लखनऊ । हाईकोर्ट मंे सरकारी वकीलों की जारी सूची में दलितों के नाम न होने से दलित समाज में क्षोभ व्याप्त हो गया है। अम्बेडकर महासभा इस प्रकरण को उ0प्र0 के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल श्री राम नाईक के संज्ञान में लाएगी और मांग करेगी कि दलितों को भी सरकारी वकील बनाया जाय। अम्बेडकर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 लाल जी प्रसाद निर्मल ने इस सम्बन्ध में कहा है कि न्याय विभाग द्वारा 201 सरकारी वकीलों की सूची निर्गत की गयी है जिसमें अनुसूचित जाति के वकीलों की संख्या मात्र एक है। उ0प्र0 आरक्षण अधिनियम 1994 के आधार पर अनुसूचित जाति के सरकारी वकीलों की संख्या 46 होनी चाहिये। महासभा का कहना है कि जब अनुसूचित जाति के सरकारी वकील नहीं बनंेगे तो वे जज की कुर्सी तक कैेसे पहुंचेगे।

डा0 निर्मल ने कहा कि इस प्रकरण ने पूरे देश के दलितों को कौतूहल में डाल दिया है। डा. निर्मल ने कहा है कि सरकार के गठन में दलितों की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है फिर उन्हें सरकारी वकीलों की नियुक्ति में भागीदारी क्यों नहीं दी जा रही है।