सिडबी ने MSME सेक्टर के 360 लाख से अधिक लोगों के जीवन को संवारा
लखनऊ: भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की 19वीं वार्षिक सामान्य बैठक 07 जुलाई 2017 को लखनऊ में संपन्न हुई। बैठक में बैंक के दोनों उप प्रबंध निदेशकों अजय कुमार कपूर तथा मनोज मित्तल ने बैंक के वित्तीय वर्ष 2017 के कार्यनिष्पादन की संक्षिप्त जानकारी दी और एमएसएमई पारितंत्र के विभिन्न वित्तीय एवं गैर-वित्तीय अंतरालों को भरने के लिए बैंक द्वारा किए गए अनेक रणनीतिक प्रयासों पर प्रकाश डाला। सिडबी ने ऋण संबंधी अपने विभिन्न उपायों के ज़रिए एमएसएमई क्षेत्र के 360 लाख से अधिक लोगों के जीवन को प्रभावित किया है।
31 मार्च 2017 को समाप्त वर्ष के दौरान बैंक की बैलेंस शीट का आकार पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 4.2% बढ़कर . 79,682 करोड़ तथा ऋण बकाया 4% बढ़कर रु. 68,290 करोड़ हो गया। बैंक की नेटवर्थ 19% बढ़कर
. 12,905 करोड़ हो गई। वर्ष 2016-17 का बैंक का निवल लाभ 1,120 करोड़ रहा। इसका प्रति शेयर अर्जन
. 21.47 रहा, जबकि वर्ष के दौरान बैंक की अनर्जक आस्तियों का प्रतिशत कम होकर 1.2% रह गया। इसी प्रकार निवल अनर्जक आस्तियाँ भी सुधरकर 0.44% रहीं।
अपने विभिन्न रणनीतिक प्रयासों के ज़रिए सिडबी एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऋण-प्रवाह में निरन्तर मज़बूती लाने का प्रयास कर रहा है। एमएसएमई को वित्तीय सहायता देने में अन्य ऋणदाताओं के साथ साझेदारी की अपनी रणनीति के एक हिस्से के रूप में सिडबी ने विजया बैंक और कैपिटल स्मॉल फाइनेंस बैंक लि. के साथ समझौता ज्ञापन निष्पादित किए। पिछले कुछ महीनों में बहुत-से लघु वित्त बैंकों ने काम करना आरंभ किया है। आशा है कि वे एमएसई को उधार देने पर ध्यान केन्द्रित करेंगे। लघु वित्त बैंकों में रूपांतरित होने वाली लगभग सभी संस्थाओं को उनके विकास के शुरुआती दिनों में सिडबी ने सहायता दी है। लघु वित्त बैंक के रूप में उनके विकास-क्रम में सिडबी वही भूमिका निभाता रहेगा। तदनुसार, बैंक ने लघु वित्त बैंकों के लिए दो सुविधाएँ शुरू कीं- पहला, लघु वित्त बैंक की स्थापना/पूँजीकरण के लिए ईक्विटी निवेश, ताकि उनके ईक्विटी/पूँजी अंतराल की पूर्ति हो सके और दूसरा, अल्प वित्त संस्था/गैरबैंकिंग वित्तीय संस्था के रूपांतरण के उपरांत उन्हें पुनर्वित्त सहायता देना। 31 मार्च 2017 को समाप्त वर्ष के दौरान सिडबी ने 6 लघु वित्त बैंकों को संसाधन सहायता मंजूर की और 3 लघु वित्त बैंकों में ईक्विटी निवेश किया।
वित्तीय वर्ष 2017 में देश के पहले ‘ट्रेड रिसीवेबल्स डिस्काउंटिंग सिस्टम (ट्रेड्स)’ ने काम करना शुरू किया। इसकी स्थापना रिसीवेबल्स एक्स्चेंज ऑफ इंडिया लि. ने की है, जिसे सिडबी ने राष्ट्रीय स्टॉक एक्स्चेंज के साथ मिलकर स्थापित किया है। ट्रेड्स इलेक्ट्रॉनिक प्लेटफॉर्म पर एक पारदर्शी बोली-प्रक्रिया से चलनेवाली संस्थागत प्रणाली है, जिसमें बहुत-से वित्तदाता प्रतिभागिता करते हैं और इससे एमएसएमई के ट्रेड रिसीवेबल्स के वित्तपोषण की सुविधा मुहैया होती है। आशा है कि इससे एमएसएमई को अपने रिसीवेबल्स के प्रति प्रतिस्पर्धी शर्तों पर शीघ्र नकद उपलब्ध होगा और देर से भुगतान मिलने की उनकी समस्या का समाधान होगा।
भारत सरकार की कई योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, मुद्रा आदि में सहयोग की दृष्टि से सिडबी ने बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उदाहरण के लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम के मामले में सिडबी ने 2016 में . 10,000 करोड़ का ‘सिडबी मेक इन इंडिया सॉफ्ट लोन फंड फॉर एमएसएमई (स्माइल)’ स्थापित किया। इसके अंतर्गत अपेक्षित ऋण-ईक्विटी अनुपात पूरा करने के लिए एमएसएमई को अर्ध-ईक्विटी के रूप में सुलभ ऋण और अपेक्षाकृत आसान शर्तों पर सावधि ऋण उपलब्ध कराया जाता है, ताकि उनकी परियोजना लागत पूरी हो सके। इस योजना में 1,384 एमएसएमई लाभान्वित हुए हैं, और उन्हें 31 मार्च 2017 तक
. 3,586 करोड़ का ऋण दिया गया है।
नवोन्मेषिता को प्रोत्साहित करने और एमएसएमई की संवृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सिडबी अपनी स्टार्ट-अप सहायता एवं संवृद्धि पूँजी योजनाओं के ज़रिए प्रत्यक्ष रूप से ईक्विटी/जोखिम पूँजी सहायता देता आ रहा है (575 एमएसएमई को `. 1,107 करोड़ की कुल मंजूरियाँ)और अप्रत्यक्ष रूप से निधियों की निधि से भी सहायता उपलब्ध करा रहा है। 31 मार्च 2017 तक निधियों की निधि से से 125 उद्यम पूंजी निधियों /एआई एफएस को रु 3521 करोड़ की वचनबद्धता की गई है ।
सिडबी एमएसएमई क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता के संवर्धन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। बैंक केवल टिकाऊ वित्त ही नहीं उपलब्ध कराता अपितु ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने वाले विभिन्न उपायों के लिए सहायता प्रदान कर एमएसएमई क्षेत्र में कार्बनडाइऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी भी लाता है। सिडबी के महत्त्वपूर्ण प्रयासों में से एक है ऊर्जा सेवा कंपनियों को विश्व बैंक द्वारा समर्थित ऊर्जा दक्षता के लिए आंशिक जोखिम धारिता सुविधा गारंटी निधि की शुरुआत। इस योजना को लोकप्रिय बनाने के लिए सिडबी ने 20 जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करवाए और 5 बैंकों / गैर बैंकिंग कंपनियों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए तथा ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं के लिए 5 ऊर्जा सेवा कंपनियों को सहायता प्रदान की । बैंक के इन प्रयासों से 11.2 लाख टन कार्बनडाईआक्साइड के उत्सर्जन में कमी हुई जिसका पर्यावरण पर अच्छा प्रभाव पड़ा और 11 लाख से अधिक पेड़ों की रक्षा हुई।
सिडबी, ग्रामीण औद्योगीकरण, उद्यमिता विकास, कौशल उन्नयन, विपणन सहयोग, वित्तीय साक्षरता, ऋण सलाहकार सेवाएं, क्लस्टर विकास आदि जैसे अनेकानेक संवर्द्धन एवं विकासपरक सहयोग देता रहा है। सिडबी के इस संवर्द्धन एवं विकासपरक सहयोग से एमएसएमई क्षेत्र की 80,000 से अधिक इकाइयों की स्थापना में मदद हुई है। इससे 1.5 लाख रोजगार सृजित हुए हैं और 2.3 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए हैं।
एमएसएमई की विविध आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एमएसएमई पारितंत्र को सुदृढ़ता प्रदान करते हुए, समय के साथ- साथ, सिडबी 'संस्था सर्जक' के रूप में उभरा है। इसने ज्ञान आधारित एमएसएमई के संवर्द्धन हेतु उन्हें उद्यम पूंजी एवं संवृद्धि पूंजी प्रदान करने के लिए एसवीसीएल, वित्त वंचितों को वित्त प्रदान करने के लिए मुद्रा, एमएसएमई को व्यापक, पारदर्शी रेटिंग प्रदान करने के लिए स्मेरा, एमएसएमई क्षेत्र में एनपीए के समाधान के लिए आईसार्क, ऊर्जा दक्षता और अन्य परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी, सलाहकार और परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए आईएसटीएसएल की स्थापना की।
वर्ष के दौरान बैंक को उद्यमशील भारत के लिए डिजिटल समाधान, आद्योपांत ऊर्जा दक्षता (4E) समाधान, अल्प वित्त प्रतिभूतिकरण के निधियन – मुद्रा द्वारा बाजार निर्माण के लिए एक अभिनव दृष्टिकोण, सिडबी के – निधियों का निधियन- परिचालन तथा आरएक्सआईएल के ट्रेडस आदि सहित, अपनी नई एसएमई विकास समाधान और पहल के लिए, एसएमई विकास वर्ग में एडीएफआईएपी का अंतर्राष्ट्रीय विकास पुरस्कार 2017 मिला है।