दिलचस्प है टैम्पों चालक से जिपं अध्यक्ष की कुर्सी तक का सफर
कपड़े की तरह पार्टी बदल चुके है शिवकुमार सिंह
आसिफ मिर्जा
सुलतानपुर। जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह और उनके पति शिवकुमार सिंह का
राजनैतिक सफर बड़ा ही दिलचस्प है। राजनैतिक कैरियर की शुरूआत टैम्पों चालक
से हुई थी। कई पार्टियों से पाला बदलने के बाद सपा में इनकी किस्मत बदल
गयी, अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज हुए, लेकिन इसी बीच राजनैतिक परिदृश्य
बदला। कुर्सी बचे इसके लिए फिर पाला बदल दिया और भाजपा का गुणगान करने
लगे।
जिला पंचायत अध्यक्ष उषा सिंह के पति बल्दीराय थाना क्षेत्र के
रामपुर बबुआन के मूल निवासी है। जिंदगी के उतार-चढ़ाव में अब गनापुर
निवासी हो गए है। इसके अतीत पर नजर डाले तो बड़ा दिलचस्प है। रामपुर छोड़कर
यह लखनऊ चले गए थे। जहां पर इन्होंने टैम्पों भी चलाया और कंडक्टरी भी
किया। बताया जाता है कि इसी दौरान इनकी एक प्रापर्टी डीलर से मुलाकात हुई
तो इनकी तकदीर और तस्वीर बदल गयी। देखते ही देखते लखपति नही बल्कि
करोड़पतियों में शुमार होने लगी। जनता के बीच अपनी साख बनाने के लिए
कांग्रेस पार्टी को चुना और समाजसेवा में जुट गए, लेकिन कांग्रेस इन्हे
रास न आयी। कांग्रेस को कुछ दिन बाद ही टाटा बोल दिया। फिर हाथी पर सवार
हुए। बढ़चढ़कर बसपा के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने लगे। 2014 के लोकसभा
चुनाव में शिवकुमार सिंह सुर्खियों में आए। बाद में जिला पंचायत सदस्य का
चुनाव लड़ाने के लिए अपनी पत्नी उषा सिंह की किस्मत आजमाई। पत्नी जिला
पंचायत सदस्य चुन ली गयी, लेकिन राजनैतिक परिस्थितियां विषम रही। सूबे
में सपा सत्ता रूढ़ रही। मन की ललक बसपा में रहते हुए पूरी नही हो सकती
थी। क्योकि शिवकुमार सिंह पत्नी उषा सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाना
चाहते थे। उस समय जिसके नेतृत्व में चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे।
उनसे सपाईयों का 36 का आंकड़ा रहा। फिर क्या? शिवकुमार सिंह का मन विचलित
हुआ। हाथी की सवारी रास न आयी और साईकिल पर सवार होने का तिकड़म भिड़ाने
लगे, दाव भी सटीक पड़ा। सपा के कमजोर रहे प्रत्याशी का फायदा उठाया।
सपाईयों को ‘फील गुड‘ के चक्कर में उलझाया और सपा की सदस्यता ग्रहण कर
ली। पत्नी उषा सिंह को जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव मैदान में उतारा और
भाजपा प्रत्याशी को मात देते हुए विजय का पताका फहराया। वर्ष 2017 में
भाजपा सूबे में सत्ता रूढ़ हुई तो जिला पंचायत सदस्यतों का दबाव अपदस्थ
करने के लिए बढ़ा। जिला पंचायत के हर बैठक में लामबंदी शुरू हुई तो
शिवकुमार सिंह फिर बड़ा राजनैतिक पाशा फेंका। इससे जिला पंचायत के अधिकांश
सदस्य अचम्भित हो गए। अपने दाव में सदस्य सफल नही हो पाए। अब इस दौरान
शिवकुमार सिंह भाजपा का गुणगान करने लगे है। आवास पर अमित शाह,
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ डा. अम्बेडकर की
चित्र लगाकर संदेश देने में कोई चूक नही कर रहे है।
जिसकों पकड़ा, उसी को छोड़ा
जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव के दौरान शिवकुमार सिंह और उनकी पत्नी उषा
सिंह ने बसपा का दामन छोड़कर सपा के इसौली विधायक अबरार अहमद के जरिए
इंट्री ही नही लिया बल्कि टिकट हथियाने में भी कामयाब रहे और जिला पंचायत
अध्यक्ष की कुर्सी भी हथिया ली। कुछ माह तक शिवकुमार और विधायक की
जुगलबंदी क्षेत्र में चर्चा का विषय रही, लेकिन थोड़े ही दिन में सम्बंधों
मे कड़वाहट आयी। जो राजनैतिक öंद में बदल गयी। यहां तक की सपा विधायक
अबरार अहमद को हराने के लिए शिवकुमार सिंह एमबीसीआई से चुनाव भी लड़ गए।
हालाकि यहां शिवकुमार सिंह को शिकस्त मिली।
बाहुबली मोनू सिंह से है छत्तीस का आंकड़ा
एक जमाना था जब बाहुबली मोनू सिंह और शिवकुमार सिंह के बीच मधुर सम्बंध
थे। इन दिनों दोनों के बीच दूरी इतनी बढ़ गयी है कि मामला कई बार
खून-खराबे तक भी पहुंच चुका है। हालाकि अपने विपक्षियों से बदला लेने के
लिए शिवकुमार सिंह भी हर हथकंडा अपनाते है।
समाज सेवा ही हैं उद्देश्य
शिवकुमार सिंह का कहना है कि गरीबों की सेवा ही उनका उद्देश्य है। इन्ही
सब वजहों से वह राजनीति में उतरे है। शिवकुमार सिंह ने बताया कि राजनीति
के माध्यम से वह हजारों बेसहारों की मदद कर चुके है।