30 दिन में डेथ क्लेम सेटलमेंट नहीं तो बीमा कंपनियों को देना होगा ब्याज
इंश्योरेंस नियमों में बदलाव से पॉलिसी होल्डर्स को कई लाभ होने जा रहे हैं. इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (इरडा) ने अपनी इस पहल से पॉलिसी होल्डर्स को उनके अधिकारों और हितों की पूरी रक्षा का आश्वासन दिया है. अब मृत्यु से लेकर हेल्थ इंश्योरेंस तक सभी कुछ का सेटलमेंट समय पर होगा. मृत्यु की स्थिति में 30 दिनों के भीतर क्लेम सेटलमेंट करना होगा. अगर आगे जांच की जरूरत है तो भी यह प्रक्रिया 90 दिनों के भीतर पूरी करनी होगी.
इस तरह जांच के नाम पर अब बीमा कंपनियां क्लेम सेटलमेंट में देरी नहीं कर पाएंगी. इसी तरह अन्य बीमा दावों का निपटारा भी 30 दिन के भीतर करना होगा. बीमा प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी से अभी तक लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था.
नए बदलावों के बाद हर बीमा कंपनी को अपनी वेबसाइड पर उपलब्ध अपने हर प्रोडक्ट के संबंध में पूरी स्थिति और शर्तें साफ करनी होंगी. हर प्रोडक्ट के साथ उसका यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर देना होगा और 30 दिन के भीतर हेल्थ इंश्योरेंस सेटलमेंट करना होगा. पॉलिसी होल्डर्स की शिकायतों को दूर करने की पूरी प्रक्रिया, नियम और शर्तें लिखनी करनी होंगी. किसी इंश्योरेंस प्रोडक्ट के प्रॉसपेक्टस में उसके लाभ, कवर का आकार, वारंटी, उसमें क्या है और क्या नहीं है, जैसी सारी चीजें होंगी.
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में कैश बोनस, डेफर्ड बोनस, सिंपल या कम्पाउंड रीवर्जन बोनस आदि की पूरी जानकारी होगी. पॉलिसी में रिस्क कवर करने की शुरुआती तारीख, मैच्योरिटी, प्रीमियम, ग्रेस पीरिएड, समय पर प्रीमियम जमा नहीं करने पर होने वाले नुकसान आदि की जानकारियां भी देनी होंगी.
अगर बीमा कंपनी तय समय में क्लेम का भुगतान नहीं कर पाती है तो उसे अंतिम तारीख के बाद 2 फीसदी की दर से ब्याज का भुगतान करना होगा.