लखनऊ: सीएम योगी के खिलाफ आवाज उठाने वाले पूर्व आईपीएस को पुलिस ने किया गिरफ्तार
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में योगी सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करने की तैयारी कर रहे पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी समेत आठ लोगों को पुलिस ने शांतिभंग करने की आशंका में गिरफ्तार कर लिया है। दरअसल लखनऊ के प्रेस क्लब में एसआर दारापुरी के नेतृत्व में 4-5 दलित हितैशी संगठनों ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। शहर पश्चिमी के पुलिस उपाधीक्षक विकास चन्द्र त्रिपाठी ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को शांतिभंग की आशंका का हवाला देकर रद्द करवा दिया। इससे पहले पुलिस ने आयोजकों को प्रेस क्लब खाली करने के निर्देश दिये थे लेकिन आईपीएस एसआर दारापुरी और एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष रमेश चन्द्र दीक्षित ने कहा कि उन्हें आयोजन करने से कोई नहीं रोक सकता। वो अपनी बात जनता के सामने जरूर रखेंगे। बाद में मजबूरन पुलिस को इन सब लोगों को गिरप्तार करना पड़ा। इन सबको गिरफ्तार कर पुलिस लाइन भेज दिया है।
पुलिस अदीक्षक विकास चन्द्र त्रिपाठी ने बताया कि ये लोग प्रेस क्लब में वार्ता के नाम पर एकत्र हो कर मुख्यमंत्री आवास की ओर कूच करने वाले थे। जिसे समय रहते रोक लिया गया है।
आपको बता दें कि कुछ दिनों पहले कुशीनगर में सीएम के दौरे से पहले अधिकारियों द्वारा दलितों को साबुन और शैंपू बांटे गए थे, ताकि वे योगी आदित्यनाथ की सभा में नहा-धोकर आएं। इसी बात के विरोध में दारापूरी और उनके साथी मुख्यमंत्री आवास पर जाकर रैली निकालने की तैयारी कर रहे थे।
एस आर दारापुरी की लखनऊ में गिरफ्तारी की निंदा
लखनऊ। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने पूर्व एडीजीपी व सामाजिक कार्यकर्ता एस आर दारापुरी और साथियों की सोमवार को यहां यूपी प्रेस क्लब के पास गिरफ्तार कर लिये जाने की कड़ी निंदा की है।
पार्टी राज्य स्थायी समिति (स्टैन्डिंग कमेटी) के सदस्य अरुण कुमार ने इसे योगी सरकार की तानाशाही बताया। कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी और असहमति के अधिकार पर भाजपा राज में हमले हो रहे हैं। कुशीनगर में योगी के दौरे से पहले प्रशासन द्वारा दलित बस्ती में साबुन, शैम्पू वितरित कराने की कार्रवाई पर अपने विरोध को सीएम तक पहुंचाने के लिए गुजरात से लखनऊ आ रहे दलितों को रविवार को बीच रास्ते झांसी में ही जबरन ट्रेन से उतार कर गिरफ्तार कर लिया गया। उनके साथ एकजुटता जताने वालों की आज लखनऊ में गिरफ्तारी की गई।
उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले दलितों को लुभाने और उनका वोट हासिल करने के लिए भाजपा ने तरह-तरह के उपक्रम किये। लेकिन सरकार बनाने के बाद उसका असली रुप सामने आ गया है। यानि, हाथी के दांत दिखाने के अलग, खाने के अलग। शब्बीरपुर (सहारनपुर) की घटना इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
उन्होंने दारापुरी और गिरफ्तार सभी साथियों की बिना शर्त अविलंब रिहाई की मांग की।