शिवराज का उपवास शुरू, कांग्रेस ने कहा-नौटंकी
नई दिल्ली: मध्यप्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन के दसवें दिन आज प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दशहरा मैदान में शांति बहाली के लिये अनिश्चितकालीन उपवास पर बैठ गये। उन्होंने किसानों को यहां समस्या के समाधान के लिये आने का आह्वान भी किया है। विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे नौटंकी बताया है। फसल की बेहतर कीमत और कर्ज माफी करने सहित अन्य मांगों को लेकर प्रदेश में एक जून से किए जा रहे किसान आंदोलन का आज दसवां दिन है।
किसानों ने आंदोलन के शुरू में ही इसे दस दिन तक चलाने की घोषणा की थी। यह किसान आंदोलन तब हिंसक हो गया जब मंदसौर जिले में छह जून को पुलिस गोलीबारी में प्रदर्शन कर रहे पांच किसानों की मौत हो गयी और छह किसान घायल हो गये। इस घटना के बाद पूरे पश्चिम मध्यप्रदेश में हिंसा फैल गई थी। भेल क्षेत्र के दशहरा मैदान में इस मौके पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए चौहान ने कहा, मुझे पता है कि फसल उत्पादन बहुत अधिक हुआ है। अन्न के भंडार भर गये हैं, लेकिन जब फसल उत्पादन बढ़ता है तो फसल की कीमत गिरती है, और जब कीमत गिरती है, तो तकलीफ किसान और उसके परिवार को होती है। मैं किसानों की तकलीफ समझता हूं।
उन्होंने कहा, प्रदेश की सरकार आपके साथ है। मेहनत से पैदा किया गया फसल उत्पाद किसान से खरीदा जाएगा और उसे फसल का लाभदायक दाम दिया जाएगा। किसान की मेहनत किसी भी स्थिति में बेकार नहीं जायेगी। उन्होने कहा, सरकार ने किसानों से आठ एपये प्रतिकिलो के भाव से प्याज खरीदना शुरू कर दिया है और बड़ी मात्रा में प्याज खरीदा जा चुका है। उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाते हुए कहा कि उनका पूरा प्याज सरकार द्वारा खरीदा जायेगा।
दूसरी ओर दिल्ली में देश के अलग-अलग हिस्सों में चल रहे किसान आंदोलनों को लेकर अब एक साझा रणनीति बनाये जाने की तैयारी हो रही है। इसी सिलसिले में 50 किसान संगठनों के प्रतिनिधि आज दिल्ली में एक बैठक करेंगे जिसमें किसान आंदोलन को और तेज करने के लिए आगे की योजना पर विचार किया जाएगा। किसान संगठनों ने 9 अगस्त को देश भर के हाईवे को जाम करने की और जनवरी में दिल्ली में एक बड़ा किसान आंदोलन करने की योजना बनाई है।
इस बैठक को राष्ट्रीय किसान मजदूर संघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा की पहल पर बुलाई गई है। बैठक सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक गांधी पीस फाउंडेशन में होगी। किसान आंदोलन सात राज्यों में चल रहा है जिनमें मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक,तेलंगाना, यूपी, राजस्थान और हरियाणा है। किसानों की जो मुख्य मांगे है उनमें लागत के आधार पर पचास प्रतिशत लाभकारी मूल्य दिए जाने, पूरी फसल खरीदी जाना और कर्ज माफी है।