लामी तरबियत एंव शिक्षा नहीं मिल पाती इसलिए कानपुर में एक ऐसा अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है जहां उच्चस्तर की अच्छी शिक्षा के साथ वैचारिक तरबियत , इस्लामी सभ्यता और संस्कृति से भी अवगत कराया जाएगा। मौलाना ने अंग्रेजी शिक्षा के प्रति उलेमा के विरोध की बात को अस्वीकार करते हुए कहा कि हमारे उलमा ने कभी इंग्लिश भाषा सीखने का विरोध नहीं किया बल्कि उसके साथ आने वाली सभ्यता और संस्कृति का विरोध किया था जो लोग इस संबंध में आलोचना कर रहे हैं वे अपनी अज्ञानता के कारण कर रहे हैं। मौलाना उसामा क़ासमी ने कहा कि अन्य धर्माें का सीधा हमला कुरान व इस्लाम पर कर रहे हैं और इस्लाम को बदनाम करने के लिए विभिन्न नामों से संगठन को लाते हैं, मौलाना ने आईएस का नाम लेकर कहा कि यह इस्लाम विरोधी शक्तियों के प्रोडक्ट हैं, इसने इस्लाम को बहुत नुक़सान पहुंचासा, इसके खत्म होने के बाद किसी नए नाम से दूसरी संस्था अस्तित्व में आ जाएगी इससे होशियार रहें।
हक़ एजुकेषन के नायब चेयरमैन मुफ्ती अब्दुर्रषीद कासमी ने मौलाना बदरुद्दीन अजमल साहब को प्रषंसा पत्र प्रदान किया जिसमें मौलाना के विभिन्न क्षेत्रों में सेवाओं को साहित्यिक रूप में पेश किया और आशा व्यक्त की उनकी सरपरस्ती और मार्गदर्शन हमें बनी रहेगी। कार्यक्रम उत्कृष्ट स्थान प्राप्त करने वालों में मौलाना ज़हीरूद्दीन क़ासमी प्रथम, मौलाना मुहम्मद वसीम द्वितीय तथा मौलाना मुहम्मद हाषिम क़ासमी तृतीय के साथ ही फारगीन को प्रमाण पत्र और बेहतर प्रदर्शन के लिए पुरस्कार दिए गए और दो किताबें जो अंग्रेजी भाषा में अनुवाद हुई थीं उनका अनावरण किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता मौलाना मुहम्मद मतीनुल हक़ उसामा क़ासमी ने की, तथा संचालन हक़ एजुकेषन के छात्र मौलाना अबु उसामा क़ासमी ने किया। इस अवसर पर मौलाना जावेद क़ासमी, तथा मौलाना हिफ्जुर्रहमान क़ासमी ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर जमीअत उलमा कानपुर के अध्यक्ष मौलाना अनवार अहमद जामई, मौलाना फरीदुद्दीन क़ासमी, मौलाना मिफ्ताह हुसैन, मौलाना मुहम्मद अनस, मौलाना अयाज़, मुहम्मद नफीस खां के साथ ही बड़ी संख्या में बु़िद्धजीवी एवं लोग मौजूद थे।