लखनऊ: उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने आदेश दिया है कि कांवड़िये जिन सड़कों से गुजरें वहां रास्‍तों में पड़ने वाले 'अपवित्र' गूलर के पेड़ों को छांट दिया जाए. एक ऐसे वक्‍त में जब हर तरफ हरियाली बचाने की मुहिम चलाई जा रही हो, किसी मुख्‍यमंत्री के ऐसे आदेश को लोग हैरत की नजर से देख रहे हैं. खासकर, किसी पेड़ को अपवित्र बताकर उसकी छंटाई करने के आदेश को.

यूपी में कांवड़ यात्रा की तैयारियों की समीक्षा करने के लिए सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने प्रदेश और उत्‍तराखंड के वरिष्‍ठ अफसरों के साथ एक लंबी बैठक की.

सूचना भवन से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि 'सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने गूलर आदि जैसे कांवड़ियों द्वारा अपवित्र माने जाने वाले पेड़ों की छंटाई के निर्देश भी अधिकारियों को दिए हैं.' यूपी में पहली बार किसी मुख्‍यमंत्री ने कांवड़ यात्रा की तैयारियों पर खुद अधिकारियों की मीटिंग ली है, ऐसा सूचना व जनसंपर्क विभाग ने अपने प्रेस नोट में कहा है.

गूलर का बोटेनिकल नाम फाइकस रेसमोसा है. गूलर को अपवित्र मानने पर भी समाज में मतभेद हैं. यूपी के डुमरियागंज से भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने कहा कि 'गूलर का कोई उपयोग नहीं होता है, इसलिए हमारी तरफ उसे लोग अशुभ मानते हैं उसकी छाया अच्‍छी नहीं मानी जाती'. लेकिन कई विद्वान कहते हैं कि गूलर को अथर्ववेद में संपन्‍नता लाने वाला पेड़ माना गया है. बौद्ध ग्रंथों में भी इसके किसी धार्मिक महत्‍व का जिक्र है, लेकिन पर्यावरण प्रेमी कहते हैं कि हरियाली देने वाले पेड़ को अशुभ कहना गलत है.

कांवड़ यात्रा उत्‍तर भारत की एक बड़ी तीर्थ यात्रा है. ये सावन माह में शुरू होती है, जिसमें कांवड़िये हरिद्वार, गंगोत्री, गोमुख समेत कई जगहों से गंगाजल कांवड़ में लेकर पैदल यात्रा करते हैं और तमाम जगहों पर शिव मंदिरों में उसे शिवलिंग पर चढ़ाते हैं. पहले कांवड़ियों की तादाद कम होती थी, लेकिन अब लाखों कांवड़िये इस दौरान निकलते हैं, जिसे दिल्‍ली से हरिद्वार को जाने वाला राष्‍ट्रीय राजमार्ग भी बंद करना पड़ता है.

सीएम योगी ने ये भी आदेश दिए हैं कि कांवड़िये तयशुदा सीमा से ज्‍यादा आवाज़ में गाने नहीं बजाएं, फिल्‍मी गाने ना बजाएं, मिलीजुली आबादी में उनके जाने के रास्‍तों में सीसीटीवी लगाए जाएं. रास्‍तों में उनके दवा-इलाज के इंतजाम हो वगैरह.