भारतीय मिलेनियल को ऐसे हाॅट शावर की जरूरत है जितनी कि इतिहास के किसी भी समय में थी
वी. रामनाथ, प्रबन्ध निदेशक, एरिस्टोन थर्माे इण्डिया
भारत के मिलेनियल्स को आज के समय में जितनी चिंता या तनाा है, वैसा पहले कभी नही थी। वे इतने व्यस्त भी कभी नहीं रहे। इसे जरूरी नहीं कि हम ‘व्यस्त‘ माने, परंतु इसे प्रौद्योगिकी के अधीन जरूर कहा जा सकता है।
भारत के मिलेनियल अपना औसत 140 मिनट समय प्रति दिन अपने मोबाइल पर ही बिताता है, इसकी यदि तुलना की जाए तो (जेन ग् 31-45 वर्ष) और 90 मिनट ( ‘‘बेबी बूनर्स ‘‘,46-65 वर्ष)। सुबह की यात्रा के दौरान इस बात का प्रमाण है कि भारतीय युवा अपने मोबाइल से चिपके रहते हैं, चाहे वह सार्वजनिक परिवहन हो या यहां तक कि पैदल चलते समय में।
श्री वी रामनाथ, प्रबन्ध निदेशक, एरिस्टोन थर्माे इण्डिया प्राइवेट लिमिटेड, भारत एवं दक्षिणी एशिया के अनुसार इनमें से कुछ सामान्य मनोरंजन, शाॅपिंग अथवा अपने मित्रों से चैटिंग करते नजर आएंगे। मेरे मित्रों क्या यह इतनी भारी मात्रा में स्मार्टफोन के साथ समय बिताना क्या आपके काम का हिस्सा है। एक चैंका देने वाली बात है कि भारत के 80 प्रतिशत मिलेनियल्स का दावा है कि वे अपने अधिकारी से ज्यादा काम करते हैं, क्यों कि उनका कार्य समय काफी लम्बा होता है, भारतीय मिलेनियल्स की कार्यावधि जापानियों के मुकाबले अधिक है, वे सप्ताह में 52 घंटे काम करते हैं जिसकी बाद में तुलना 46 घंटे की जाती है। हकीकत में 60 प्रतिशत गैर संक्रामक रोग इस प्रकार के तनावों की देने होते हैं।
इसके साथ ही कंक्रीट जंगल (इमारतों से घिरे इलाके) में निवास, प्रदूषित वातावरण, कीटनाशक ग्रतिस भोजन, और पर्याप्त निद्रा का अभाव के कारण इन मिलेनियल्स का तनाव का स्तर अनमोल है। जीवन के हर स्तर पर उचाइयों को छूने का मानस, हमें अवास्तविक उम्मीदों की तरफ ले जाता है तेजी से बदलती इस दुनिया के साथ मुकाबला करने के बाद हमारा मोह स्वतः भंग हो जाता है। यही कारण है कि हम सर्वदा तनाव को अपने दिमाग में लिए फिरते हैं।
अपने जीवन से तनाव को पूरी तरह समाप्त किया जा सकना इतना सहज नहीं है, और न ही इसका विवरण किया जा सकता है, परंतु कुछ रास्ते ऐसे जरूर है जिन्हें अगर हम अपने जीवन में अपनाएं तो इस प्रकार के तनावों पर नियंत्रण जरूर पाया जा सकता है। और इसमें किसी प्रकार की टेक्नोलाॅजी शामिल नहीं है! इसके लिए युगों पूर्व एक प्राचीन उपाय इसके लिए खोजा गया था जिसकी मदद से हम अपने मानसिक तनाव को सहज कर सकते है और वह है हाॅट शाॅवर, यानी गर्म जल से स्नान, इस विधि से कोई भी व्यक्ति अपने दिन भर के तनाव से दूर हो सकता है, औ तनाव पूर्ण सोचों से मुक्त हो कर विषाक्ता के इस क्षेत्र से बाहर निकल सकता है। दिन भर की तनावपूर्ण दिनचर्या के बाद घर जाने के बाद सबसे बड़ा मंत्र यही है कि आप हाॅट शावर लें, जो काफी सरल और प्रभावी है और इसे आप आसानी के साथ कर सकते हैं।
इस के पीछे वैज्ञानिक तथ्य यह है कि गर्म पानी की भाप न केवल आपके मस्तिष्क अपितु आपकी मांसपेशियों का तनाव तक दूर करने में सक्षम है। यह शावर आपको आराम के क्षण दिलाता है साथ ही पूरे दिन भर इसकी झलक बनी रहती है, और इसके चलते आप को फोन का प्रयोग करने का मन ही नहीं करता! यह ध्वनिकी अनूठी है और इससे आप अपनी मुखर आकांक्षाएं अभिव्यक्त कर सकते हैं। राॅयल ब्रोम्टन हाॅस्पिटल लन्दन द्वारा करवाए गए एक शोध के अनुसार में तो यहां तक कहा गया है कि गाना गाने से आपके फेफड़े की हालत को कम करता है जैसे अस्थमा, ब्रोकांइटिस और एम्फीजिम को कम करता है! जब कि मैं इतना योग्य नहीं हूं कि इन निष्कर्षों की पुष्टि कर सकूं। मैं यह निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि हाॅट शाॅवर (गर्म पानी से स्नान) के चिकित्सकीय प्रभाव हमारे दिन भर की डिजीटल जीवन के बाद एक प्रतिकारक औषधि के समान होता है। जैसा कि विदित है कि वर्ष 2021 तक भारत का 64 प्रतिशत युवा वर्ग कार्यरत होगा ऐसे में उनहें हाॅट शावर की शक्ति से परिचित होना होगा ताकि उनके सामने किसी भी पीढ़ी की तुलना न हो।