खुला पत्र

सेवा में,

भारत की जनता

विषयः- देश भर में भीड़ की आड़ में हत्याओं के विरूद्ध एकजुट हो।

प्रिय देशवासियों,

मैं खुला पत्र प्रधान मंत्री के नाम लिखना चाहता था कि देश में बढ़ रही नफरती हिंसा के भेड़ियों पर व त्वरित कार्यवाही करें लेकिन प्यारे देशवासियों आपके नाम लिख रहा हूँ मैं प्रधान मंत्री को लिखना चाहता था कि भीड़ की आड में या भीड़ बनकर जो लोग देश भर में अल्पसंख्यकों की हत्या कर रहे हैं। कहीं बीफ के शक में कहीं गोवंश का व्यापार करते हुए, इतना ही नहीं ट्रेन में कहीं भी अल्पसंख्यकों को दलितों को पीट पीटकर मार दे रहे हैं। और मोदी जी जो देश के प्रधान मंत्री हैं सिर्फ इतना बोलते हैं कि गोरक्षा के नाम पर किसी इंसान की जान लेने का हक नहीं है उन्होंने तीन सवाल जनता के समक्ष उठाये हैं जिनके जवाब पिछले तीन वर्षों से हम और आप सब स्वयं जानना चाहते होंगे कि नफरत क्यों बढ़ी है। उन्होंने कहा कि मरीज के न बचने पर डाक्टर से मार पीट अस्पताल में तोड़ फोड़ हो रही है इससे उन्हें पीड़ा होती है, दो वाहन टकरा जाने पर मौत हो जाये तो वाहन जला देते हैं इससे उन्हें पीड़ा होती है। गोरक्षा के नाम पर हमें किसी इंसान को मारने का हक मिल जाता है क्या? क्या यह गो भक्ति है? क्या यह गोरक्षा है? यह गांधी जी, विनोबा जी का रास्ता नहीं हो सकता अहिंसा हम लोगों का जीवन धर्म रहा है हम कैसे आपा खो रहे हैं उपरोक्त शब्द किसी संत के नहीं देश के प्रधानमंत्री के हैं जिसके हाथ में पूरी कार्यपालिका की शक्ति है। साल भर पहले भी उन्होंने कहा था कि कुछ लोग गोरक्षा के नाम पर देश का सामाजिक ताना बना तहश नहश करना चाहते हैं लेकिन देश का सामाजिक ताना बाना तहश नहश करने वालों के खिलाफ और भीड़ की आड़ में नफरती साम्प्रदायिक हिंसक गिरोहों के खिलाफ त्वरित कार्यवाही करने के निर्देश सक्षम प्रशासन और गृह मंत्री को नहीं देते। इतना ही नहीं गृह मंत्री तो महीनों से इस मामले पर चुप्पी मारे बैठे हैं।

प्रधान मंत्री श्री मोदी जी ने नफरती हिंसा के खात्मे के लिये कठोर कार्यवाही तो दूर चेतावनी भी नहीं दे सके है। चूंकि उन्होंने नफरती हिंसा से निपटने के लिये गेंद आप सबके पाले में डाल दी है इसलिये अब हम आप सबकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि देश में फैलायी गयी साम्प्रदायिक नफरती हिंसा का प्रतिवाद करें विरोध करें, जहां कहीं नफरती हिंसा के लक्षण दिखे उसका प्रतिरोध दुर्घटना होने से पहले करें, क्योंकि हम सब जब इकट्ठे होते हैं तो एक भीड़ होते हैं और हमारा मानना है कि भीड़ कभी न तो हिंसक होती है और न हत्यारी होती है।

        भीड़ हत्यारी होती तो देश में मेले न लगते
        भीड़ हत्यारी होती तो मदारी खेल न दिखाते
        भीड़ हत्यारी होती तो बाजारे न लगती
        भीड़ हत्यारी होती तो स्टेशन बस अड्डे बन्द हो जाते
        भीड़ हत्यारी होती तो शादी बारात में लोग इकट्ठे न होते
        भीड़ हत्यारी होती तो आप स्कूल, अस्पताल न जाते
        भीड़ हत्यारी नहीं होती न ही देश हत्यारा होता है
        हत्यारी होती है नफरत
        हत्यारा है साम्प्रदायिक नफरती प्रचार
        हत्यारा है नफरत का विचार
        इसलिए भीड़ में खड़ा होकर यदि कोई भेड़िया कहे
        मारो इसको मारो उसको
        तो उसके उकसाने पर मत मारना किसी को
        उठाना मशाल उस भेड़िये के खिलाफ
        जो हिंसा के लिये लेता है तुम्हारी ओट।

आपका

मुश्ताक अली अन्सारी

अध्यक्ष सदभावना युवा जन ग्रामीण विकास संस्थान

लखीमपुर-खीरी