किसानों को ‘गोली’ देती है मोदी सरकार: राहुल
मंदसौर: मध्य प्रदेश के मंदसौर में पुलिस फायरिंग में छह किसानों की मौत के बाद हिंसा दूसरे जिलों में भी फैल गई. किसानों के आंदोलन और उसके बाद हुई हिंसा के बाद मंदसौर कलेक्टर स्वतंत्रकुमार सिंह और एसपी ओपी त्रिपाठी हटाए गए. शिवपुरी कलेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव को मंदसौर का नया कलेक्टर बनाया गया है.
राहुल गांधी गुरुवार को मृतक किसान के परिजनों से मिलने के लिए मंदसौर रवाना हुए. इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की. राहुल बाइक से एमपी बॉर्डर पहुंचे. वहां से वह भीड़ में छिपकर आगे बढ़े. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. हालांकि कुछ देर बाद उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. बाद में राहुल किसानों से मिले.
इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यहां लोगों पर गोली चलाई गई, लेकिन सरकार ने कहा कि गोली नहीं चलाई गई.. सरकार झूठ बोल रही है. यहां मैं पीड़ित से मिलने आया हूं तो इसमें क्या गलत है. मैं आरएसएस का आदमी नहीं हूं. मैं देश में कहीं भी जा सकता हूं. उन्होंने आगे कहा कि यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु और अन्य कई जगहों पर किसान परेशान हैं. भाजपा की सरकार के पास लाखों करोड़ रुपया पड़ा है, लेकिन वो उसे किसानों को न देकर सिर्फ '50 लोगों' को देना चाहती है.
इससे पूर्व राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि ''मारे गए किसानों के परिवारों से फोन पर बात की और अपनी संवेदना प्रकट की. मैं यहां उनसे मिलने आया हूं और उनकी परेशानियों को लेकर आवाज़ उठाने से पीछे नहीं हटूंगा''.
उधर, शाहजहांपुर में भी जबरदस्त उपद्रव हुआ. मंडी में प्याज लेकर आए किसानों को नुकसान झेलना पड़ा. प्रदर्शनकारियों ने यहां प्याज को फेंक दिया गया. मीडिया और पुलिस पर भी पथराव किया गया.
दरअसल, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को मंदसौर के किसानों से मुलाकात करने के लिए निकले थेे. वह राजस्थान-मध्य प्रदेश सीमा स्थित निमोड़ा से अपनी सिक्योरिटी को चकमा देकर बाइक पर सवार होकर निकल गए, लेकिन उन्हें मध्य प्रदेश पुलिस ने रोक लिया. इसके बाद वह पैदल आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे. फिर नयागांव में मध्य प्रदेश पुलिस ने उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया और उन्हें अस्थायी जेल भेजा गया. हालांंकि इसके बाद उन्हें जमानत मिल गई.
इससे पहले राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार उद्योगपतियों की सरकार है. किसानों को यह 'गोली' देती है. इससे पूर्व उन्हें रोकने के लिए राजस्थान-मध्य प्रदेश बॉर्डर स्थित नयागांव में 500 से ज्यादा सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था. यही नहीं पास स्थित विक्रम सीमेंट रेस्ट हाउस को अस्थाई जेल के रूप में तब्दील कर दिया गया था.